पंवार वंश की वंशावली वैकेट के अनुसार (Panwar Dynasty) | TheExamPillar
Lineage of Panwar Dynasty

पंवार वंश की वंशावली वैकेट के अनुसार

वैकेट वंशावली (पंवार वंश की वंशावली)
(
Lineage of Panwar Dynasty)

पंवार राजवंश (Panwar dynasty) के शासकों की अनेक विद्वानों द्वारा अलग-अलग वंशावलियाँ दी गई हैं जैसे- वैकेट, विलिम्स, अल्मोड़ा से प्राप्त वंशावली,मौलाराम सभासार में दी गई वंशावली, हुड़कियों द्वारा दी गई वशांवली आदि। इससे ऐसा लगता है कि कनकपाल ही इस वंश (Panwar dynasty) का संस्थापक था और अजयपाल के राजा बनने के पश्चात् पंवार राज्य (Panwar State) का विस्तार हुआ। इसके अतिरिक्त सभी वंशावलियाँ आधार स्वरुप एक ही लगती हैं इनमें से यहाँ वैकेट द्वारा दी गई वंशावली इस प्रकार है –

क्र.सं. राजा का नाम राज्यकाल मृत्यु आयु मृत्यु तिथि
1 कनकपाल 11 51 756
2 श्यामपाल 23 60 782
3 पाण्डुपाल 31 45 813
4 अविगत पाल 25 31 838
5 सीगलपाल 20 24 858
6 रतनपाल 49 69 907
7 सालीपाल 08 17 915
8 विधिपाल 20 20 935
9 मदन पाल 17 22 952
10 भक्तिपाल 25 31 977
11 जयचन्द्र पाल 29 36 1006
12 पृथ्वीपाल 24 40 1030
13 मदनपाल II 22 30 1052
14 अगस्तिपाल 20 33 1072
15 सुरतिपाल 22 36 1084
16 जयत सिंह पाल 19 30 1113
17 अनन्तपाल I 16 24 1129
18 आभदपाल I 12 20 1141
19 विभोगपाल 18 22 1159
20 सुमाजनपाल 14 20 1173
21 विक्रमपाल 15 24 1188
22 विचित्रपाल 10 23 1198
23 हंसा पाल 11 20 1209
24 सोन पाल 07 19 1216
25 कांदिलपाल 05 21 1221
26 कामदेवपाल 15 24 1236
27 सालखारी देव 18 30 1254
28 लखन देव 23 32 1277
29 अनन्तपाल II 21 29 1298
30 पूरब देव 19 33 1317
31 अभयदेव 07 21 1324
32 जयरामदेव 23 24 1347
33 असलदेव 09 21 1356
34 जगतपाल 12 19 1368
35 जीतपाल 19 24 1387
36 आन्नदपाल II 28 41 1415
37 अजयपाल 31 59 1446
38 कल्याण शाह 09 40 1455
39 सुन्दर पाल 15 35 1470
40 हंसदेवपाल 13 24 1483
41 विजयपाल 11 21 1494
42 सहजपाल 36 45 1530
43 बलभद्र शाह 25 41 1555
44 मानशाह 20 39 1575
45 स्यामशाह 09 31 1584
46 महिपत शाह 25 65 1609
47 पृथ्वीशाह 62 70 1671
48 मेदिनीशाह 46 62 1717
49 फतेशाह 48 51 1765
50 उपेन्द्रशाह 01 22 1766
51 प्रदीप शाह 63 70 1829
52 ललितशाह 08 30 1837
53 जफरत शाह 06 23 1843
54 प्रद्युम्न शाह 18 29 1861

उक्त वंशावली व अन्य मतों के अनुसार यह कहा जा सकता है कि लगभग 888 ई. में कनकपाल ने ही चाँदपुर गढ़ी में पंवार वंश (Panwar dynasty) की स्थापना की थी जिसका विस्तार आगे चलकर उसके उत्तराधिकारियों ने किया तथा चाँदपुर गढ़ी से राजधानी देवलगढ़ फिर वर्तमान श्रीनगर गढ़वाल में स्थापित की थी। परन्तु अधिक जानकारी या वर्णन न मिल पाने के कारण कनकपाल व उसके उत्तराधिकरियों के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन करना सम्भव नहीं है अर्थात कनकपाल के बारे में छुट-पुट जानकारी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं मिलता है।

अजयपाल व उसके आगे अन्तिम पंवार शासक प्रद्युम्न शाह तक विस्तार से जानकारी उपलब्ध है अजयपाल ने पंवार साम्राज्य का जिस प्रकार विस्तार किया उससे यह कहने में अतिसयोक्ति नहीं होगी कि अजयपाल ही पंवार वंश (Panwar dynasty) का वास्तवित संस्थापक था।

 अजयपाल व उसका शासन काल

पंवार राजवंश (Panwar dynasty) के वास्तविक संस्थापक अजयपाल की राज्यारोहण की तिथि के सम्बन्ध में इतिहासकारों में मतभेद है। सभी ने भिन्न-भिन्न तिथियाँ दी हुई हैं जैसे सी. मैवलडफ, ओकले/गैरोला, अठकिन्सन, वैकेट, रतूड़ी व डबराल आदि। इन सभी के द्वारा दी गई तिथियों का अध्ययन करने के पश्चात् ऐसा प्रतीत होता है कि अजयपाल का शासनकाल 1500 ई. से 1547 ई. के मध्य रहा होगा, इसी बीच उसने राजधानी परिवर्तन, राज्य विस्तार, शासन प्रबन्ध, वाहय राज्यों से सम्बन्ध व अनेक निर्माण कार्य करवायें।

राज्यारोहण के पश्चात् जब अजयपाल चाँदपुर गढ़ी के सीमा विस्तार में प्रयासरत था तभी कुमाऊँ का चंद शासक कीर्तिचंद भी अपने राज्य विस्तार में प्रयत्नशील था। डोटी (नेपाल) नरेशों के विरुद्ध सफलता नही मिल पाने के कारण उसने गढ़वाल पर आक्रमण कर सफलता हासिल की थी। इस प्रकार कीर्तिचंद का सोर व सीरा छोड़ पूरे कुमाऊँ पर अधिकर के साथ-साथ गढ़वाल राज्य के बड़े हिस्से पर भी अधिकार हो गया था।

कुछ समय पश्चात् कीर्तिचंद ने गढ़ (गढ़वाल) नरेश के साथ संधि कर उसका राज्य उसे लौटा दिया, परन्तु उसके एवज में गढ़ नरेश को कर देने हेतु बाध्य किया था जो कर राजा महिपत शाह से पूर्व तक के राजा कुमाऊँ नरेश को देते आ रहे थे। यद्यपि इस बात पर इतिहासकारों में मतभेद भी है।

अजयपाल का राज्य विस्तार/शासन प्रबन्ध

पंवार राज्य (Panwar State) की स्थापना से पूर्व गढ़ राज्य छोटी-छोटी इकाईयों में बंटा हुआ था। जिनके खण्डहर गढ़ (किले) वर्तमान में भी वहाँ मौजूद हैं। विविध मतानुसार यह माना जाता है कि अजयपाल ने गढ़वाल के 48 गढ़ियों के 48 राजाओं को परास्त कर गढ़राज्य का विस्तार किया था। तत्पश्चात् उसके उत्तराधिकारियों ने भी देहरादून, उत्तरकाशी वाले क्षेत्र तक गढ़ राज्य का विस्तार किया। परन्तु इस संगठित गढ़ राज्य का वास्तविक संस्थापक का श्रेय अजयपाल को ही दिया जा सकता है क्योंकि उसीने छोटी-छोटी राजनीतिक इकाईयों को जीतकर गढ़राज्य को स्थापित किया था।

राजधानी

अजयपाल से पूर्व पंवार शासकों (Panwar dynasty) की राजधानी चॉदपुर गढ़ी में थी। कुमाऊँ नरेश कीर्तिचंद से पराजित होने पर पंवार शासकों (Panwar dynasty) ने अपनी राजधानी देवलगढ़ स्थानान्तरित की। सम्भवतः 1512 या उससे पूर्व में अजयपाल ने राजधानी देवलगढ़ से श्रीनगर परिवर्तित की, जो 1804 ई. तक राजधीन बनी रही। जिसका मूल कारण समतल भूमि व गढ़राज्य का केन्द्र स्थल होना था।

निर्माण कार्य

अजयपाल द्वारा श्रीनगर में विशाल राजप्रासाद का निर्माण गढ़ी के रुप में करवाया था जिसके तीन मुख्य भाग थे। दरवाजे में कलाकृतियाँ संजोयी गई थी। निर्माण में पत्थरों का ही प्रयोग किया गया था। जैसे- खिड़की, दरवाजे आदि। पानी एवं अन्य सुविधाओं हेतु राजप्रासाद से अलकनंदा नदी तक सुरंग निर्माण भी करवाया गया था। चारों ओर उद्यान विकसित किये गये। परन्तु यह विरासत अब असतित्व में नहीं है क्योंकि 1803 के भूकम्प में यह ध्वस्त हो गया था। उसी के बराबर में अजयपाल द्वारा एक सभामण्डल का निर्माण भी करवाया गया था भैरव मंदिर व राजराजेश्वरी के यन्त्र की स्थापना भी की थी। अनेक मूर्तियों का निर्माण भी करवाया गया जिनमें मुख्य शिव व गौरी की मूर्तियाँ थी।

Source –

  • पाण्डे, बदरी दत्त : कुमाऊँ का इतिहास, अल्मोड़ा बुक डिपो अल्मोड़ा, 1990–1997
  • डबराल, शिवप्रसादः उत्तराखण्ड का इतिहास, भाग- 1-4, वीरगाथा प्रकाशन, दोगड्डा, 1967-71
  • डबराल, शिवप्रसाद : उत्तराखण्ड का इतिहास (गढ़वाल नवीन इतिहास), 1000-1804 ई., भाग- 12, वीरगाथा प्रकाशन, दोगड्डा , श्री कृर्म द्वादशी, 2044
  • कठोच, यशवन्त सिंह : उत्तराखण्ड का नवीन इतिहास, बिनसर पब्लिशिंग कम्पनी- देहरादून, 2010
  • जोशी, एम.पी. : उत्तराचंल, कुमाऊँ-गढ़वाल, अल्मोड़ा बुक डिपो, अल्मोड़ा, 1990
  • नेगी, एस.एस. : मध्य हिमालय का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, 1988

पंवार वंश (Paurav Dynasty)

 

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2 Comments

  1. I am Virender Singh Panwar Village Pawai Patti shetonshu Post office Pawai District pauri garhwal Uttarakhand

  2. मे नरेश पाल सिंह पंवार ठिकाना डीपरी चंबल कोटा राजस्थान से हु
    जय माता दी सा

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