UGC द्वारा आयोजित की गई UGC-NET (National Eligibility Test) की परीक्षा (Exam) के अंतर्गत Junior Research Fellowship और Assistant Professor की परीक्षा 10 जुलाई, 2016 को आयोजित कराई गई थी। इस परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र (Paper 1) व उत्तर कुंजी (Answer Key) यहाँ उपलब्ध है –
परीक्षा (Exam) – UGC NET July 2016
आयोजक (Organizer) – UGC
दिनाकं (Date) – 10 July, 2016
कुल प्रश्नों की संख्या (Total Question) – 60
UGC-NET for Junior Research Fellowship & Assistant Professor Exam June 2016 Answer Key
Paper – I (General Paper on Teaching and Research Aptitude)
1. शिक्षण की प्रभावकारिता में योगदान देने वाले सकारात्मक कारकों वाले विकल्प का चयन कीजिए : कारकों की सूची :
(a) अध्यापक को विषय का ज्ञान
(b) अध्यापक की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि
(c) अध्यापक का संप्रेषण कौशल
(d) विद्यार्थियों को संतुष्ट करने की अध्यापक की योग्यता
(e) विद्यार्थियों के साथ अध्यापक का व्यक्तिगत संपर्क
(f) कक्षा संव्यवहार के संचालन और अनुश्रवण में अध्यापक की क्षमता
कूट :
(1) (b), (c) और (d)
(2) (c), (d) और (f)
(3) (b), (d) और (e)
(4) (a), (c) और (f)
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2. शिक्षण संबंधी सहायक-उपकरणों की उपयोगिता के औचित्य का आधार है
(1) कक्षा में विद्यार्थियों का ध्यान आकर्षित करना ।
(2) कक्षा में अनुशासनहीनता की समस्या को कम करना ।
(3) विद्यार्थियों के अधिगम परिणामों को इष्टतम करना ।
(4) अधिगम कार्यों में विद्यार्थियों को प्रभावी ढंग से लगाना ।
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3. अभिकथन (A) : उच्च शिक्षा का प्रयोजन विद्यार्थियों में आलोचनात्मक और सृजनात्मक चिन्तन योग्यता को बढ़ावा देना है।
तर्क (R) : इन योग्यताओं से कार्य-स्थापन सुनिश्चित होता है ।
निम्नलिखित कूट से सही उत्तर का चयन कीजिये :
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है ।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
(3) (A) सही है और (R) गलत है।
(4) (A) गलत है और (R) सही है ।
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4. मूल्यांकन प्रणाली की दृष्टि से सेट – I के मदों को सेट – II के मदों के साथ सुमेलित कीजिए । सही कूट का चयन कीजिए :
. सेट-I सेट-II
a. रचनात्मक मूल्यांकन i. नियमितता के साथ संज्ञानात्मक, सह-संज्ञानात्मक पहलुओं का मूल्यांकन करना ।
b. संकलनात्मक मूल्यांकन ii. किसी समूह और कुछ मानदंडों के आधार पर परीक्षण और उनकी व्याख्या
c. सतत और व्यापक मूल्यांकन iii. अंतिम अधिगम परिणामों का श्रेणीकरण
d. मानक और निकष संदर्भित परीक्षण iv. प्रश्नोत्तरी और चर्चाएँ
कूट :
. a b c d
(1) iv iii i ii
(2) i ii iii iv
(3) iii iv ii i
(4) i iii iv ii
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5. यदि कोई शोधार्थी प्रभावी मिड-डे मील हस्तक्षेप के आयोजन के लिए संभावित कारकों के प्रभाव का पता लगाना चाहता है तो अनुसंधान की कौन सी पद्धति इस अध्ययन के लिए सर्वोत्तम होगी ?
(1) ऐतिहासिक पद्धति
(2) वर्णनात्मक सर्वेक्षण पद्धति
(3) प्रयोगात्मक पद्धति
(4) कार्योत्तर पद्धति
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6. शोध करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी आरंभिक अनिवार्यता की अपेक्षा है ?
(1) अनुसंधान अभिकल्प विकसित करना ।
(2) अनुसंधान-प्रश्न तैयार करना ।
(3) प्रदत्त विश्लेषण प्रक्रिया के संबंध में निर्णय लेना ।
(4) अनुसंधान-परिकल्पना निर्मित करना ।
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7. शोध-प्रबंध लिखने का प्रारूप वही होता है जो निम्नलिखित में होता है :
(1) शोध-पत्र/लेख तैयार करना
(2) संगोष्ठी प्रस्तुतीकरण का लेखन
(3) शोध के लघुशोध-प्रबंध में
(4) कार्यशाला/सम्मेलन में लेख प्रस्तुत करना
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8. गुणात्मक शोध के प्रतिमान में, निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता को महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है ?
(1) मानकीकृत शोध उपकरणों की सहायता से प्रदत्त का संकलन ।
(2) संभाव्य प्रतिदर्श तकनीक सहित प्रतिदर्श चयन का अभिकल्प ।
(3) प्रदत्तों के संग्रहण में इंद्रियानुभविक साक्ष्यों का निम्न से उच्च स्तरीयता की ओर उन्मुखता ।
(4) उच्च से निम्न व्यवस्थित साक्ष्यों सहित प्रदत्त संग्रहण ।
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9. निम्नलिखित कथनों की सूची से उस सेट को चिह्नित कीजिए, जिसका ‘शोध की नैतिकता’ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है :
(i) शोधार्थी, दूसरे शोध के निष्कर्षों पर आलोचनात्मक दृष्टि डालता है ।
(ii) उचित संदर्भो के बिना संबंधित अध्ययनों को उद्धृत किया जाता है।
(iii) शोध के निष्कर्ष नीति निर्माण का आधार होते हैं।
(iv) प्रकाशित शोध साक्ष्यों के आधार पर व्यवहारकर्ताओं के आचरण का परीक्षण किया जाता है ।
(v) अन्य शोधों के साक्ष्यों का सत्यापन करने की दृष्टि से शोध अध्ययन को आवृत्यात्मक रूप में निष्पन्न किया जाता है।
(vi) नीति निर्माण और नीति क्रियान्वयन दोनों प्रक्रियाओं को प्रारंभिक अध्ययनों के आधार पर प्रतिपादित किया जाता है।
कूट:
(1) (i), (ii) और (iii)
(2) (ii), (iii) और (iv)
(3) (ii), (iv) और (vi)
(4) (i), (iii) और (v)
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10. विद्यालय-परियोजना को पूरा करने में बच्चों की प्रतिबल उन्मुखता पर शिशु पालन व्यवहार के प्रभाव संबंधी शोध में, निर्मित परिकल्पना यह है कि ‘शिशु पालन व्यवहार का प्रतिबल उन्मुखता पर अवश्य प्रभाव पड़ता है ।’ प्रदत्त विश्लेषण की अवस्था में शोध परिकल्पना की स्वीकार्यता का पता लगाने के लिए शून्य परिकल्पना को प्रस्तावित किया जाता है । उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर शून्य परिकल्पना को सार्थकता के .01 स्तर पर अस्वीकार किया जाता है । शोध परिकल्पना के संबंध में क्या निर्णय अपेक्षित है ?
(1) शोध परिकल्पना को भी अस्वीकार किया जाएगा ।
(2) शोध परिकल्पना को स्वीकार किया जाएगा ।
(3) शोध परिकल्पना और शून्य परिकल्पना दोनों को अस्वीकार किया जाएगा ।
(4) शोध परिकल्पना के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है ।
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निम्नलिखित उद्धरण को सावधानीपूर्वक पढ़िये और प्रश्न संख्या 11 से 16 तक के उत्तर दीजिये:
श्रम के परिप्रेक्ष्य में, जापानी कार्यकर्ता दशकों तक अपेक्षाकृत कम लागत तथा उच्च गुणवत्ता के आधार पर प्रतिस्पर्धी अभिलाभ प्रदान करते रहे हैं, विशेषकर टिकाऊ वस्तुओं एवं उपभोक्ता संबंधी इलैक्ट्रॉनिक्स उद्योगों यथा : मशीनरी, ओटोमोबाइल, टेलीविजन, रेडियो आदि के संदर्भ में । तदुपरान्त श्रम आधारित लाभ दक्षिण कोरिया, पश्चात् मलेशिया, मैक्सिको तथा अन्य देशों में अंतरित हुए । सम्प्रति, श्रम के आधार पर चीन को विशेष लाभ उपलब्ध होता प्रतीत हो रहा है । फिर भी, ऐसी टिकाऊ वस्तुओं, इलैक्ट्रॉनिक्स तथा अन्य उत्पादों के लिए जापानी फर्म बाजार में अपेक्षाकृत अधिक प्रतिस्पर्धी योग्यता रखती हैं । किंतु अन्य औद्योगिक देशों के विनिर्माताओं के ऊपर प्रतिस्पर्धात्मक अभिलाभ हेतु श्रमबल अब पर्याप्त नहीं है । श्रम आधारित लाभ में इस प्रकार का बदलाव उत्पादन से जुड़े उद्योगों तक स्पष्टत: अनुसीमित नहीं है । आज सूचना प्रौद्योगिकी एवं सेवा क्षेत्र से जुड़े अधिसंख्य रोजगार की संभावनाएँ यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका से भारत, सिंगापुर तथा ऐसे ही अन्य देशों की ओर बढ़ रही हैं जहाँ सापेक्षत: अधिक शिक्षित, कम लागत वाले कार्यबल तकनीकी कौशल रखते हैं । तथापि, जैसे-जैसे अन्य देशों में शैक्षिक स्तर एवं तकनीकी दक्षताएँ अभिवृद्ध हो रही हैं; भारत, सिंगापुर तथा इसी प्रकार के अन्य देश जिनमें श्रम आधारित अभिलाभ प्रतिस्पर्धात्मक स्तर पर विशेष रूप में उपलब्ध रहे हैं, उनके समक्ष नए प्रतिस्पधियो के आविर्भाव से ऐसे लाभो की संभावनाओ को बनाए रखना कठिन प्रतीत होता है ।
पूँजी की दृष्टि से, सदियों तक स्वर्ण-सिक्कों के काल एवं बाद में कागजी मुद्रा ने भी वित्तीय प्रवाहों को प्रतिबंधित किया । इस क्रम में क्षेत्रीय केन्द्रीकरण का अभ्युदय हुआ जिसमें बड़े बैंक, उद्योग और बाजार सम्मिश्रित हुए । किंतु आज पूँजी का प्रवाह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर क्षिप्रगति से हो रहा है । वैश्विक वाणिज्य अब अपने व्यापारिक प्रतिभागियों से क्षेत्रीय अन्तक्रियाओं (विनिमय) की आवश्यकता नहीं रखता । नि:संदेह, क्षेत्रीय स्तर पर पूँजी-केन्द्रीकरण के पुंज न्यूयॉर्क, लंदन तथा टोक्यो जैसे स्थानों में अभी भी विद्यमान है किंतु वे स्पर्धात्मक लाभो के लिए विश्व में फैले हुये अन्य पूँजी विनिवेशको को दृष्टिगत रखते हुए पर्याप्त नहीं है । परिवर्तित परिदृश्य में कोई भी संगठन अपने संसाधनों (यथा : भूमि, श्रम, पूँजी, एवं सूचना प्रौद्योगिकी) को जोड़ने, समन्वित करने तथा अनुप्रयोग में प्रभावी रूप से सक्षम हैं तथा जिसे अन्य प्रतिस्पर्धियों द्वारा सुविधाजनक रूप में अपनाया न जा सके, तभी उन्हें लम्बे अरसे तक ऐसे अभिलाभों के संपोषण का अवसर प्राप्त हो सकेगा ।
फर्म के ज्ञान-आधारित सिद्धान्त के परिप्रेक्ष्य में इस धारणा से संगठनात्मक ज्ञान को परम्परागत आर्थिक आगतों की सामर्थ्य एवं महत्त्व के समतुल्य संसाधन के रूप में देखा जा सकता है । वह संगठन जिसमें उत्कृष्ट ज्ञान का संबल विद्यमान है, विशेषत: उन बाजारों में स्पर्धात्मक लाभ मिल सकते हैं जहाँ ज्ञान के अनुप्रयोग के प्रति आकर्षण है । इसके उदाहरण हैं : सेमीकन्डक्टर, जेनेटिक इंजीनियरिंग, फार्मास्युटिकल्स, सॉफ्टवेयर, सैन्य युद्ध कर्म तथा अन्य ज्ञान गहन प्रतिद्वंद्विता के वे क्षेत्र जो कालक्रमानुसार सिद्ध एवं वर्तमान में भी प्रभावी हैं । सेमीकन्डक्टर जैसे कम्प्यूटर चिप्स को ही ले लीजिए जो प्रमुख रूप से रेत एवं सामान्य धातुओं से बनते हैं । ये सार्वदेशिक एवं शक्तिशाली इलैक्ट्रॉनिक प्रविधियाँ सामान्य कार्यालय भवनों में तैयार की जाती हैं तथा इनमें वाणिज्यिक दृष्टि से उपलब्ध उपकरणों का उपयोग होता है तथा कई औद्योगिक देशों में कारखानों में ही निर्मित होते हैं । फलस्वरूप, सेमीकन्डक्टर उद्योगों में भूमि को महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक संसाधन के रूप में नहीं लिया जाता है ।
इस उद्धरण के अनुसार निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
11. किस देश ने ओटोमोबाइल उद्योग में दशकों तक प्रतिस्पर्धी लाभ उठाया है ?
(1) दक्षिण कोरिया
(2) जापान
(3) मैक्सिको
(4) मलेशिया
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12. भारत और सिंगापुर के श्रम-आधारित प्रतिस्पर्धी लाभ आई.टी और सेवा क्षेत्रों में क्यों संपोषित नहीं किये जा सकते ?
(1) दक्षता के ह्रासमान स्तरों के कारण
(2) पूँजी-गहन प्रौद्योगिकी के आने के कारण
(3) नये प्रतिस्पर्धियों के कारण
(4) विनिर्माण उद्योगों में श्रम आधारित लाभ के अन्तरण के कारण
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13. एक संगठन किस तरह संपोषणीय प्रतिस्पर्धी लाभ उठा सकता है ?
(1) क्षेत्रीय पूँजी प्रवाहों के माध्यम से ।
(2) व्यापार कर्ताओं के बीच क्षेत्रीय अन्तक्रिया के माध्यम से ।
(3) बड़े बैंकों, उद्योगों और बाजारों को सम्मिश्रित कर ।
(4) विभिन्न साधकत्वों के प्रभावी प्रयोग द्वारा ।
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14. विशिष्ट बाजारों में प्रतिस्पर्धी लाभों को सुनिश्चित करने के लिये क्या आवश्यक है ?
(1) पूँजी की सुलभता
(2) सामान्य कार्यालय भवन
(3) उत्कृष्ट ज्ञान
(4) सामान्य धातुएँ
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15. यह उद्धरण किस प्रवृत्ति का उल्लेख करता है ?
(1) वैश्विक वित्तीय प्रवाह का
(2) विनिर्माण उद्योग में प्रतिस्पर्धा के अभाव का
(3) पूँजीवादियों के क्षेत्रीयकरण का
(4) संगठनात्मक असंगति का
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16. इस उद्धरण में लेखक किस पर बल देता है ?
(1) अन्तर्राष्ट्रीय वाणिज्य पर
(2) श्रम-गहन उद्योग पर
(3) पूँजी-संसाधन प्रबन्धन पर
(4) ज्ञान-अनुप्रेरित प्रतिस्पर्धी लाभ पर
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17. कल्पना कीजिए कि आप एक ऐसी शिक्षा संस्था में हैं, जहाँ लोग समान प्रस्थिति के हैं । ऐसी स्थिति में संप्रेषण की कौन-सी पद्धति सबसे अधिक उपयुक्त है और प्राय: इस प्रसंग में काम में लाई जाती है ?
(1) क्षैतिज संप्रेषण
(2) ऊर्ध्व संप्रेषण
(3) कॉर्पोरेट संप्रेषण
(4) प्रति संप्रेषण
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18. कक्षा में विद्यार्थियों को संबोधित करते समय अध्यापक द्वारा ध्यान में रखे जाने वाले महत्वपूर्ण तत्त्व को चिह्नित कीजिए।
(1) सानिध्य से बचना
(2) वाक् स्वराघात परिवर्तन (वाक माडुलन)
(3) पुनरावर्ती विराम
(4) स्थिर भंगिमा
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19. प्रभावी संप्रेषण में अवरोधक क्या हैं ?
(1) नीति-प्रवचन, निर्णयपरक होना और सांत्वना प्रदायी टिप्पणियाँ
(2) संवाद, सारांश और आत्म-समीक्षा
(3) सरल शब्दों का प्रयोग, शांत प्रतिक्रिया और रक्षात्मक अभिवृत्ति
(4) वैयक्तिक कथन, नजर मिलाना और सरल वर्णन
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20. संप्रेषण प्रतिभागियों का चयन किस कारक द्वारा प्रभावित होता है ?
(1) सान्निध्य, उपयोगिता, अकेलापन
(2) उपयोगिता, गुप्तता, असंवादिता
(3) गुप्तता, असंवादिता, छल
(4) विषमता, असंवादिता, विपथन
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