कीर्तिशाह (1892 – 1913 ई0) (Kirtishah) अपने पिता की मृत्यु के अवसर पर कीर्तिशाह अल्पायु थे। अतः उनके व्यस्क होने तक रानी गुलेरी के संरक्षण में मंत्रियों की एक समिति
सुदर्शनशाह (1815 – 1859 ई0) (Sudarshan Shah) प्रद्युम्नशाह गढ़वाल राज्य के अन्तिम पंवार शासक थे। खुड़बुड़ा के युद्ध में उनकी मृत्यु हुई । सुदर्शनशाह ने भागीरथी एवं भिलंगना नदी के
गढ़वाल नरेश प्रद्युम्नशाह खुड़बुड़ा के युद्ध में गोरखों से अन्तिम रूप से पराजित हुए और वीरगति को प्राप्त हुए। राजकुमार प्रीतमशाह बन्दी बनाकर नेपाल भेज दिए गए। कुवंर पराकमशाह ने
उत्तराखंड सड़क तंत्र (Uttarakhand Road Network) उत्तराखंड की जटिल भौगोलिक संरचना (Complex Geological Structure) के कारण लगभग 40% भू-भाग पर अभी भी सड़कों का विकास न होने के बावजूद राज्य के
चंद राजाओं के समय में पुलिस प्रबन्ध थोकदारों व प्रधानों के हाथों में होता था। तराई क्षेत्र में मेवाती व हेड़ी मुस्लमान पुलिस का कार्य सम्पन्न करते थे। गोरखों का
हेनरी रामजे हेनरी रामजे ने लगभग 44 वर्षों तक विभिन्न पदों पर ब्रिटिश कुमाऊँ में कार्य किया। इसमें से 28 वर्ष वे कुमाऊँ के छठे कमिश्नर रहे। इसके अतिरिक्त वे
कर्नल जार्ज गोबान कुमाऊँ के तृतीय कमिश्नर के रूप में कर्नल जार्ज गोबान की अप्रैल 1836 में नियुक्ति हुई। शीतकालीन भ्रमण पर आए बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य राबर्ट मार्टिन्स बर्ड
उत्तराखण्ड राज्य को गोरखों से हस्तगत करने के पश्चात् अंग्रेजों ने अपनी पूर्व नियोजित योजना के तहत इस विजित क्षेत्र का विभाजन दो भागों में कर दिया। अलकनन्दा नदी से
उत्तराखण्ड हिमालय के उत्तर में ट्रान्स हिमालयी जैक्सर श्रेणियाँ, भारत तथा तिब्बत की जल – विभाजक रेखा बनाती हैं। इन श्रेणियों के मध्य आर-पार जाने के अनेक मार्ग हैं। इन
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