41. भारतीय परिसीमा अधिनियम, 1963 की कौन सी धारा के अन्तर्गत उन दशाओं में समय का अपवर्जन किया जाना उपबन्धित है जिनमें अकिंचन के रूप में वाद लाने या अपील करने के लिए आवेदन किया गया है ?
(1) धारा 11
(2) धारा 12
(3) धारा 13
(4) धारा 14
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42. परिसीमा अधिनियम 1963 की धारा 15 के प्रावधान किस पर लागू नहीं होते :
(1) वाद पर
(2) एक डिक्री के निष्पादन के आवेदन पर
(3) अपील पर
(4) ये सभी
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43. परिसीमा अधिनियम, 1963 की धारा 14 के अन्तर्गत बिना अधिकारिता वाले न्यायालय सद्भावना पूर्वक की गयी कार्यवाही में लगे समय का अपवर्जन होता है । इस धारा में कौन सी अधिकारिता का आशय है ?
(1) आर्थिक
(2) प्रादेशिक
(3) विषय वस्तु से सम्बन्धित
(4) ये सभी
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44. स्थावर सम्पत्ति के कब्जे के सम्बन्ध में वाद लाने हेतु समय-सीमा क्या है ?
(1) 1 वर्ष
(2) 3 वर्ष
(3) 12 वर्ष
(4) 30 वर्ष
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45. न्यास के रूप में हस्तांतरित या वसीयत की गयी और तत्पश्चात न्यासी द्वारा मूल्यवान प्रतिभलार्थ अन्तरित की गयी जंगम सम्पत्ति के कब्जे के प्रत्युद्धरण हेतु वाद की समय सीमा क्या है ?
(1) तीन वर्ष
(2) छः वर्ष
(3) नौ वर्ष
(4) बारह वर्ष
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46. बन्धकदार द्वारा पुरोबन्ध के लिए वाद की समय-सीमा क्या है ?
(1) तीन वर्ष
(2) बीस वर्ष
(3) तीस वर्ष
(4) चालीस वर्ष
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47. किसी एक पक्षीय पारित डिक्री को अपास्त कराने के लिए आवेदन की समय सीमा क्या है ?
(1) पन्द्रह दिन
(2) तीस दिन
(3) साठ दिन
(4) नब्बे दिन
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48. परिसीमा अधिनियम 1963 की किस धारा में सुखाधिकारों का चिरभोग द्वारा अर्जन उपबन्धित किया गया है ?
(1) धारा 25
(2) धारा 26
(3) धारा 27
(4) धारा 28
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49. परिसीमा अधिनियम के अन्तर्गत एक डिक्री या आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील करने की समय-सीमा क्या है ?
(1) 60 दिन
(2) 90 दिन
(3) 120 दिन
(4) 180 दिन
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50. जहाँ किसी वाद को दायर करने के लिए परिसीमा अधिनियम 1963 के अन्तर्गत कोई समय-सीमा नहीं दी गयी है वहाँ उसकी समय सीमा क्या होगी?
(1) एक वर्ष
(2) दो वर्ष
(3) तीन वर्ष
(4) छ: वर्ष
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51. परिसीमा अधिनियम 1963 की कौन सी धारा कपट या भूल से सम्बन्धित प्रावधान बताती है ?
(1) धारा 15
(2) धारा 16
(3) धारा 17
(4) धारा 18
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52. सजातीय से तात्पर्य है
(1) अन्य प्रकार
(3) उसी प्रकार
(2) अन्य प्रकार से
(4) उपरोक्त सभी
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53. केसस ओमिसस (casus omissus) से आप क्या समझते हैं ?
(1) न्यायालयों को संविधियों में कमियों की पूर्ति करने का अधिकार नहीं है ।
(2) अमान्य से मान्य करना अच्छा है।
(3) संविधि को उसके सम्पूर्ण रूप में पढ़ा जाना चाहिए।
(4) विशेष अधिनियम साधारण विधि पर प्रभावी नहीं रहेगा।
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54. “Noscitur a socilis” (साहचर्येण ज्ञायते) नोसिटर ए सोसिलिस का क्या अर्थ है ?
(1) तथ्यों का ज्ञान नहीं होना तो क्षम्य है परन्तु कानून के ज्ञान से अनभिज्ञ होना क्षम्य नहीं है
(2) सजाति अर्थात् उसी प्रकार का होना
(3) सहचर्य से जानना
(4) ये सभी
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55. छद्म विधायन के सिद्धान्त का क्या अभिप्राय है ?
(1) जो प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया जा सकता वह अप्रत्यक्ष रूप से भी नहीं किया जा सकता।
(2) जो प्रत्यक्ष रूप से किया जा सकता है वह अप्रत्यक्ष रूप में नहीं किया जा सकता।
(3) जिसे अप्रत्यक्ष रूप से किया जा सकता है उसे प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया जा सकता।
(4) ये सभी
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56. संविधियों के निर्वचन की शक्ति किसमें निहित है ?
(1) संसद
(2) न्यायालय
(3) राज्य विधायिका
(4) राज्य परिषद
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57. अट रिस मैजिस वैलियट कम् पेरियट (ut res magis valeat quam pereat) से आप क्या समझते हो ?
(1) अमान्य से मान्य करना अच्छा है ।
(2) न्यायालयों को संविधियों में कमियों की पूर्ति करने का अधिकार नहीं है ।
(3) संविधियों के उपबन्धों को पालन करने की बाध्यता होती है।
(4) ये सभी
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58. प्रत्यायोजित विधान क्या है ?
(1) संसद द्वारा बनाया गया कानून ।
(2) न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय ।
(3) उस प्राधिकारी द्वारा निर्मित कानून जिसे संसद ने प्रत्यायोजन की शक्ति दी है ।
(4) इनमें से कोई नहीं
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59. प्रत्यायोजित विधान पर उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णीत सबसे पहला वाद कौन सा है ?
(1) किंग इम्परर बनाम बनवारी लाल शर्मा
(2) रि देलही लॉज ऐक्ट
(3) यतीन्द्रनाथ बनाम बिहार राज्य
(4) हरीशंकर बागला बनाम मध्य प्रदेश राज्य
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60. निर्वचन का प्रथम प्रमुख सिद्धान्त कौन सा है ?
(1) शाब्दिक निर्वचन का सिद्धांत
(2) रिष्टि का सिद्धान्त
(3) स्वर्णिम नियम
(4) सामंजस्यपूर्ण अर्थान्वयन
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