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Uttarakhand Notes in Hindi

उत्तराखंड में भूमि बन्दोबस्त (Land Settlement in Uttarakhand)

उत्तराखंड में भूमि बन्दोबस्त
(Land Settlement in Uttarakhand)

क्षेत्र  भूमि बन्दोबस्त  सम्बंधित अधिकारी  भूमि बन्दोबस्त का वर्ष 
कुमाऊँ  पहला  गार्डनर 1815-16 
गढ़वाल पहला  ट्रेल 1816 
टिहरी गढ़वाल  पहला  सुदर्शनशाह  1823 
कुमाऊँ / गढ़वाल  दूसरा  ट्रेल  1817 
टिहरी गढ़वाल  दूसरा  भवानी शाह  1860 
कुमाऊँ / गढ़वाल  तीसरा  ट्रेल  1818 
टिहरी गढ़वाल  तीसरा  प्रताप शाह  1873 
कुमाऊँ / गढ़वाल  चौथा ट्रेल  1820 
टिहरी गढ़वाल  चौथा  कीर्तिशाह  1903 
कुमाऊँ / गढ़वाल  पांचवाँ  ट्रेल  1823 
टिहरी गढ़वाल  पांचवाँ  नरेन्द्रशाह 1924 
कुमाऊँ / गढ़वाल  छठा ट्रेल  1828 
कुमाऊँ / गढ़वाल  सातवाँ  ट्रेल  1833 
गढ़वाल  आठवाँ बैटन 1840 
कुमाऊँ  आठवाँ बैटन 1844 
गढ़वाल नौवाँ  बेकेट  1863 – 73 
कुमाऊँ  नौवाँ बेकेट/रैम्जे  1863 
गढ़वाल  दसवाँ  पौ  1893 
कुमाऊँ  दसवाँ  गूज 1899 
गढ़वाल  ग्याहरवाँ  इबटसन  1928 
समस्त उत्तराखण्ड  अंतिम बन्दोबस्त उत्तरप्रदेश सरकार  1960-64

 

 

 

ब्रिटिश कालीन उत्तराखंड

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पंवार वंश की प्रमुख शब्दावलियाँ

पंवार वंश की प्रमुख शब्दावलियाँ 

इस से पहले हमें यहाँ पर पंवार वंश का इतिहास, पंवार वंश की वंशावली के बारे में देख चुकें है। इस लेख में हम उत्तराखंड के पंवार वंश में प्रयुक्त होने वाली प्रमुख शब्दावलियाँ के बारे में जानेंगे ।

पंवार वंश में युवराज को कहा जाता था – टीका

पंवार वंश में राजा को कहा जाता था – रजबार 

पंवार वंश में राजा का सर्वोच्च अधिकारी होता था – नरेश 

पंवार वंश में राज्य का सर्वोच्च मंत्री को कहा जाता था – मुखतार 

पंवार वंश में परगना का प्रशासक को कहा जाता था – थोकदार 

पंवार वंश में परगना की सबसे छोटी इकाई होती थी – पट्टी 

पंवार वंश में बाँस और रिंगाल के बर्तन बनाने वाले को कहते थे – रुड़िया 

पंवार वंश में काष्ठ भाण्ड बनाने को कहा जाता था – चिन्याल 

पंवार वंश में वस्त्र सिलने वाले को कहा जाता था – औजी/औझी 

पंवार वंश में शराब बनाने वाले को कहा जाता था – कलाल 

पंवार वंश में भूमि मापने की सबसे छोटी इकाई थी – मुट्ठी 

पंवार वंश में भूमि माप की सबसे बड़ी इकाई – ज्यूला 

पंवार कालीन टकसाल स्थित है – श्रीनगर 

पंवार वंश में दस (10) टका होता था – एक तिमासी 

पंवार वंश में चालीस (40) टका होता था – एक गढ़वाली रुपया

पंवार वंश (Paurav Dynasty)

 

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कत्यूरी शासकों की प्रशासनिक व्यवस्था

कत्यूरी शासकों की प्रशासनिक व्यवस्था
(Administrative System of Katyuri Rulers)

कत्यूरी शासकों की प्रशासनिक व्यवस्था का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि राजा सर्वोच्च शासक, देवतुल्य एवं केन्द्रीय प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी था। मंत्रिपरिषद तथा समस्त राजकीय पदाधिकारियों की नियुक्ति राजा द्वारा होती थी। राजा मंत्रिपरिषद की सहायता से शासन व्यवस्था का संचालन करता था। 

कत्यूरी शासनकाल में प्रान्त अनेक विषयों में विभक्त थे। कत्यूरी अभिलेखों में चार विषयों – कार्तिकेयपुर, टंकणपुर, अन्तरागविषय एवं एशाल विषय का उल्लेख है। राज्य की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी। ग्राम में महामनुष्य तथा मुकद्दम नामक अधिकारी नियुक्त थे। पाण्डुकेश्वर ताम्रपत्र में कत्यूरी राज्य के केन्द्रीय तथा प्रान्तीय अधिकारियों की निम्नलिखित सूची दी गयी है – 

कत्यूरी शासनकाल के अधिकारी व उनके कार्य 

अधिकारि कार्य 
अविनियोग स्थान  दैविक शासक 
राजा  शासक 
राजन्वयक  राजकुमार 
राजामात्य राज मंत्री 
सामन्त मंडलिक राजा 
महासामन्त  सेनापति 
महाकृता कतृक  उच्च निरीक्षक 
महादण्डनायक  प्रधान न्यायाधीश 
महाप्रतिहार  प्रधान रक्षक 
प्रमातारा  सर्वेयर 
सरभंग  तीरंदाज 
उदाधिक  अधीक्षक
कुमारामात्य  राजकुमारों के मंत्री 
दुःसाध्य साधनिक  कठिन कार्य हल करने 
दोषापराधिक  अपराधों की जॉच करने 
चौरोधरणिक चोरो को पकड़ने वाले
सौलकिक चुंगी वसूल करने वाला 
गौलमिक सैनिक 
पट्टकोपचारिक  राजकीय वस्त्रों के रक्षक 
हस्तश्वष्ष्ट्रपाल  हाथी,घोड़े,ऊटों के रक्षक 
व्यापितृक मंत्री या राजदूत 
दण्डिक आसा बरदार 
दंडपाशिक नाजिर 
विषय-व्यापितृक  जिला मंत्री 
गमागमी पत्रवाहक 
भोगपति प्रान्तीय शासक 
अमित्वर मानिक  शीघ्रगामी दूत 
राजस्थानिक राजभवन के अफसर 
विषयापति जिलाधीश 
खंडपति मोहल्लों के अधिकारी 
तारापति नावों के अधिकारी 
अश्वपति रिसाले के अधिकारी 
खंडरक्ष स्थानापति  सीमापाल 
वर्मपालक सड़क के रक्षक 
कोशपाल खजान्ची 
घट्टपाल घाटियों के रक्षक 
महामनुष्य प्रतिष्ठित पुरूष 
वर्णिक व्यापारी 
अष्टादशप्रकृताधिकष्ठानीय  अठारह विभागों के निरीक्षक 
भट् महोत्तम सबसे ज्यादा विद्वान पुरूष

 

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