रियासत टिहरी (पाक्षिक) (Riyasat Tehri (Half Monthly)) प्रकाशित – सन् 1901 ई0 सन् 1901 में टिहरी रियासत के तत्कालीन राजा कीर्तिशाह पंवार ने राजधानी टिहरी में रियासत का पहला मुद्रणालय स्थापित किया। इस प्रिन्टिंग प्रेस में ‘रियासत टिहरी’ नामक एक पाक्षिक पत्र प्रकाशित किया गया। यह पत्र एक प्रकार से रियासत का गजट मात्र था।…
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उत्तराखण्ड में पत्रकारिता का पहला चरण (1842-1870)
28 वर्षों का यह काल खण्ड उत्तराखण्ड में पत्रकारिता (Journalism) का प्रारम्भिक दौर था। इसी काल में अंग्रेजों द्वारा मंसूरी में पत्रकारिता की पाठशाला की नीवं रखी गई। इस काल में उत्तराखण्ड में जितने भी समाचार-पत्र प्रकाशित हुए वे सभी मंसूरी से प्रकाशित हुए तथा सभी का संचालन व सम्पादन (Operation and Editing) अंग्रेजों द्वारा…
उत्तराखण्ड में पत्रकारिता के विकास का इतिहास
भारत में सर्वप्रथम प्रिन्टिंग प्रेस (Printing Press) लाने का श्रेय पुर्तगालियों (Portuguese) को जाता है। सर्वप्रथम मुगल बादशाह अकबर के शासन काल में सन् 1557 में पुर्तगाली मिशनरी द्वारा पहला प्रिंटिंग प्रेस गोवा में स्थापित किया गया। 1557 में गोवा के पादरियों ने अपनी पहली पुस्तक भारत में छापी। सन् 1870 में अल्मोड़ा में पहली…
उत्तराखण्ड की प्रमुख पत्रिकाएँ
उत्तराखण्ड की पत्रकारिता के इतिहास के प्रमुख पत्रिकाएँ, उनके संपादक और प्रकाशित वर्ष – पत्रिका प्रकाशित सम्पादन भाषा हिल्स सन् 1842 जॉन मेकिनन, डॉ0 स्मिथ अंग्रेज़ी मेफिसलाइट सन् 1850 मि0 जान लेंग अंग्रेज़ी समय विनोद सन् 1868 जयदत्त जोशी हिन्दी मंसूरी एक्सचेंज सन् 1870 अंग्रेज़ी अल्मोड़ा अखबार सन् 1871 बुद्धिबल्लभ पंत, मुंशी इम्तियाज अली, जीवानन्द…
सकलाना विद्रोह एवं कीर्तिनगर आन्दोलन
टिहरी रियासत के साथ में अंग्रेजो ने एक छोटी सी जागीर को भी जोड़ा। 700 वर्ग किमी में टिहरी के पश्चिम और देहरादून के उत्तरपूर्व स्थित यह क्षेत्र सकलियाना जागीर के नाम से जानी जाती थी। इस क्षेत्र के मुऑफीदार शिवराम एवं काशीराम ने गोरखों के विरूद्ध अंग्रेजों को सहायता दी थी। अतः अंग्रेजो ने…
प्रजामण्डल का गठन एवं श्रीदेव सुमन
रवांई काण्ड के पश्चात् टिहरी राज्य में जन-आक्रोश में वृद्धि हुई। इसी का परिणाम था, 1935 ई0 में सकलाना पट्टी के उनियाल गाँव में सत्यप्रसाद रतूड़ी द्वारा ‘बाल सभा’ की स्थापना की। सभा का उद्देश्य – छात्र-छात्राओं में राष्ट्रीयता का प्रचार-प्रसार करना था। 1936 ई0 दिल्ली में ‘गढ़देश सेवा संघ’ की स्थापना हुई। 1938 ई0 को दिल्ली…
रवांई कांड अथवा तिलाडी कांड
30 मई 1930 को टिहरी रियासत (Tehri Principality) की सेना ने यमुना नदी तट पर स्थिति तिलाड़ी के मैदान में एकत्रित रवांई क्षेत्र की क्षुब्ध जनता पर गोलियों की बरसात कर दी। इस खून की होली से बरबस जलियांवाला बाग की घटना याद आती है। इसी कारण इस रक्तरंजित घटना को टिहरी रियासत के इतिहास…
टिहरी रियासत की प्रशासनिक व्यवस्था
टिहरी रियासत (Tehri Principality) में शासन व्यवस्था प्राचीन परम्पराओं एवं आदर्शो पर आधारित थी। राजा इस व्यवस्था के केन्द्र में होता था किन्तु वह निरंकुश नहीं था। वह अपने मंत्रिमण्डल के परामर्श से ही प्रशासन चलाता था। राज्य की समस्त प्राकृतिक, स्थावर एवं जंगम सम्पति, भूमि, वन, खनिज इत्यादि सभी पर राजा का अधिकार माना जाता…
टिहरी रियासत के राजा Part – 2
कीर्तिशाह (1892 – 1913 ई0) (Kirtishah) अपने पिता की मृत्यु के अवसर पर कीर्तिशाह अल्पायु थे। अतः उनके व्यस्क होने तक रानी गुलेरी के संरक्षण में मंत्रियों की एक समिति का गठन शासन चलाने के लिए किया गया। कीर्तिशाह ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा बरेली में एवं उसके उपरान्त मेयो कॉलेज जयपुर से ग्रहण की। 1892…
टिहरी रियासत के राजा Part – 1
सुदर्शनशाह (1815 – 1859 ई0) (Sudarshan Shah) प्रद्युम्नशाह गढ़वाल राज्य के अन्तिम पंवार शासक थे। खुड़बुड़ा के युद्ध में उनकी मृत्यु हुई । सुदर्शनशाह ने भागीरथी एवं भिलंगना नदी के संगम स्थल पर गणेश प्रयाग (त्रिहरि) नामक स्थल पर अपनी राजधानी की स्थापना करवाई। इससे पूर्व इस स्थल पर मछुआरों की कुछ झोपड़ी पड़ी थी…