1857 के विद्रोह के बाद, अगस्त 1858 को ब्रिटिश संसद ने एक अधिनियम पारित जिसके द्वारा कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया गया था । भारत में ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण ब्रिटिश क्राउन को हस्तांतरित किया गया और लार्ड कैनिंग को भारत का पहला वायसराय (The Viceroy of India) बनाया गया था।
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भारत के वायसराय (The Viceroy of India)
लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning)
कार्यकाल – 1856 – 62 ई.
- लॉर्ड कैनिंग अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अन्तिम गवर्नर-जनरल तथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन प्रथम वायसराय था।
- इसके समय में ही 1857 ई. का महत्वपूर्ण विद्रोह हुआ।
- 1858 ई. में महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा द्वारा भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन की समाप्ति की गई।
- बिहार, आगरा तथा मध्य प्रान्त में 1859 ई. का किराया अधिनियम लागू हुआ।
- भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 ई. के अन्तर्गत कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई।
- सैन्य सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने भारतीय सैनिकों की संख्या घटाते हुए तोपखाने के अधिकार को उनके हाथों से छीन लिया।
- वुइस डिस्पैच की सिफारिशों के आधार पर 1857 ई. में लन्दन विश्वविद्यालय की तर्ज पर कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में विश्वविद्यालय स्थापित किए गए।
- आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कैनिंग ने ब्रिटिश अर्थशास्त्री विल्सन को भारत बुलाया तथा ₹ 500 से अधिक आय पर आयकर लगा दिया।
- विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ई. में व भारतीय दण्ड संहिता की स्थापना 1861 ई. में कैनिंग के ही समय में हुई।
- इसके काल में ही नमक पर कर लगाए जाने का सुझाव रखा गया।
लॉर्ड एल्गिन (Lord Elgin)
कार्यकाल – 1862 – 63 ई.
- भारत में आने से पूर्व वह कनाडा तथा जमैका के गवर्नर के रूप में भी कार्य कर चुका था।
- उसके कार्यकाल में वहाबियों का विद्रोह हुआ। उसे वहाबियों के आन्दोलन को दबाने में सफलता प्राप्त हुई। सर्वोच्च एवं सदर न्यायालयों को उच्च न्यायालय के साथ शामिल कर दिया गया।
- लॉर्ड एल्गिन ने बनारस, कानपुर, आगरा तथा अम्बाला में अनेक दरबार आयोजित किए। इन दरबारों का उद्देश्य भारतीय रियासतों को ब्रिटिश सरकार के समीप लाना था।
- इसकी मृत्यु 1863 ई. में धर्मशाला (तत्कालीन पंजाब) में हुई।
सर जॉन लॉरेन्स (Sir John Lawrence)
कार्यकाल – 1864 – 69 ई.
- सर जॉन लॉरन्स को “भारत का रक्षक तथा विजय का संचालक कहा जाता है।”
- पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिलाए जाने के पश्चात वह चीफ कमिश्नर नियुक्त किया गया।
- अफगानिस्तान के सन्दर्भ में उसने अहस्तक्षेप की नीति का पालन किया तथा तत्कालीन शासक शेर अली से दोस्ती की।
- 1865 ई. में भूटानियों ने ब्रिटिश साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया।
- उसके समय में 1866 ई. में उड़ीसा में तथा 1868-69 ई. में बन्देलखण्ड एवं राजपूताना में भीषण अकाल पड़ा।
- सर जॉर्ज कैम्पबेल के नेतृत्व में अकाल आयोग नियुक्त किया गया, जो अकालों का मुकाबला करने के सबसे सफल उपायों पर विचार कर सके।
- लॉरेन्स के काल में 1865 ई. में भारत एवं यूरोप के बीच प्रथम समुद्री टेलीग्राफ सेवा आरम्भ हुई।
- इसी के काल में 1868 ई. में पंजाब तथा अवध के काश्तकारी अधिनियम पारित हुए थे।
लॉर्ड मेयो (Lord Mayo)
कार्यकाल – 1869 – 72 ई.
- लॉर्ड मेयो ने भारत में वित्त के विकेन्द्रीकरण को आरम्भ किया। उसने बजट घाटे को कम किया, आयकर की दर को 1% से बढ़ाकर 2.5% कर दिया।
- 1870 ई. में लाल सागर होकर तार व्यवस्था का प्रारम्भ किया।
- अखिल भारतीय जनगणना का पहला प्रयास 1872 ई. में किया गया।
- 1872 ई. में उसने एक कृषि विभाग की स्थापना की।
- ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के द्वितीय पुत्र ड्यूक ऑफ एडिनबरा ने लॉर्ड मेयो के कार्यकाल में ही 1869 ई. में भारत यात्रा की थी।
- लॉर्ड मेयो के काल से ही राज्य रेलवे स्थापना की शुरुआत की गई।
- मेयो ने भारतीय नरेशों के बालकों की शिक्षा के लिए अजमेर में मेयो कॉलेज की स्थापना की।
- अण्डमान द्वीप में 1872 ई. में एक पठान ने लॉर्ड मेयो की हत्या कर दी।
लॉर्ड नॉर्थबुक (Lord Northbrook)
कार्यकाल – 1872- 76 ई.
- 1873 ई. में उसने अफगानिस्तान के राजदूत से बातचीत की, किन्तु अपनी ओर से कुछ भी आश्वासन देने से इन्कार कर दिया।
- 1876 ई. में उसने त्याग-पत्र दे दिया, क्योंकि अफगानिस्तान की नीति के सम्बन्ध में उसके विचार डिजरैली को सरकार से नहीं मिलते थे।
- इसके समय में पंजाब का प्रसिद्ध कूका आन्दोलन हुआ।
- 1873-74 ई. में बिहार में तथा बंगाल के एक भाग में अकाल पड़ा।
- लोगों के कष्टों को कम करने के लिए बहुत-सा रुपया व्यय किया गया।
- 1875 ई. में अलीगढ़ में सैयद अहमद खाँ द्वारा मोहम्मडन एंग्लो ओरियण्टल कॉलेज की स्थापना तथा नॉर्थब्रुक द्वारा उसे ₹ 10000 दान दिया गया।
- लॉर्ड नॉर्थब्रक के समय प्रिन्स ऑफ वेल्स (किंग एडवर्ड सप्तम) भारत आए।
- इसके समय में बड़ौदा के राजा मल्हार राव गायकवाड़ को भ्रष्टाचार एवं कुशासन का आरोप लगाकर सिंहासन से हटाकर उसके भाई के दत्तक पुत्र को 1875 ई. में राजा बना दिया गया।
लॉर्ड लिटन (Lord Lytton)
कार्यकाल – 1876 – 80 ई.
- लॉर्ड लिटन एक महान् लेखक तथा प्रतिभावान वक्ता था। साहित्य जगत में वह “ओवन मैरिडिथ” के नाम से प्रसिद्ध था, लॉर्ड लिटन भारतीय अदालतों की इस मनोवृत्ति का विरोधी था, जिसके अनुसार उन मामलों में, जिनमें यूरोपीय अपराधी होते थे, उन्हें नरम दण्ड दिए जाते थे, उसके समय में द्वितीय आंग्ल-अफगान युद्ध (1878-80 ई.) लड़ा गया था।
भीषण अकाल (Severe Famine)
- 1876 – 78 ई. में मदास, बम्बई, मैसूर, हैदराबाद, पंजाब, मध्य भारत के कुछ भागों में भारी अकाल पड़ा।
- अकाल के कारण लभग 50 लाख लोग काल के ग्रास बन गए। लिटन ने अकाल के कारण की जाँच के लिए रिचर्ड स्ट्रेची की अध्यक्षता में अकाल आयोग की स्थापना की। इस आयोग ने प्रत्येक प्रान्त में अकाल कोष बनाने की सलाह दी।
दिल्ली दरबार का आयोजन (Delhi Durbar Organized)
- अकाल की भयानक स्थिति के बाद दिल्ली में 1 जनवरी, 1877 को ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को कैसर-ए-हिन्द की उपाधि से सम्मानित करने के लिए दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया।
राज उपाधि अधिनियम (Royalty Act)
- लॉर्ड लिटन के काल में अंग्रेजी संसद ने, महारानी विक्टोरिया को कैसर-ए-हिन्द की उपाधि देने के लिए राज उपाधि अधिनियम, 1876 पारित किया था।
मुक्त व्यापार नीति को प्रोत्साहन (Encourage Free Trade Policy)
- लॉर्ड लिटन ने मुक्त व्यापार नीति का अनुसरण किया। उसने 29 वस्तुओं पर से आयात कर हटा दिया।
- उसने सूती कपड़े पर 50% का कर हटाया, इसका परिणाम यह हुआ कि समुद्री व्यापार में आशातीत वृद्धि हुई।
वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट (Vernacular Press Act)
- 1878 ई. अधिनियम द्वारा भारतीय भाषा में समाचार-पत्रों को प्रतिबन्धित कर दिया गया। इस अधिनियम को गलाघोंट अधिनियम भी कहा गया।
भारतीय शस्त्र अधिनियम (Indian Arms Act)
- 1878 ई. में लॉर्ड लिटन के समय में 11वें अधिनियम के द्वारा किसी भारतीय के लिए बिना लाइसेन्स शस्त्र रखना अथवा उसका व्यापार करना एक दण्डनीय अपराध मान लिया गया।
वैधानिक नागरिक सेवा (Statutory Civil Service)
- लॉर्ड लिटन द्वारा 1879 ई. में वैधानिक नागरिक सेवा की स्थापना की गई। इसके द्वारा यह व्यवस्था की गई कि अब तक जिन पदों पर नियमित नागरिक सेवाओं के सदस्य काम करते थे, उन पर वायसराय तथा भारतीय मन्त्री द्वारा स्वीकृत व्यक्ति ही नियुक्त किए जायेंगे।
- लिटन ने भारतीय सिविल सेवा में भारतीयों के प्रवेश की अधिकतम आयु को 21 से घटाकर 19 वर्ष कर दिया।
- लिटन ने अलीगढ़ में एक मुस्लिम-एंग्लो प्राच्य महाविद्यालय की स्थापना की।
लॉर्ड रिपन (Lord Ripon)
कार्यकाल – 1880 – 84 ई.
- लॉर्ड रिपन ग्लैडस्टन युग का एक सच्चा व उदार व्यक्ति था।
- यह भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय गवर्नर-जनरल था, उसका राजनैतिक दृष्टिकोण लॉर्ड लिटन से अत्यन्त विपरीत था।
- 1852 ई. में उन्होंने एक पुस्तिका ‘इस युग का कर्तव्य’ लिखी थी।
- उन्होंने एक बार कहा था मेरा मूल्यांकन मेरे कार्यों से करना, शब्दों से नहीं।
- फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने रिपन को “भारत के उद्धारक” की संज्ञा दी थी और उसके शासनकाल को भारत में स्वर्ण युग का आरम्भ कहा।
हण्टर कमीशन का गठन (Constitution of Hunter Commission)
- रिपन ने शैक्षिक सुधारों के अन्तर्गत 1882 ई. में विलियम हण्टर के नेतृत्व में हण्टर कमीशन का गठन किया।
- आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में प्राइमरी और माध्यमिक स्कूली शिक्षा की उपेक्षा की गई है, परन्तु विश्वविद्यालय की शिक्षा पर अपेक्षाकृत अधिक ध्यान दिया गया है।
नियमित जनगणना की शुरूआत (Start of Regular Census)
- 1872 ई. में प्रथम जनगणना मेयो के शासनकाल में शुरू हुई, किन्तु प्रथम वास्तविक जनगणना रिपन के काल में 1881 ई. में हुई।
स्थानीय स्वशासन की शुरूआत (Introduction of Local Self-Government)
- रिपन के सुधार कार्यों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य स्थानीय स्वशासन की शुरूआत थी।
- इसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय बोर्ड गए गए, जिले में जिला उप. विभाग, तहसील बोर्ड बनाने की योजना बनी। नगरों में नगरपालिका का गठन किया गया एवं इन्हें कार्य करने की स्वतन्त्रता एवं आय प्राप्त करने के साधन उपलब्ध कराए गए।
प्रथम फैक्ट्री अधिनियम (First Factory Act)
- प्रथम फैक्ट्री अधिनियम लॉर्ड रिपन के समय में 1881 ई. में पारित हुआ।
वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट की समाप्ति (End of Vernacular Press Act)
- लॉर्ड रिपन ने अपने सुधार कार्यों के तहत सर्वप्रथम समाचार-पत्रों की स्वतन्त्रता को बहाल करते हुए 1882 ई. में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को समाप्त कर दिया।
इल्बर्ट बिल विवाद (Ilbert Bill Dispute)
- 1884 ई. में इल्बर्ट बिल विवाद रिपन के समय में हुआ।
- इल्बर्ट भारत सरकार का विधि सदस्य था। इल्बर्ट बिल विधेयक में फौजदारी दण्ड व्यवस्था में प्रचलित भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया गया था।
- भारतीय न्यायाधीशों को इल्बर्ट विधेयक में यूरोपीय मुकदमों को सुनने का अधिकार दिया गया। भारत में रहने वाले अंग्रेजों ने इस बिल पर आपत्ति जताई, जिसके कारण रिपन को इस विधेयक को वापस लेकर संशोधन करके पुनः प्रस्तुत करना पड़ा ।
- इस विधेयक पर हुए वाद-विवाद के कारण ही रिपन ने कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व त्याग-पत्र दे दिया।
स्वतन्त्र व्यापारिक नीति (Free Trade Policy)
- लॉर्ड रिपन ने स्वतन्त्र व्यापारिक नीति को पूर्ण किया।
- इस नीति को लॉर्ड नार्थ बुक तथा लिटन ने प्रारम्भ किया था। 1882 ई. में सम्पूर्ण भारत में नमक पर कर कम कर दिया गया।
लॉर्ड डफरिन (Lord Dufferin)
कार्यकाल – 1884- 88 ई.
- डफरिन के काल की महत्वपूर्ण घटना तृतीय आंग्ल-बर्मा युद्ध (1885-88 ई.) था। इस युद्ध में बर्मा पराजित हुआ।
- 1885 ई. में बंगाल में टेनेन्सी एक्ट पारित हुआ, जिसके अन्तर्गत अब जमींदार अपनी इच्छानुसार किसानों की भूमि नहीं छीन सकते थे।
- डफरिन के काल में लेडी डफरिन फण्ड व 1887 ई. में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। उसी के काल में 1885 ई. में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।
लॉर्ड लैंसडाउन (Lord Lansdowne)
कार्यकाल – 1888 – 94 ई.
- लॉर्ड लैंसडाउन के काल में कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह द्वारा राजगद्दी का परित्याग एवं प्रिन्स ऑफ वेल्स का दूसरी बार भारत आगमन हुआ।
- इसी के काल में 1891 ई. में दूसरा फैक्ट्री अधिनियम पारित हुआ। 1892 ई. इण्डियन काउन्सिल एक्ट पारित किया गया, जिसके द्वारा भारत में निर्वाचन का सिद्धान्त आरम्भ हुआ।
- लैंसडाउन के समय में सर इण्ड की अध्यक्षता में एक शिष्टमण्डल अफगानिस्तान भेजा गया। उनके प्रयास से भारत और अफगानिस्तान के मध्य सीमा का निर्धारण हुआ, जिसे इण्ड रेखा के नाम से जाना जाता है।
- मणिपुर में हुए विद्रोह को दबाने का श्रेय भी लॉर्ड लैंसडाउन को जाता है। लॉर्ड लैंसडाउन के काल में भारतीय रियासतों की सेनाओं को संगठित करके उन्हें साम्राज्य सेवा सेना नाम दिया गया था।
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय (Lord Elgin II)
कार्यकाल – 1894 – 99 ई.
- 1896 ई. तथा 1898 ई. के मध्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार तथा पंजाब के हिसार जिले में भयंकर अकाल पड़ा।
- 1898 ई. में अकालों के सम्बन्ध में जाँच के लिए सर जेम्स लायल की अध्यक्षता में एक आयोग नियुक्त किया गया।
- लॉर्ड एल्गिन द्वितीय के काल में स्वामी विवेकानन्द द्वारा वेल्लूर में रामकृष्ण मिशन और मठ की स्थापना हुई।
- इसके समय में भारत सरकार को अफीम की उत्पत्ति की समस्या के सम्बन्ध में भी कार्रवाई करनी पड़ी
- 1893 ई. में एक अफीम आयोग नियुक्त किया गया था, जिसका काम अफीम के प्रयोग से जनता के स्वास्थ्य पर प्रभाव के सम्बन्ध में जाँच करना था।
- बम्बई में 1897 ई. में पूना में चापेकर बन्धुओं ने आयर्स्ट तथा रैण्ड नामक अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर दी।
- एल्गिन ने भारत के विषय में कहा था कि ‘भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है, और तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जाएगी।’