पंवार वंश (Panwar Dynasty) कत्यूरी वंश के पतन के पश्चात् यदि पंवार (Panwar) कालीन गढ़वाल की बात की जाय तो सर्व प्रमुख यह उभरकर आता है कि वहाँ पंवार वंश (Panwar dynasty) का विस्तार किस प्रकार हुआ? क्योंकि पंवार वंश (Panwar dynasty) से पूर्व गढ़वाल सहित समूचे उत्तराखण्ड में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल था। क्षेत्र…
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उत्तराखण्ड में पौरव-वर्मन राजंवश का इतिहास
पौरव-वर्मन राजंवश (Paurav Varman Dynasty) कुणिन्दों के उपरांत उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के इतिहास की जानकारी के लिए हमारे पास अधिक साक्ष्य नहीं हैं, हमें नहीं मालूम कि समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में वर्णित कर्त्तपुर का शासक कौन था। गुप्त और हर्ष के अभिलेखों में उत्तराखण्ड (Uttarakhand) से संबंधित केवल छिटपुट उल्लेख मिलते हैं। चौथी सदी ईस्वी…
उत्तराखण्ड में कुणिन्द राजवंश का इतिहास
कुणिन्द राजवंश का इतिहास (History of Kunind Dynasty) उत्तराखण्ड के विभिन्न भागों से कुणिन्दों (Kunind Dynasty) द्वारा जारी सिक्के मिलते हैं । इस दृष्टि से अल्मोड़ा जनपद का विशेष स्थान है, यहाँ से न केवल कुणिन्दों के अन्य भांति के सिक्के प्रकाश में आये हैं, वरन् विद्वानों ने कुणिन्द–सिक्कों के एक विशेष प्रकार को “अल्मोड़ा भांति…
उत्तराखंड मे कत्यूरी राजवंश का इतिहास
कत्यूरी वंश की स्थापना एवं इतिहास डा. ताराचन्द्र त्रिपाठी के अनुसार तालेश्वर तथा पाण्डुकेश्वर के दान पत्रों से कार्तिकेयपुर राज्य की अनेक प्रशासनिक इकाइयों और उनमें स्थित स्थानों का उल्लेख मिलता है। तालेश्वर दान पत्रों में कार्तिकेयपुर के अन्तर्गत वर्णित सभी स्थान कत्यूर घाटी में विद्यमान हैं। अतः यह निश्चित है कि कार्तिकेयपुर नरेशों के…
उत्तराखण्ड के प्राचीनतम निवासी (Oldest inhabitants of Uttarakhand)
उत्तराखण्ड के आदि निवासी प्रसिद्ध पाश्चात्य विद्वान ग्रियर्सन का मत है कि गढ़वाल तथा कुमाऊँ के आदि निवासी किरात थे। प्राचीन ग्रन्थों में पतित पावनी गंगा नदी एवं जगत माता दुर्गा, पार्वती को भी ‘किराती’ नाम से सम्बोधित किया है। संस्कृत ‘कृ’ तथा ‘अत्’ से किरात शब्द बना है। अतः स्पष्ट है कि यह किरात…
उत्तराखण्ड का प्राचीन इतिहास (Ancient history of Uttarakhand)
उत्तराखंड का ऐतिहासिक काल उत्तराखण्ड में ऐसे अनेक पुरातात्विक साक्ष्य प्राप्त होते हैं, जिनके आधार पर यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि यह क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से ही मानवीय गतिविधियों से सम्बद्ध रहा है। उत्तराखण्ड के इतिहास को दो चरणों प्राग ऐतिहासिक काल एवं ऐतिहासिक काल में विभाजित किया गया है। पुरातत्व…
कुमाऊँ और गढ़वाल नामों की उत्पत्ति
कुमाऊँ और गढ़वाल के नामों की उत्पत्ति का इतिहास कुमाऊँ शब्द की उत्पत्ति कुमाऊँ शब्द की उत्पत्ति में यह किंवदन्ति प्रचलित है कि पिथौरागढ़ जिले की चम्पावत तहसील में ‘कानदेव’ नामक पहाड़ी पर भगवान ने कूर्म का रूप धारण कर तीन सहस्त्र वर्ष तक तपस्या की। हाहा, हूहू देवतागण तथा नारदादि मुनीश्वरों ने उनकी प्रशस्ति…
उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना
संरचनात्मक दृष्टि से देखें तो दक्षिण से उत्तर की ओर हिमालय समग्र रूप में सात पेटियों (तराई, भाभर, दून, शिवालिक, लघु हिमालय, बृहत हिमालय तथा ट्रांस हिमालय) में विभक्त है। यह पेटियाँ, भ्रंश या दरारों द्वारा एक-दूसरे से पृथक हैं, जो भूगर्भिक दृष्टि से अत्यंत दुर्बल तथा संवेदनशील हैं। स्थिति एवं विस्तार उत्तराखण्ड, 28°43′ से…
उत्तराखंड के प्रमुख संस्थान
उत्तराखंड के प्रमुख संस्थान व उनकी स्थपना वर्ष (Major Institutions of Uttarakhand) संस्थान स्थान स्थापना वर्ष केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (Central Building Research Institute) रुड़की (हरिद्वार) 1947 संरचनात्मक इंजीनियरिंग अनुसंधान केंद्र (Structural Engineering Research Center) रुड़की (हरिद्वार) 1965 भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (Indian Institute of Petroleum) देहरादून 1960 भारतीय सर्वेक्षण विभाग (Survey of India) देहरादून 1767 वाडिया…
उत्तराखण्ड के प्रथम व्यक्ति विभिन्न क्षेत्रों में
1. उत्तराखण्ड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे ? 2. उत्तराखण्ड राज्य (उत्तरांचल) के प्रथम राज्यपाल कौन थे ? 3. उत्तराखण्ड राज्य के ‘प्रथम पुलिस महानिदेशक’ कौन थे ? 4. उत्तराखण्ड की ‘प्रथम महिला पुलिस महानिदेशक’ कौन थी ? 5. उत्तराखण्ड के प्रथम ‘लोक आयुक्त’ कौन थे ? 6. उत्तराखण्ड के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त…