लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon)
कार्यकाल – 1899 – 1905 ई.
- भारत का गवर्नर-जनरल बनने से पहले कर्जन ने भारत के उपमन्त्री के रूप में कार्य किया था।
- उसने छ: वर्ष भारत में व्यतीत किए। भारत में वायसराय के रूप में लॉर्ड कर्जन का कार्यकाल काफी उथल-पुथल भरा रहा है।
विदेश नीति (Foreign Policy)
- कर्जन ने नए प्रान्त उत्तर-पश्चिम सीमा प्रान्त का गठन किया। उसने तिब्बत के गुरु दलाईलामा पर रूस की ओर झुकाव का आरोप लगाकर तिब्बत में हस्तक्षेप किया।
- 1903 ई. में कर्नल यंग हसबैण्ड के नेतृत्व में गई सेना ने तिब्बतियों से सन्धि की, जिसके परिणामस्वरूप तिब्बत ने 11 लाख वार्षिक दर से ₹75 लाख युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में देना स्वीकार तो कर लिया, परन्तु इसकी जमानत के रूप में भारत सरकार ने भूटान एवं सिक्किम के बीच स्थित चुम्बी घाटी पर 75 वर्षों के लिए अपना अधिकार कर लिया।
शिक्षा-सुधार (Education Reform)
- लॉर्ड कर्जन ने सर थॉमस रैले के अधीन 1902 ई. में विश्वविद्यालयों में आवश्यक सुधारों हेतु सुझाव देने के लिए एक आयोग का गठन किया।
- आयोग की सिफारिश के आधार पर 1904 ई. में भारतीय विश्वविद्यालय विधेयक पारित किया गया।
नौकरशाही में सुधार (Bureaucratic Reform)
- लॉर्ड कर्जन ने सभी विभागों को प्रेरित किया कि वे निजी परामर्श के द्वारा अपने कार्य को निपटा लिया करें, लम्बे मतभेदों से बचकर नोट आदि लिखने की परिपाटी तथा निर्णयों तक पहुँचने में होने वाली देर से बचें।
पुलिस सुधार (Police Reform)
- कर्जन ने 1902 ई. में सर एण्ड्यू फ्रेजर की अध्यक्षता में एक पुलिस आयोग गठित किया, ताकि प्रत्येक प्रान्त के पुलिस प्रशासन की जाँच-पड़ताल की जा सके।
- 1903 ई. में पुलिस विभाग में CID (Criminal Investigation Department) की स्थापना की गई।
अकाल (Famine)
- अकाल के समय लॉर्ड कर्जन ने स्वयं संकटग्रस्त क्षेत्रों का भ्रमण किया तथा प्रत्येक क्षेत्र में सहायता के लिए कहा।
- मैक्डोनॉल्ड की अध्यक्षता में एक आयोग की नियुक्ति हुई, जिसका कार्य अकाल-सहायता की व्यवस्था को योग्यतापूर्वक चलाने के सम्बन्ध में सिफारिशें करना था।
कृषि (Agriculture)
- कर्जन ने कृषि बैंक तथा सहकारी समितियों की स्थापना की, ताकि कृषकों को साहूकारों के अत्याचारों से बचाया जा सके।
- उसने बंगाल में कृषि अनुसन्धान संस्था स्थापित की, जिससे कषि की मौलिक समस्याओं को हल करने में सहायता प्रदान की जाए।
- 1901 ई. में भारत में सिंचाई की समस्या का अध्ययन करने के लिए एक आयोग की नियुक्ति हुई। सर कॉलिन स्कॉट मानक्रीफ को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- 1904 ई. में सहकारी उधार समिति अधिनियम पेश हुआ, जिसमें कम व्याज दर पर उधार की व्यवस्था की गई।
- इसके अतिरिक्त एक साम्राज्यीय कृषि विभाग स्थापित किया गया, जिसमें कृषि, पशुधन एवं कृषि के विकास के लिए वैज्ञानिक प्रणाली के प्रयोग को प्रोत्साहित किया गया।
रेलवे (Railway)
- लॉर्ड कर्जन ने भारत में रेलों की पद्धति के सम्बन्ध में रिपोर्ट करने के लिए सर थॉमस रॉबर्टसन को नियुक्त किया। उसने सम्पूर्ण पद्धति के पूर्ण परिवर्तन की सिफारिश की। उसने वाणिज्य उपक्रम के आधार पर रेल लाइनों के विकास पर बल दिया।
- कर्जन ने ‘कलकत्ता निगम अधिनियम, 1899 ई.’ के द्वारा चुने जाने वाले सदस्यों की संख्या में कमी कर दी, परन्तु निगम एवं उसकी समितियों में अंग्रेज लोगों की संख्या बढ़ा दी गई।
- परिणाम यह हुआ कि कलकत्ता नगर निगम मात्र एक एंग्लो-इण्डियन सभा के रूप में ही रहा गया।
किचनर विवाद (Kitchener Controversy)
- 1900 ई. में लॉर्ड किचनर भारत का सेनाध्यक्ष बनकर आया। यह अत्यन्त महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। देशी नरेशों के राजकुमारों के सैनिकों के लिए उसने इम्पीरियल कैडेट कोर की स्थापना की।
- किचनर से विवाद के कारण 1905 ई. में कर्जन ने त्याग-पत्र दे दिया।
बंगाल विभाजन (Bengal Partition)
- राष्ट्रीय आन्दोलन को दबाने व कमजोर करने के उद्देश्य से कर्जन ने 1905 ई. में बंगाल को दो भागों में बाँट दिया। पूर्वी बंगाल तथा असम का एक नया प्रान्त बनाया गया, जिसमें पुराने बंगाल के 15 जिलों में असम तथा चटगाँव को मिला दिया गया। इस नए प्रान्त का क्षेत्रफल 106,000 वर्गमील तथा जनसंख्या लगभग 310 लाख लगभग थी।
- कर्जन का यह विभाजन फूट डालो और राज करो की नीति पर आधारित था। उसने इस कार्य के द्वारा हिन्दू और मुसलमानों में मतभेद करने का प्रयत्न किया, परन्तु इस विभाजन के विरोध में इतनी आवाजें उठी कि 1911 ई. में इस विभाजन को समाप्त करने की घोषणा करनी पड़ी, जो 1912 ई. में कार्य रूप में परिणत हुआ।
लॉर्ड मिण्टो द्वितीय (Lord Minto II)
कार्यकाल – 1905 – 10 ई.
- लॉर्ड मिण्टो द्वितीय के समय की एक महत्वपूर्ण घटना 1907 ई. का आंग्ल-रूसी प्रतिनिधि सम्मेलन है। इसके द्वारा इंग्लैण्ड तथा रूस के मध्य सभी शेष मतभेद सुलझा लिए गए तथा दोनों देश एक-दूसरे के समीप आ गए।
- मुस्लिम लीग का गठन (1906 ई.)
- 1906 ई. में कलकत्ता अधिवेशन में कांग्रेस द्वारा अपना लक्ष्य स्वराज घोषित किया गया।
- खुदीराम बोस को फाँसी, तिलक को 6 वर्ष का कारावास।
- समाचार-पत्र अधिनियम (प्रेस एक्ट), 1908 पारित।
- चीन के साथ अफीम का व्यापार बन्द किया गया।
- मार्ले-मिण्टो सुधार या इण्डियन काउन्सिल एक्ट, 1909 पारित।
लॉर्ड हॉर्डिंग द्वितीय (Lord Hardinge II)
कार्यकाल – 1910 – 16 ई.
- ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम ने 1911 ई. में भारत की यात्रा की। दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन 12 दिसम्बर, 1911 ई. को हुआ।
- दिल्ली दरबार के दौरान बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया गया तथा भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली हस्तान्तरित करने की घोषणा की गई।
- असम का शासन पृथक् रूप से एक मुख्य आयुक्त के अधीन कर दिया गया।
- 23 दिसम्बर, 1912 ई. को दिल्ली में अधिकृत रूप से प्रवेश करते समय लॉर्ड हॉर्डिंग पर बम फेंका गया, जिसमें वह घायल हुआ।
- 1916 ई. में लॉर्ड हॉर्डिंग द्वितीय को ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ का कुलाधिपति नियुक्त किया गया।
- 1913 ई. में ब्रिटिश शासन द्वारा शैक्षिक सुधार सम्बन्धी प्रस्ताव।
- 4 अगस्त, 1914 ई. को प्रथम विश्वयुद्ध का प्रारम्भ।
- 1915 ई. में गाँधी का भारत वापस आना।
लॉर्ड चेम्सफोर्ड (Lord Chelmsford)
कार्यकाल – 1916 – 21 ई.
- प्रथम विश्वयुद्ध के समय लॉर्ड चेम्सफोर्ड भारत में गवर्नर-जनरल के रूप में आने से पूर्व आस्ट्रेलिया के एक राज्य में काम कर चुका था।
- होमरूल लीग का गठन, 1916 ई. में पूना में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना।
- 1917 ई. में शिक्षा पर सैडलर आयोग की नियुक्ति।
- 1919 ई. का रॉलेट एक्ट पारित हुआ।
- प्रसिद्ध जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड 13 अप्रैल, 1919 को हुआ।
- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. लाया गया।
- खिलाफत आन्दोलन, गाँधीजी के सत्याग्रह की शुरुआत, तृतीय अफगान युद्ध।
- एस. पी. सिन्हा बिहार के लेफ्टिनेण्ट गवर्नर बने। इस पद पर पहुंचने वाले वे प्रथम भारतीय थे।
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना ।
- गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन की शुरूआत (1 अगस्त, 1920 ई.)।
लॉर्ड रीडिंग (Lord Reading)
कार्यकाल – 1921 – 26 ई.
- भारत आने वाला वह एकमात्र यहूदी वायसराय था।
- यह इंग्लैण्ड में उच्च न्यायाधीश जैसे सर्वोच्च पद पर भी पहुँचा था।
- एकवर्थ कमीशन की अनुशंसा पर रेल बजट को आम बजट से अलग किया गया।
- सैन्य सुधारों के लिए इण्डियन सैण्डहर्स्ट समिति का गठन किया गया।
- वर्ष 1924 ई. में लोक सेवा के लिए ली आयोग का गठन किया गया, जिसकी अनुशंसा पर भारत में लोक सेवा आयोग का गठन किया गया।
- मुडीमैन समिति की रिपोर्ट को लॉर्ड रीडिंग के काल में सार्वजनिक किया या।
- 1924 ई. में कानपुर में अखिल भारतीय साम्यवादी दल का गठन किया गया था।
- 9 अगस्त, 1925 ई.का काकोरी काण्ड।
लॉर्ड इरविन (Lord Irwin)
कार्यकाल – 1926 – 31 ई.
- 8 नवम्बर, 1927 ई. को ब्रिटेन में साइमन आयोग की नियुक्ति हुई। इसके कार्यकाल में 1928 ई. में साइमन कमीशन भारत आया।
- 1928 ई. में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। इस समिति की रिपोर्ट को नेहरू रिपोर्ट नाम दिया गया।
- नेहरू रिपोर्ट के विरोध में 1929 ई. में जिन्ना ने अपनी 14 सूत्रीय माँग प्रस्तुत की।
- 1928 ई. में रॉयल कमीशन की (कृषि सम्बन्धित) नियुक्ति।
- 1929 ई. में ‘इम्पीरियल काउन्सिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च’ की स्थापना हुई।
- 31 दिसम्बर, 1929 ई. को कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज्य’ की घोषणा की।
- 26 जनवरी, 1930 ई. को सम्पूर्ण देश में स्वतन्त्रता दिवस का आयोजन।
- 12 मार्च, 1930 ई. को गांधीजी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया गया।
- साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए लन्दन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन।
- 5 मार्च, 1931 ई. को गाँधी-इरविन समझौता।
लॉर्ड विलिंग्टन (Lord Willingdon)
कार्यकाल – 1931 – 36 ई.
- भारत में गवर्नर-जनरल के रूप में नियुक्त होने से पहले विलिंग्टन बम्बई तथा मद्रास के गवर्नर के रूप में भी कार्य कर चुका था।
- इसके कार्यकाल में ही 1 सितम्बर से दिसम्बर, 1931 ई. तक द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन लन्दन में हुआ।
- इस सम्मेलन में गांधीजी ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया, परन्तु साम्प्रदायिक समस्या के बारे में कोई समझौता न हो सका।
- अगस्त, 1932 ई. में रैम्जे मैकडोनॉल्ड ने प्रसिद्ध साम्प्रदायिक निर्णय की घोषणा कर दी।
- यरवदा जेल में बन्द महात्मा गाँधी ने उसका दृढ़ विरोध किया। फलस्वरूप पूना समझौते पर हस्ताक्षर हुए तथा इस समझौते ने दलित जातियों के प्रश्न पर साम्प्रदायिक निर्णय में परिवर्तन कर दिया।
- तृतीय गोलमेज सम्मेलन का दिसम्बर, 1932 ई. में आयोजन ।
- 1932 ई. में इण्डियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून की स्थापना।
- कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली द्वारा पाकिस्तान शब्द का प्रयोग।
- 1935 ई. में भारत सरकार का अधिनियम स्वीकृत।
- 1935 ई. में बर्मा का भारत से अलग होना।
- 1936 ई. में अखिल भारतीय किसान सभा का गठन।
- 1936 ई. में बिहार तथा क्वेटा में भूकम्प आया।
लॉर्ड लिनलिथगो (Lord Linlithgow)
कार्यकाल – 1936 – 44 ई.
- भारत सरकार के 1935 ई, के अधिनियम का ढाँचा बनाने में उसका महत्वपूर्ण योगदान था। उसे उस कानून को क्रियान्वित करने के लिए भारत भेजा गया था, जिसके निर्माण में उसने सहायता की थी।
- 1935 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत पहला आम चुनाव 1936-37 ई. में हुआ।
- 1 सितम्बर, 1939 ई. को द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रारम्भ हुआ। इस युद्ध में भारतीयों का सक्रिय सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से लॉर्ड लिनलिथगो ने भारतीय नेताओं के समक्ष अगस्त प्रस्ताव (8 अगस्त, 1940 ई.) रखा, जिसमें भारतीयों को प्रलोभित करने वाले अनेक प्रस्ताव थे।
- पहली बार 1940 ई. में पाकिस्तान की मांग की गई ।
- फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना।
- व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ ।
- 1942 ई. में क्रिप्स मिशन भारत आया।
लॉर्ड वेवेल (Lord Wavell)
कार्यकाल – 1944 – 47 ई.
- द्वितीय विश्वयुद्ध लॉर्ड वेवेल के काल में सफलतापूर्वक समाप्त हुआ।
- शिमला सम्मेलन 25 जून, 1945 ई. को वेवेल द्वारा बुलाया गया, परन्तु जिन्ना की हठधर्मिता के कारण असफल रहा।
- जब इंग्लैण्ड में मजदूरदल शक्ति में आया, तो भारत में प्रान्तीय विधानसभाओं के नए चुनाव कराने की आज्ञा दी गई। मार्च, 1946 ई. में एक मन्त्रिमण्डल दल, जिसमें लॉर्ड पैथिक लोरेन्स, सर स्टेफोर्ड क्रिप्स तथा ए.वी. एलेक्जेण्डर थे, भारत आया।
- इस योजना के अनुसार अन्तरिम सरकार की व्यवस्था की गई थी तथा भारत का संविधान बनाने के लिए कार्य-पद्धति पर विचार किया गया था।
- 1945 ई. में लेबर सरकार सत्ता में आई, जिसके प्रधानमंत्री क्लीमेण्ट एटली थे ।
- नवम्बर, 1945 ई. में आजाद हिन्द फौज के सैनिकों पर लाल किले में मुकदमा चला।
- बम्बई में 18 फरवरी, 1946 ई. को नौसैनिकों द्वारा विद्रोह।
- 16 अगस्त, 1946 ई. को मुस्लिम लीग द्वारा सीधी कार्यवाही दिवस का आयोजन।
- 2 सितम्बर, 1946 ई. को पण्डित नेहरू ने अन्तरिम सरकार बनाई।
- 9 दिसम्बर, 1946 ई. को संविधान सभा की प्रथम बैठक।
- तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेण्ट एटली ने भारत को जून, 1948 ई. के पहले स्वतन्त्र करने की घोषणा की।
लॉर्ड माउण्टबेटन (Lord Mountbatten)
कार्यकाल – 1947 – 48 ई.
- 3 जून, 1947 ई. को माउण्टबेटन प्लान की घोषणा की गई, जिसमें भारत विभाजन की योजना थी।
- 4 जुलाई, 1947 ई. को एटली द्वारा भारतीय स्वतन्त्रता विधेयक ब्रिटिश संसद में प्रस्तुत किया गया तथा 18 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद द्वारा पारित कर दिया गया। विधेयक के अनुसार भारत और पाकिस्तान नामक दो स्वतन्त्र राष्ट्रों के निर्माण की घोषणा की गई।
- 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारत स्वतन्त्र हुआ।
- स्वतन्त्रता के बाद लॉर्ड माउण्टबेटन को स्वतन्त्र भारत का प्रथम गवर्नर-जनरल बनाया गया।
सी. राजगोपालाचारी (C. Rajagopalachari)
कार्यकाल – 1948 – 50 ई.
- 1948 ई. से जनवरी, 1950 ई. तक सी. राजगोपालाचारी भारत के गवर्नर-जनरल रहे।
- उनके काल में 26 नवम्बर, 1949 ई. को संविधान सभा द्वारा भारत का संविधान अंगीकृत किया गया तथा 26 जनवरी, 1950 ई. को लागू किया गया, वह भारत के अन्तिम गवर्नर-जनरल थे।
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