UGC द्वारा आयोजित की गई UGC-NET (National Eligibility Test) की परीक्षा (Exam) के अंतर्गत Junior Research Fellowship और Assistant Professor की परीक्षा 05 नवम्बर, 2017 को आयोजित कराई गई थी। इस परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र (Paper 1) व उत्तर कुंजी (Answer Key) यहाँ उपलब्ध है –
परीक्षा (Exam) – UGC NET November 2017
आयोजक (Organizer) – UGC
दिनाकं (Date) – 05 November, 2017
कुल प्रश्नों की संख्या (Total Question) – 50
UGC-NET for Junior Research Fellowship & Assistant Professor Exam November 2017 Answer Key
Paper – I (General Paper on Teaching and Research Aptitude)
1. निम्नलिखित कथनों के समुच्चय में से कौन-सा शिक्षण और अधिगम के प्रकृति एवं उद्देश्य को सर्वोत्तम रूप में प्रस्तुत करता है?
(a) शिक्षण विक्रय के समान है और अधिगम खरीदारी के जैसा है।
(b) शिक्षण सामाजिक कृत्य है जबकि अधिगम व्यक्तिगत कृत्य है।
(c) शिक्षण में अधिगम निहित है जबकि अधिगम शिक्षण को समाहित नहीं करता।
(d) शिक्षण एक प्रकार का ज्ञान का अंतरण है जबकि अधिगम इसे प्राप्त करने जैसा है।
(e) शिक्षण एक अन्त:क्रिया है और प्रकृति में त्रिपदी है जबकि अधिगम एक विषय के अन्तर्गत सक्रिय कार्य है।
कूट :
(1) (a), (d) और (e)
(2) (b), (c) और (e)
(3) (a), (b) और (c)
(4) (a), (b) और (d)
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2. नीचे दी गई सूची में से विद्यार्थी के उन अभिलक्षणों को चिन्हित करें जो शिक्षण-अधिगम प्रणाली को प्रभावी बनाने में सहायक है। अपने उत्तर को इंगित करने के लिए सही कूट का चयन करें।
(a) विद्यार्थी का पूर्व अनुभव
(b) विद्यार्थी की पारिवारिक वंश परंपरा
(c) विद्यार्थी की अभिक्षमता
(d) विद्यार्थी के विकास की अवस्था
(e) विद्यार्थी की खाने की आदतें और शौक
(f) विद्यार्थी की धार्मिक सम्बद्धता
कूट :
(1) (a), (c) और (d)
(2) (d), (e) और (f)
(3) (a), (d) और (e)
(4) (b), (c) और (1)
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3. अभिकथन (A) : सभी शिक्षण में अधिगम निहित होता है।
तर्क (R) : अधिगम को उपयोगी होने के लिए उसे आवश्यक रूप से शिक्षण से व्युत्पन्न होना चाहिए।
निम्नलिखित में से सही उत्तर का चयन करें :
(1) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(2) (A) और (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।
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4. संकलनात्मक परीक्षणों के आधार पर एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों के निष्पादन व्यवहार को उसमें अभिव्यक्त सुस्थित जीवन शैली के संदर्भ में व्याख्यायित करता है। इसे कहा जायेगा :
(1) निर्माणात्मक परीक्षण
(2) सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन
(3) मानक संदर्भित परीक्षण
(4) निकष संदर्भित परीक्षण
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5. निम्नलिखित में से कौन प्रभावी शिक्षण में प्रमुख व्यवहार है?
(1) विद्यार्थी के विचारों एवं अवदान का अनुप्रयोग
(2) संरचना
(3) अनुदेशनात्मक विविधता
(4) प्रश्न पूछना
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6. निम्नलिखित में से शोध के किस प्रकार में मौजूदा स्थितियों में सुधार पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है?
(1) मौलिक शोध
(2) व्यवहृत शोध
(3) क्रियात्मक शोध
(4) प्रायोगिक शोध
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7. एक शोधकर्ता बच्चों की चिन्ता – उन्मुखता पर पोषण विधि के प्रभाव का आँकलन करने का प्रयास करता है। कौनसी शोध-विधि इसके लिए उपयुक्त होगी?
(1) व्यष्टि अध्ययन पद्धति
(2) प्रायोगिक पद्धति
(3) कार्योत्तर पद्धति
(4) सर्वेक्षण पद्धति
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8. निम्नलिखित में से किस व्यवस्था में विचारों और मुद्दों की व्यापक रेंज (स्पेक्ट्रम) को संभव बनाया जा सकता है?
(1) शोध लेख
(2) कार्यशाला पद्धति
(3) सम्मेलन
(4) संगोष्ठी
9. एक शोध प्रबंध लेखन फार्मेट को अंतिम रूप देने में निम्नलिखित में से कौन-सा पूरक-पृष्ठों का भाग बनेगा?
(1) सारणियों और आँकड़ों की सूची
(2) विषय-सारणी
(3) अध्ययन के निष्कर्ष
(4) ग्रंथ-सूची और परिशिष्ट
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10. निम्नलिखित में से कौन-सा शोध नैतिकता का मुद्दा हो सकता है?
(1) सांख्यिकीय तकनीकों का अयथार्थ अनुप्रयोग
(2) शोध की रूपरेखा का दोषपूर्ण होना
(3) निदर्शन तकनीकों का विकल्प
(4) शोध निष्कर्षों को रिपोर्ट करना
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गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्न संख्या 11 से 15 का उत्तर दें।
जलवायु परिवर्तन को समर्थनीय विकास का सर्वाधिक गंभीर खतरा माना जाता है। इसका पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, आर्थिक गतिविधि, प्राकृतिक संसाधनों और भौतिक अवसंरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वैश्विक जलवायु स्वाभाविक रूप परिवर्तित होती रहती है। जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतर को ज्ञापित करने वाले सरकारी पैनल (आई.पी.सी.सी.) के अनुसार जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को पहले ही प्रेक्षित किया जा चुका है और वैज्ञानिक निष्कर्ष यह दर्शाते हैं कि सतर्कता और शीघ्रतापूर्वक कार्रवाई किया जाना आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन के प्रति भेद्यता सिर्फ भूगोल से नहीं जुड़ी है अथवा सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर नहीं है बल्कि जलवायु परिवर्तन के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आयाम भी हैं जो इस बात को प्रभावित करते हैं कि किस प्रकार से जलवायु परिवर्तन विभिन्न समूहों को प्रभावित करते हैं। निर्धन व्यक्तियों के पास प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा, बाढ़, महाचक्रवात आदि के कारण सम्पत्ति को होनेवाली क्षति की पूर्ति करने के लिए शायद ही बीमा होता है। निर्धन समुदाय तो गरीबी और जलवायु बदलाव की विद्यमान चुनौतियों से पहले ही जूझ रहा है और जलवायु परिवर्तन के कारण अनेक के लिए उससे जूझने और यहाँ तक कि अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा। यह महत्त्वपूर्ण है कि प्रकृति के बदलते आयामों के साथ सामंजस्य बैठाने में इन समुदायों की सहायता की जानी चाहिए। अनुकूलन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से समाज अनिश्चित भविष्य के साथ सामंजस्य बिठाने में अपने को बेहतर ढंग से सक्षम बनाता है। जलवायु परिवर्तन के साथ अनुकूलन के तहत समुचित सामंजस्य और परिवर्तन करने के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने (सकारात्मक प्रभावों का फायदा उठाने) के लिए सही उपाय किए जाते हैं। इन उपायों में प्रौद्योगिकीय विकल्प यथाः बढ़ी हुई समुद्री सुरक्षा अथवा टिलुओं पर बाढ़ – रक्षित घर से लेकर व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहारगत परिवर्तन जैसे सूखे के समय में पानी का कम प्रयोग शामिल है। अन्य रणनीतियों में चरम घटनाओं के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली, बेहतर जल प्रबंधन, उन्नत जोखिम प्रबंधन, विभिन्न बीमा विकल्प और जैव-विविधता संरक्षण सम्मिलित है। वैश्विक तापन वृद्धि के कारण जिस गति से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है यह अत्यावश्यक हो जाता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रति विकासशील देशों की भेद्यता को कम किया जाए और उनकी अनुकूलन क्षमता को बढ़ाया जाए तथा राष्ट्रीय अनुकूलन नीतियाँ कार्यान्वित की जाएँ। जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन समुदाय से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सभी स्तरों पर सामंजस्य और परिवर्तनों की माँग करता है। वर्तमान और भविष्य के जलवायु के साथ सामंजस्य बिठाने हेतु समुदायों को अपने सर्वाधिक पारम्परिक ज्ञान का उपयोग करने और अपनी आजीविका के विविधीकरण के साथ-साथ समुचित प्रौद्योगिकियों को अपनाने सहित अपनी नम्यता बनानी चाहिए। सरकारी और स्थानीय हस्तक्षेपों के साथ तालमेल बिठाते हुए सामंजस्य बिठाने वाली स्थानीय रणनीतियों और ज्ञान का प्रयोग किया जाना चाहिए। अनुकूलन संबंधी हस्तक्षेप राष्ट्रीय परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं। जलवायु संबंधी बदलावों और चरम मौसमी घटनाओं के साथ सामंजस्य बिठाने के संबंध में स्थानीय समुदायों के पास वृहत ज्ञान और अनुभव है। स्थानीय समुदायों का हमेशा से उद्देश्य अपने जलवायु परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाना रहा है। ऐसा करने के लिए उन्होंने विगत के मौसमी पैटों के अपने अनुभव के आधार पर अपने संसाधनों और संचित ज्ञान के अनुरूप तैयारियाँ की हैं। इसमें वे समय भी शामिल रहे हैं जब उन्हें बाढ़, सूखा और तूफान जैसी चरम मौसमी घटनाओं से प्रतिक्रिया करना और उनसे उबरना पड़ा है। सामंजस्य बिठाने की स्थानीय रणनीतियाँ अनुकूलन के नियोजन में महत्त्वपूर्ण तत्त्व रही हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से समुदायों को बार-बार चरम जलवायु स्थितियों तथा नई जलवायु स्थितियों और चरम स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। पारम्परिक ज्ञान से उन समुदायों को जो वैश्विक तापन की वजह से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं, जलवायु परिवर्तन के साथ सामंजस्य बिठाने तथा कुशल, समुचित और समयसिद्ध उपाय ढूँढने में सहायता मिलेगी।
11. नीचे जलवायु परिवर्तन के प्रति निर्धन व्यक्तियों की भेद्यता के कारक दिए गए हैं। सही उत्तर वाले कूट का चयन करें।
(a) प्राकृतिक संसाधनों पर उनकी निर्भरता
(b) भौगोलिक कारण
(c) वित्तीय संसाधनों की कमी
(d) पारंपरिक ज्ञान का अभाव
कूट :
(1) (a), (b) और (c)
(2) (b), (c) और (d)
(3) (a), (b), (c) और (d)
(4) सिर्फ (c)
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12. अनुकूलन एक प्रक्रिया के रूप में समाजों को निम्नलिखित में से किसके साथ सामंजस्य बिठाने में समर्थ बनाता है?
(a) अनिश्चित भविष्य
(b) सामंजस्य और परिवर्तन
(c) जलवायु परिवर्तन का नकारात्मक प्रभाव
(d) जलवायु परिवर्तन का सकारात्मक प्रभाव
निम्नलिखित कूट में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर का चयन करें :
(1) (a), (b), (c) और (d)
(2) (a) और (c)
(3) (b), (c) और (d)
(4) सिर्फ (c)
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13. जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए विकासशील देशों को अत्यावश्यक रूप से निम्नलिखित में से क्या करने की ज़रूरत है?
(1) जलवायु परिवर्तन कर लगाना
(2) अपने स्तर पर राष्ट्रीय अनुकूलन नीति का कार्यान्वयन
(3) अल्पावधि योजनाएँ अपनाना
(4) प्रौद्योगिकीय समाधान अपनाना
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14. पारम्परिक ज्ञान का उपयोग निम्नलिखित में से किसके माध्यम से किया जाना चाहिए?
(1) इसके प्रचार-प्रसार द्वारा
(2) राष्ट्रीय परिस्थितियों में सुधार द्वारा
(3) सरकार और स्थानीय हस्तक्षेपों के बीच तालमेल से
(4) आधुनिक प्रौद्योगिकी द्वारा
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15. इस गद्यांश का संकेन्द्रिक बिन्दु है :
(1) पारंपरिक ज्ञान को समुचित प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ना
(2) क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रयासों के बीच समन्वय
(3) जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन
(4) जलवायु परिवर्तन के सामाजिक आयाम
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16. शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच परस्पर संवाद समीपस्थ ______ जोन का निर्माण करता है।
(1) अंतर
(2) भ्रम
(3) विकास
(4) विकृति
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17. किसी कक्षा में स्थानिक श्रव्य पुनःप्रस्तुति की वजह से विद्यार्थियों का निम्नलिखित में से क्या घट सकता है/सकती है?
(1) बोध में संज्ञानात्मक भार
(2) शिक्षकों के प्रति आदर
(3) उत्कृष्टता के प्रति प्रेरणा
(4) प्रौद्योगिकी – अभिविन्यास में रुचि
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18. कक्षा में संवाद अनिवार्य रूप से होना चाहिए :
(1) काल्पनिक
(2) तदनुभूतिक
(3) अमूर्त
(4) गैर-विवरणात्मक
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19. एक उत्तम सम्प्रेषक अपना प्रस्तुतीकरण निम्नलिखित में से किससे शुरू करता है?
(1) जटिल प्रश्न
(2) नानुमिति
(3) पुनरावर्ती पदबंध
(4) सुगमपूर्वाभ्यास
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20. किसी कक्षा में संवाद ग्रहण की संभाव्यता को निम्नलिखित में से किससे बढ़ाया जा सकता है?
(1) दृष्टिकोण स्थापित करके
(2) विद्यार्थियों की अनभिज्ञता उजागर करके
(3) सूचना भार में वृद्धि करके
(4) उच्च डेसिबेल के श्रव्य उपकरणों का प्रयोग करके
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