Sadler University Commission (1917–19)

सैडलर विश्वविद्यालय कमीशन (1917-19)

सैडलर विश्वविद्यालय कमीशन (1917-19)
(Sadler University Commission (1917–19))

कलकत्ता विश्वविद्यालय में सर आशुतोष मुकर्जी के प्रयत्नों से स्नातकोत्तर विभाग खोला गया। अत: सरकार ने कलकत्ता विश्वविद्यालय की जाँच के लिए 14 सितम्बर 1917 को कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग की नियुक्ति की। इस आयोग के सभापति माइकेल सैडलर थे इस कारण इसको ‘सैडलर कमीशन (Sadler Commission)’ के नाम से भी पुकारते हैं। आयोग का मुख्य उद्देश्य कलकत्ता विश्वविद्यालय की दशा और आवश्यकताओं की जाँच करना और उससे सम्बन्धित समस्याओं का उचित रीति से समाधान करके सुधार के लिए सुझाव देना था। इस कमीशन ने विश्वविद्यालय शिक्षा संबंधी ही नहीं अपितु माध्यमिक शिक्षा सम्बन्धी भी सुझाव दिये। उसके मुख्य सुझाव निम्नवत थे – 

  • माध्यमिक शिक्षा बारह वर्ष में पूर्ण हो । हाई स्कूल की परीक्षा के पश्चात् विदयार्थी दो वर्ष इन्टरमीडिएट में शिक्षा प्राप्त करे। उसके पश्चात उसे विश्वविद्यालय में प्रवेश प्राप्त हों । इन्टरमीडिएट की शिक्षा हाई स्कूलों के साथ सम्मिलित की जा सकती थी अथवा उसकी पृथक व्यवस्था भी की जा सकती थी । इस शिक्षा की अवस्था के लिये प्रत्येक प्रांत में एक हाई स्कूल और इन्टरमीडिएट बोर्ड की स्थापना की जाये । 
  • स्नातक श्रेणी (Degree Course) की शिक्षा अधिकतम तीन वर्ष की हो तथा पास कोर्स (B.A. Pass) और ऑनर्स कोर्स (B.A. Honours) की शिक्षा पृथक की जाये । 
  • धीरे-धीरे विश्वविद्यालय ऐसे बनाये जायें जहाँ शिक्षा और विद्यार्थियों के रहने की व्यवस्था हो ।
  • स्त्री शिक्षा को बढ़ाया जाये । 
  • अध्यापकों की शिक्षा के लिये स्कूल तथा कॉलेज (Teachers Training Institutes) खोले जाये।
  • वैज्ञानिक तथा तकनीकी शिक्षा का विस्तार किया जाये।
  • मुसलमानों को शिक्षण क्षेत्र में विशेष प्रोत्साहन दिया जाये तथा उनके हितों की सुरक्षा के प्रबंध किये जायें । 

आयोग का सुझाव था कि विश्वविद्यालय शिक्षा का सुधार करने से पूर्व माध्यमिक शिक्षा का सुधार करना आवश्यक है, क्योंकि माध्यमिक शिक्षा, विश्वविद्यालय शिक्षा की महत्वपूर्ण कड़ी है। यह सत्य है कि कलकत्ता आयोग के सुझावों विश्वविद्यालय शिक्षा के उत्थान का मार्ग प्रदर्शित करते हैं। आयोग के सुझावों के परिणामस्वरूप 1916 मे मैसूर विश्वविद्यालय, 1917 में पटना विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, 1918 में उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद, 1920 में अलीगढ़ विश्वविद्यालय, ढाका विश्वविद्यालय तथा लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद में, जिसकी स्थापना निजाम ने की थी शिक्षा का माध्यम उर्दू रखा ।

1919 मे मौण्टेग्यू चैम्सफोर्ड सुधारों के अंतर्गत प्रांतों में शिक्षा विभाग लोक निर्वाचित मंत्री के नियंत्रण में दे दिया गया । केन्द्रीय सरकार ने शिक्षा में रूचि लेना बन्द कर दिया अनुदान भी बंद कर दिया गया । वित्तीय कठिनाइयों के कारण प्रांतीय सरकारों ने शिक्षा योजनाओं को हाथ में नहीं लिया। 

 

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