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उत्तराखंड राज्य की सांस्कृतिक संस्थाएँ व उनका गठन

उत्तराखंड राज्य की सांस्कृतिक संस्थाएँ, उनका गठन व उद्देश्य
(Cultural Institutions of Uttarakhand, their Formation and Objectives)

संस्थान  गठन (वर्ष)  उद्देश्य
श्रीराम सेवक सभा, नैनीताल 1918 नन्दादेवी और रामलीला आयोजन हेतु। 
भातखण्डे संगीत महाविद्यालय 1926 भारतीय शास्त्रीय संगीत की विद्या को बढ़ावा देना, इसके अन्तर्गत – देहरादून, अल्मोड़ा और पौड़ी में तीन महाविद्यालयों की स्थापना की गई।
श्री हरि कीर्तन सभा, नैनीताल 1940 शास्त्रीय एवं वाद्य संगीत में प्रशिक्षण, लोकनृत्य एवं लोकनाट्य के विकास को बढ़ावा देना। 
बोट हाउस क्लब, नैनीताल 1948 डोंगी की दौड़, नावों की दौड़, नृत्य एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।
संस्कृत कला केन्द्र, हल्द्वानी 1957 पारम्परिक भारतीय संगीत एवं नाटक को लोकप्रिय बनाना।
पर्वतीय कला केन्द्र, दिल्ली 1968 प्रदेश के कलाकारों को सहयोग एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।
रंगमण्डल, देहरादून एवं अल्मोड़ा 2000 नाट्य एवं लोक कला और कलाकारों को बढ़ावा देना।
नाट्य एवं संगीत अकादमी, अल्मोड़ा 2002 नाट्य एवं संगीत को बढ़ावा देना और उसके विकास में सहायता करना।
उदयशंकर नृत्य व नाट्य अकादमी, अल्मोड़ा 2003 नृत्य एवं नाट्य क्षेत्र को बढ़ावा देना।
संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद्, देहरादून 2004 प्रदेश के सांस्कृतिक विकास, संरक्षण एवं प्रोत्साहन हेतु।
जयराम आश्रम संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार 2005 अकादमिक स्तर की शिक्षा को बढ़ाना, विशेषकर संस्कृत का विकास करना।
हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र, देहरादून 2010 प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत को आधुनिकता प्रदान करना और उसके विकास को बढ़ावा देना। 

 

 

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उत्तराखंड एक जिला दो उत्पाद

उत्तराखंड एक जिला दो उत्पाद योजना के अंतर्गत हर जिले के दो प्रमुख उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। इस उत्पादों की सूची इस प्रकार है – 

उत्तराखंड एक जिला दो उत्पाद
(Uttarakhand One District Two Products)

जनपद चयनित उत्पाद
हरिद्वार गुड़ और शहद
उत्तरकाशी  सेब आधारित उत्पाद और ऊनी हस्तशिल्प उत्पाद
देहरादून बेकरी उत्पाद और मशरूम
नैनीताल ऐपण क्राफ्ट और कैंडल क्राफ्ट
चंपावत  लौह उत्पाद और हाथ से बुने उत्पाद
पौड़ी गढ़वाल हर्बल उत्पाद और वुडन फर्नीचर 
पिथौरागढ़ ऊनी कारपेट और मुनस्यारी राजमा
उधम सिंह नगर मेंथा आयल और मूंज ग्रास प्रोडक्ट 
अल्मोड़ा  ट्वीड और बाल मिठाई 
बागेश्वर तांबे के उत्पाद और मंडुआ बिस्कुट
टिहरी गढ़वाल नेचुरल फाइबर उत्पाद और टिहरी नथ
चमोली हथकरघा एवं हस्तशिल्प और एरोमेटिक हर्बल
रुद्रप्रयाग मंदिर अनुकृति हस्तशिल्प और प्रसाद उत्पाद

 

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नशा नहीं रोजगार दो (Not Intoxicated Give Employment)

उत्तराखण्ड में गोरखा के शासन काल तक शराब का कोई प्रचार-प्रसार नहीं था। उत्तराखंड में कई जनजातियाँ में शराब परम्परागत रुप से जुड़ी होने के बावजूद भी शराब का प्रचलन बहुत कम था। उत्तराखण्ड में ब्रिटिश काल में 1880 के बाद सरकारी शराब की दुकानें खुलने के साथ ही यहां पर शराब का प्रचलन शुरु हुआ। 1882 में जब यह कहा जाने कि यहां पर शराब का प्रचलन बढ़ने लगा है तो तत्कालीन कमिश्नर रामजे ने लिखा था कि “ग्रामीण क्षेत्रों में शराब का प्रयोग बिल्कुल नहीं होता है और मुझे आशा है कि यह कभी नहीं होगा, मुख्य स्टेशनों के अलावा शराब की दुकानें अन्यत्र खुलने नहीं दी जायेंगी”। 

अल्मोड़ा अखबार 2 जनवरी, 1893 ने लिखा “जो लोग शराब के लती हैं, वे तुरन्त ही अपना स्वास्थ्य व सम्पत्ति खोने लगते हैं, यहां तक कि वे चोरी, हत्या तथा अन्य अपराध भी करते हैं, सरकार को लानत है कि वह सिर्फ आबकारी रेवेन्यू की प्राप्ति के लिये इस तरह की स्थिति को शह दे रही है। यह सिफारिश की जाती है कि सभी नशीले पेय और दवाओं पर पूरी तरह रोक लगे।”

स्वतंत्रता संग्राम में देश के अन्य भागों की तरह यहां पर भी शराब के खिलाफ आन्दोलन चलते रहे, 1965 – 67 में सर्वोदय कार्यकर्ताओं द्वारा टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ तक शराब के विरोध में आन्दोलन चलाया, परिणाम स्वरुप कई शराब की भट्टियां बंद कर दी गईं।

1 अप्रैल, 1969 को सरकार ने उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ में शराबबंदी लागू कर दी। 1970 में टिहरी और पौड़ी गढ़वाल में भी शराबबंदी कर दी गई, पर 14 अप्रैल, 1971 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस शराबबंदी को अवैध घोषित कर दिया और उत्तर प्रदेश सरकार मे उच्च्तम न्यायालय में इसके विरुद्ध कुछ करने के बजाय या आबकारी कानून में यथोचित परिवर्तन करने के फौरन शराब के नये लाइसेंस जारी कर दिये। जनता ने इसका तुरन्त विरोध किया। सरला बहन जैसे लोग आगे आये और 20 नवम्बर, 1971 को टिहरी में विराट प्रदर्शन हुआ, गिरफ्तारियां हुई। अन्ततः सरकार ने झुक कर अप्रैल, 1972 से पहाड के पांच जिलों में फिर से शराबबंदी कर दी।

कच्ची शराब कुटीर उद्योग के रुप में फैल चुकी है, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली आदि जनपदों में भोटियाँ जनजातियों के अधिकांश लोगों ने तिब्बत से व्यापार बन्द होने के बाद कच्ची शराब के धन्धे को अपना मुख्य व्यवसाय बना लिया था। इस धन्धे को बखूबी चलने देने के लिये वे पुलिस व आबकारी वालों की इच्छानुसार पैसा खिलाते थे। कच्ची के धन्धे को नेपाल से भारत में आकर जंगलों, बगीचों आदि में काम करने वाले नेपाली मजदूर भी खूब चलाते थे।

1978 में जनता पार्टी का शासन होने पर उत्तर प्रदेश ने आठों पर्वतीय जनपदों में पूर्ण मद्यनिषेध लागू कर दिया था, पर सरकारी तंत्र में शराब बंदी के प्रति कोई आस्था न होने के परिणामस्वरुप शराब बंदी के स्थान पर पहाड़ के गांवों में सुरा, लिक्विड आदि मादक द्रव्य फैल गये और पहाड़ की बर्बादी का एक नया व्यापार शुरु हो गया।

जनवरी 1984 में “जागर” की सांस्कृतिक टोली ने भवाली से लेकर श्रीनगर तक पदयात्रा की और सुरा-शराब का षडयंत्र जनता को समझाया। 1 फरवरी, 1984 को चौखुटिया में जनता ने आबकारी निरीक्षक को अपनी जीप में शराब ले जाते पकड़ा और इसके खिलाफ जनता का सुरा-शराब के पीछे इतने दिनों का गुस्सा एक साथ फूट पड़ा। एक आंदोलन की शुरुआत हुई, 2 फरवरी, 1984 को ग्राम सभा बसभीड़ा में उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी ने एक जनसभा में इस आंदोलन की प्रत्यक्ष घोषणा कर दी। फरवरी के अंत में चौखुटिया में हुये प्रदर्शनों में 5 से 20 हजार जनता ने हिस्सेदारी की।

इसके बाद आंदोलन असाधारण तेजी से समूचे पहाड़ में फैला, जगह-जगह जनता ने सुरा-शराब के अड्डों पर छापा मारा या सड़को-पुलों पर जगह-जगह गाड़ी रोक कर करोड़ों रुपयों की सुरा-शराब पकड़वाई। इस जहरीले व्यापार में लिप्त लोगों का मुंह काला किया गया, प्रदर्शन, नुक्कड़ नाटक, सभायें होती रहीं। महिलाओं ने निडर होकर घर से बाहर निकलना शुरु किया। पहाड़ के ताजा इतिहास में शायद पहली बार किसी आंदोलन में महिलाओं को इतना समर्थन मिला, क्योंकि सुरा-शराब से सबसे ज्यादा महिलायें प्रभावित हो रहीं थीं।

इस बीच पर्यटन की आड़ लेकर सुरा-शराब लाबी ने नैनीताल में आंदोलन का अप्रत्यक्ष रुप से विरोध शुरु करवा दिया। लेकिन इसके विरोध में 17 जून, 1984 को मूसलाधार वर्षा के बीच उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी के आह्वान पर एक ऐतिहासिक प्रदर्शन नैनीताल में हुआ, जिसमें ढोल-नगाड़ों, निशाणों के साथ पहाड़ के कोने-कोने से आये हजारों लोगों ने भागीदारी दी।

उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी इन दिनों, सुरा, बायोटानिक जैसे 10 प्रतिशत से अधिक नशीले द्रव्यों के खिलाफ लाखों लोगों के हस्ताक्षर लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है और साथ ही जहां-जहां सम्भव हो, नगरों में, देहात में, मेलों में, लोक शिक्षण का कार्यक्रम भी चला रही है।

उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी इस आंदोलन को सिर्फ सुरा-शराब के खिलाफ लड़ाई बनाकर नहीं रखना चाहती, इनके मुख्य नारे इस प्रकार थे : – 

‘शराब आन्दोलन’ के घोष वाक्य  – 

“शराब नहीं रोजगार दो”,

“कमाने वाला खायेगा-लूटने वाला जायेगा”,

“फौज-पुलिस-संसद-सरकार, इनका पेशा अत्याचार” 

 

 

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कार्तिकेयपुर राजवंश का इतिहास (History of Kartikeypur Dynasty)

कार्तिकेयपुर राजवंश (700 ई०) (Kartikeypur Dynasty 700 AD)

  • स्थापना – 700 ई.
  • उत्तराखंड का प्रथम ऐतिहासिक राजवंश
  • संस्थापक – बसन्तदेव
  • प्रथम राजधानी – जोशीमठ (चमोली)
  • राजधानी स्थानांतरित – बैजनाथ (बागेश्वर) के पास बैधनाथ-कार्तिकेयपुर (कत्यूर घाटी)।
  • स्रोत – बागेश्वर, कंडारा, पांडुकेश्वर, एवं बैजनाथ आदि स्थानो से प्राप्त ताम्र लेख।
  • देवता – कार्तिकेय
  • वास्तुकला तथा मूर्तिकला के क्षेत्र में यह उत्तराखंड का स्वर्णकाल था।
  • इस राजवंश को उत्तराखंड व मध्य हिमालयी क्षेत्र का प्रथम ऐतिहासिक राजवंश माना जाता है।
  • इतिहासकार लक्ष्मीदत्त जोशी के अनुसार कार्तिकेयपुर के राजा मूलतः अयोध्या के थे।
  • इतिहासकार बद्रीदत्त पांडे के अनुसार कार्तिकेयपुर के राजा सूर्यवंशी थे।

कार्तिकेयपुर राजवंश के परिवार

1. बसंतदेव का राजवंश (कार्तिकेयपुर का प्रथम परिवार)

  • संस्थापक – बसन्तदेव था।
  • स्रोत – बागेश्वर त्रिभूवन राज शिलालेख
  • उपाधि – परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर
  • यह कार्तिकेयपुर राजवंश के प्रथम शासक था।
  • बसन्तदेव ने बागेश्वर समीप एक मंदिर को स्वर्णेश्वर नामक ग्राम दान में दिया था।
  • बागेश्वर, कंडारा, पांडुकेश्वर, एवं बैजनाथ आदि स्थानो से प्राप्त ताम्र लेखों से इस राजवंश के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। 

2. खपरदेव वंश 

  • खर्पर देव वंश का विवरण बागेश्वर लेख में मिलता है।
  • खपरदेव वंश की स्थापना खर्परदेव ने की जो कि कार्तिकेयपुर में बसंतदेव के बाद तीसरी पीढ़ी का शासक था।
  • इसका पुत्र कल्याण राज था।
  • खर्परदेव वंश का अंतिम शासक त्रिभुवन राज था। 

3. निम्बर वंश (कार्तिकेयपुर का द्वितीय परिवार)

  • संस्थापक – निम्बर देव
  • निम्बर वंश का सर्वाधिक उल्लेख – पांडुकेश्वर (जोशीमठ) के ताम्रपत्र में मिलता हैं।
  • पांडुकेश्वर ताम्रपत्र की भाषा – संस्कृत

निम्बर वंश में निम्न शासक हुए – 

1. निम्बर – यह निम्बर वंश का संस्थापक था। इसे शत्रुहन्ता भी कहा गया है।

2. इष्टगण – इसने समस्त उत्तराखंड को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया व कार्तिकेयपुर राज्य की सीमाओं को वर्तमान गढ़वाल कुमाँऊ तक विस्तारित किया।

3. ललितशूर देव

  • यह एक महान निर्माता था।
  • इन सभी राजाओं में सर्वाधिक ताम्रपात्र ललितसुरदेव के प्राप्त हुए।
  • पांडुकेश्वर के ताम्रपत्र में इसे कालिकलंक पंक में मग्न धरती के उद्धार के लिये बराहवतार बताया गया

4. भूदेव –

  • ललितसूरदेव का पुत्र भू-देव निम्बर वंश का अंतिम शासक था।
  • इसने बैजनाथ मंदिर के निर्माण में सहयोग किया।
  • बैजनाथ मंदिर बागेश्वर जिले के गरुड़ तहसील में स्थित है।
  • यह मंदिर 1150 ई० में बनाया गया।

4. सलोड़ादित्य वंश (कार्तिकेयपुर का तीसरा परिवार) 

  • तालेश्वर एवं पांडुकेश्वर के ताम्रपत्र लेखों से ज्ञात होता है कि निम्बर वंश के बाद कार्तिकेयपुर में सलोड़ादित्य वंश के शासन का वर्णन मिलता है।
  • सलोड़ादित्य वंश की स्थापना सलोड़ादित्य के पुत्र इच्छरदेव ने की।
  • इच्छरदेव के बाद इस वंश में देसतदेव, पदमदेव, सुमिक्षराजदेव आदि शासक हुए।
  • सुभिक्षराजदेव के बाद उसके किसी वंशज ने राजधानी कार्तिकेयपुर से कुमाँऊ के गोमती घाटी (कत्यूर घाटी) में स्थानांतरित की, जिसे बैजनाथ शिलालेख में वैधनाथ कार्तिकेयपुर कहा गया है।

शंकराचार्य का उत्तराखण्ड आगमन

  • शंकराचार्य भारत के महान दार्शनिक व धर्मप्रवर्तक थे।
  • शकराचार्य का आगमन उत्तराखंड में कार्तिकेयपुर राजवंश के शासन काल मे हुआ।
  • शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म की पुनः स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • इन्होंने भारतवर्ष में चार मठों की स्थापना की थी –
    (1) ज्योतिर्मठ (बद्रिकाश्रम)
    (2) श्रृंगेरी मठ
    (3) द्वारिका शारदा पीठ
    (4) पुरी गोवर्धन पीठ
  • सन 820 ई० में इन्होंने केदारनाथ में अपने शरीर का त्याग कर दिया था।

कार्तिकेयपुर (कत्यूरी राजवंश राज्य प्रशासन)

पदाधिकारी

  • प्रान्तपाल – सीमाओ की सुरक्षा
  • घट्टपाल – गिरीद्वारों का रक्षक
  • वर्मपाल – सीमावर्ती भागों में आने जाने वाले व्यक्ति पर निगाह रखता था
  • नरपति – नदी घाटों पर आगमन की सुविधा व कर वसूली

सेना व सैन्यधिकारी

सेना सेना नायक
1. पदातिक सेना  गोल्मीक
2.अश्वारोही सेना  अश्वाबलाधिकृत
3. गजारोगी सेना  हस्तिबलाधिकृत
4. उष्ट्रारोहि सेना  उष्ट्रबलाधिकृत 
तीनों आरोही सेना का सर्वोच्च पदाधिकारी – हस्त्यासवोष्ट्रबलाधिकृत

 

पुलिस विभाग के अधिकारी 

  • दोषापराधिक – अपराधी को पकड़ने वाला
  • दुःसाध्यसाधनिक – गुप्तचर विभाग का अधिकारी
  • चोरोद्वरणिक – चोर डाकुओं को पकड़ने वाला

 

कृषि से सम्बंधित अधिकारी 

  • आय साधन – कृषि व वन
  • क्षेत्रपाल – कृषि की उन्नति का ध्यान रखने वाला
  • प्रभातार – भूमि की नाप
  • उपचारिक – भूमि के अभिलेख रखने वाला
  • खण्डपति – वनों की रक्षा करने वाला

 

कर अधिकारी 

  • भोगपति – कर वसूली करने वाला
  • भट्ट और चार – प्रसार – प्रजा से बेगार लेने वाला

 

शासन-प्रशासन

  • राज्य – राजा
  • प्रान्त – उपरिक
  • जिले – विषपति

 

 

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UKSSSC (वाहन चालक, प्रवर्तन चालक, डिस्पैच राइडर) Exam 12 June 2022 (Answer Key)

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC – Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) द्वारा उत्तराखंड समूह ‘ग’ के अंतर्गत (वाहन चालक, प्रवर्तन चालक, डिस्पैच राइडर) की भर्ती परीक्षा का आयोजन दिनांक 12 जून, 2022 को किया गया। इन परीक्षा का प्रश्नपत्र उत्तर कुंजी (Exam Paper With Answer Key) सहित यहाँ पर उपलब्ध है।

UKSSSC (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) organized the Uttarakhand Driver, Enforcement Driver, Dispatch Rider Exam Paper held on 12th June 2022. This Exam Paper (UKSSSC Driver) 2022 Question Paper with Answer Key.

पद नाम वाहन चालक, प्रवर्तन चालक, डिस्पैच राइडर
पद कोड  715/788, 152 To 159, 162, 634, 679, 399/664, 154/440
परीक्षा तिथि 12 June, 2022 (10:00 AM – 11:00 AM)
प्रश्नों की कुल संख्या 50
पेपर सेट C

UKSSSC (Driver, Enforcement Driver, Dispatch Rider) Exam Paper 2022
(Answer Key)

1. द्वाराहाट मन्दिर समूह बनवाया गया :
(A) कुणिन्द राजाओं के द्वारा

(B) कत्यूरी राजाओं के द्वारा
(C) चन्द राजाओं के द्वारा
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (B)

2. इंजन में कैम शाफ्ट लगी रहती है :
(A) ऊक शाफ्ट की ओर झुका
(B) क्रैंक शाफ्ट के लम्बवत
(C) क्रैंक शाफ्ट के समानांतर
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

3. उत्तराखण्ड की डॉ० माधुरी बड़थ्वाल को 2022 ई० में सम्मानित किया गया :
(A) साहित्य अकादमी पुरस्कार से
(B) पद्म विभूषण पुरस्कार से
(C) पद्मश्री पुरस्कार से
(D) पद्म भूषण पुरस्कार से

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Answer – (C)

4. निम्न में से कौन भारत में ‘ऑफ रोड कार रैली’ चालक नहीं है ?
(A) चेतन शिवराम
(B) डॉ० बिक्कू बाबू
(C) विक्कू विनायक्रम
(D) गौरव गिल

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Answer – (*)

5. नीचे दिये गये आज्ञापक संकेत का अर्थ है :
UKSSSC (Driver, Enforcement Driver, Dispatch Rider) Exam Paper 2022 Answer Key
(A) आगे चलना या दाएं मुड़ना अनिवार्य

(B) पहले दाएं मुड़ना फिर आगे चलना अनिवार्य
(C) पहले आगे चलना फिर दाएं मुड़ना अनिवार्य
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

6. उत्तराखण्ड में ‘प्रजामण्डल आन्दोलन’ प्रारम्भ किया था :
(A) दौलत राम ने
(B) मोलू भरदारी ने
(C) नागेन्द्र सकलानी ने
(D) श्री देव सुमन ने

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Answer – (D)

7. ‘तम्बाकू निषध दिवस’ होता है
(A) 31 मई को
(B) 30 मई को
(C) 30 जून को
(D) 31 जुलाई को

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Answer – (A)

8. अर्जुन अवार्ड से सम्मानित श्री सुरेन्द्र सिंह कनवासी किस क्षेत्र से सम्बन्धित हैं?
(A) लेखन
(B) पर्यावरण
(C) नौकायन
(D) पर्वतारोहण

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Answer – (C)

9. ऑटोमोबाइल में बैटरी का मुख्य कार्य है।
(A) विद्युत के स्टेबलाइजर के रूप में का करना
(B) इंजन के चलने के दौरान हर समय प्रणाली को विद्युत की आपूर्ति करना
(C) इंजन स्टार्ट करते समय स्टार्टर मोटर को चालू करने के लिए अत्यधिक मात्रा में विद्युत की आपूर्ति करना
(D) अल्टरनेटर को विद्युत की आपूर्ति

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Answer – (*)

10. एक दिशा में तीन लेन वाले कैरिज-वे (परिवहन मार्ग) पर भारी वाहन किस लेन पर चलाया जाएगा?
(A) बायीं लेन में
(B) मध्य लेन में
(C) दायीं लेन में
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

11. ‘कटारमल के सूर्य मन्दिर’ का निर्माण किस युग/काल में हुआ?
(A) शुग युग
(B) मौर्य काल
(C) कत्यूरी काल
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (C)

12. एक व्यक्ति, जिसे वाहन चलाने की वैध अनुज्ञप्ति जारी नहीं की गई है, वाहन चलाता है, को दण्डित किया जा सकता है.
(A) तीन माह तक का कारावास या पाँच हजार रूपया का जुर्माना या दोनो
(B) छ: माह तक का कारावास या एक हजार रूपया तक का जुर्माना
(C) केवल छः हजार रूपया का जुर्माना
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

13. इंजन तेल में चिपचिपाहट (श्यानता) में परिवर्तन का मुख्य कारण है:
(A) ताप
(B) दूषण
(C) आर्द्रता
(D) कंपन

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Answer – (*)

14. विश्व में एच०आई०वी० संक्रमितों में भारत की स्थिति है:
(A) दूसरी
(D) तीसरी
(C) पहली
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

15. मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अधीन ‘ओम्नीबस’ से तात्पर्य है।
(A) कोई मोटर वाहन जो सामान ले जाने हेतु निर्मित या अनुकूलित है।
(B) चालक को छोड़कर 6 से अधिक यात्रियों को ले जाने के लिए निर्मित या अनुकूलित कोई भी मोटर वाहन
(C) दोनों (A) तथा (B)
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

16. टिहरी रियासत में ‘कीर्ति नगर आन्दोलन’ हुआः
(A) सन् 1950 ई० में
(B) सन् 1948 ई० में
(C) सन् 1949 ई० में
(D) सन् 1947 ई० में

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Answer – (D)

17. एच०आई०वी० पॉजीटिव व्यक्तियों के लिए प्रतीक है:
(A) नीला रिबन
(B) सफेद रिबन
(C) पीला रिबन
(D) लाल रिबन

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Answer – (D)

18. वाहनों में, ‘भारत स्टेज मानक’ प्राथमिक रूप से दर्शाता है:
(A) वायु प्रदूषक की मात्रा इंजन द्वारा
(B) इजन की क्षमता
(C) इंजन का आर०पी०एम०
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (A)

19. मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा-8(3) के अनुसार परिवहन वाहन चलाने के लिए प्रत्येक आवेदन के साथ संलग्नित होगा :
(A) पैन कार्ड
(B) ई-मेल आईडी०
(C) चिकित्सा प्रमाण पत्र
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (C)

20. उत्तराखण्ड में हस्तशिल्प व हथकरघा के विकास हेतु क्राफ्ट डिजाइन केन्द्र की उत्तराखण्ड में हस्तविक रिजाइन केन्द्र की स्थापना की गयी है :
(A) टनकपुर में
(B) हल्द्वानी में
(C) सेलाकुई में
(D) काशीपुर में

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Answer – (D)

उत्तराखंड की प्रमुख शब्दावली

उत्तराखंड में भूमि से संबंधित प्रमुख शब्दावली

शब्द व्याख्या
खुर्नी, कैनी हिस्सेदारी ‘स्वयं’ या ‘दूसरों’ के माध्यम से स्वयं की जमीन पर खेती करना या करवाना।
सिरतान वह कृषक जिन्हें कृषि करवाने हेतु अपने जमीन पर बसाया जाता था।
बीसी 20 नाली जमीन पर बोये जाने वाले बीज तत्कालीन 20 नाली = 4800 वर्ग गज।
हलिया, साझी कृषि हेतु हल चलाने के लिए किसी व्यक्ति को कार्य पर रखना साझी मध्यस्थ का कार्य करना।
पायकाश्त वह अस्थायी कृषक जो कृषि करने हेतु अन्य गांव की जमीन पर जाता था।
नाली दो सेर बीज बोने हेतु प्रयुक्त भूमि (1 नाली = 200 वर्ग मी.)
खालसा भूमि वह ग्राम जिनका राजस्व सीधे राजकोष में जमा होता है।
गूंठ भूमि वह भूमि अनुदान जिसका राजस्व मंदिरों के लिए उपयोग होता था।
गैर आबाद बंजर भूमि, वन भूमि, पर्वत आदि।
माफी विशिष्ठ व्यक्तियों को राजस्व मुक्त (कर मुक्त भूमि) दी गयी भूमि।

उत्तराखण्ड की अन्य प्रमुख शब्दावली

शब्द व्याख्या
कुली बेगार बिना मजदूरी दिए कराया गया जबरन श्रम करवाना।
बर्दायश ब्रिटिश अधिकारियों को दी जाने वाली निःशुल्क सेवा।
कोली बुनकर।
तिरूआ तीर बनाने वाला।
भूल कोल्हू से तेल निकालने वाला।
ओड़ भवन निर्माण हेतु पत्थर काटने वाला।
रूढ़िया रिगांल व बांस से टोकरी आदि बनाने वाला।
टम्टा तांबे के बर्तन बनाने वाला।
बाड़ी चमड़े के जूते बनाने वाला।
हनकिया कुम्हार (मिट्टी के बर्तन बनाने वाला)।
बरा अनाज, ईंधन व लकड़ी के रूप में लगाये जाने वाला कर।
मामला टिहरी रियासत में लिया जाने वाला नगद लगान।
औजी जागर लगाने वाले।

 

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उत्तराखंड सरकार के वर्तमान कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister of Uttarakhand Government)

उत्तराखंड सरकार के वर्तमान कैबिनेट मंत्री 2022
(Present Cabinet Minister of Uttarakhand Government 2022)

नाम  कार्यभार (पोर्टफोलियो) विभाग/विषय
श्री पुष्कर सिंह धामी
(मुख्यमंत्री)
मंत्रिपरिषद, कार्मिक एवं सतर्कता, सचिवालय प्रशासन, सामान्य प्रशासन, नियोजन, राज्य सम्पत्ति, सूचना, गृह, राजस्व, औद्योगिक विकास (खनन), औद्योगिक विकास, श्रम, सूचना प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी, पेयजल, ऊर्जा, आयुष एवं आयुष शिक्षा, आबकारी, न्याय, पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन एवं पुर्नवास, नागरिक उड्डयन 1. मंत्रिपरिषद
2. कार्मिक एवं अखिल भारतीय सेवाओं का संस्थापना विषयक कार्य
3. सतर्कता, सुराज, भ्रष्टाचार उन्मूलन एवं जनसेवा
4. सचिवालय प्रशासन
5. सामान्य प्रशासन
6. नियोजन
7. राज्य सम्पत्ति
8. सूचना
9. गृह, कारागार, नागरिक सूरक्षा एवं होमगार्ड एवं अर्द्धसैनिक कल्याण
10. राजस्व
11. औद्योगिक विकास (खनन)
12. औद्योगिक विकास
13. श्रम
14. सूचना प्रौद्योगिकी
15. विज्ञान प्रौद्योगिकी
16. पेयजल
17. ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा
18. आयुष एवं आयुष शिक्षा
19. आबकारी
20. न्याय
21. पर्पयावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन
22. आपदा प्रवंधन एवं पुनर्वास
23. नागरिक उड्डयन
श्री सतपाल महाराज लोक निर्माण विभाग, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, संस्कृति, धर्मस्व, पर्यटन, जलागग प्रवंधन, सिंचाई एवं लघु सिंचाई 1. लोक निर्माण विभाग
2. पंचायतीराज
3. ग्रामीण निर्माण
4. संस्कृति
5. धर्मस्व
6. पर्यटन
7. जलागम प्रबंधन
8. भारत नेपाल उत्तराखण्ड नदी परियोजनाएं
9. सिंचाई
10. लघु सिंचाई
श्री प्रेम चन्द अग्रवाल वित्त, शहरी विकास एवं आवास, विधायी एवं संसदीय कार्य, पुनर्गठन एवं जनगणना 1. वित्त, वाणिज्यकर, स्टाम्प एवं निबंधन
2. शहरी विकास
3. आवास
4. विधायी एवं संसदीय कार्य
5. पुनर्गठन
6. जनगणना
श्री गणेश जोशी कृषि एवं कृषक कल्याण, सैनिक कल्याण, ग्राम्य विकास 1. कृषि
2. कृषि शिक्षा
3. कृषि विपणन
4. उद्यान एवं कृषि प्रसंस्करण
5. उद्यान एवं फलोद्योग
6. रेशम विकास
7. जैव प्रौद्योगिकी
8. सैनिक कल्याण
9. ग्राम्य विकास
डॉ. धन सिंह रावत विद्यायी शिक्षा (बैसिक), विद्यालयी शिक्षा (माध्यमिक), संरकृत शिक्षा, सहकारिता, उच्च शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा 1. विद्यालयी शिक्षा (बेसिक)
2. विद्यालयी शिक्षा (माध्यमिक)
3. संस्कृत शिक्षा
4. सहकारिता
5. उच्च शिक्षा
6. चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा
सुबोध उनियाल वन, भाषा, निर्वाचन, तकनीकी शिक्षा 1. वन
2. भाषा
3. निवचिन
4. तकनीकी शिक्षा
श्रीमती रेखा आर्या महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले, खेल एवं युवा कल्याण 1. महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास
2. खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले
3. खेल
4. युवा कल्याण
श्री चन्दन राम दास समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, परिवहन, लघु एवं सूक्ष्म मध्यम उद्यम 1. समाज कल्याण
2. अल्पसंख्यक कल्याण
3. छात्र कल्याण
4. परिवहन
5. लघु एवं सूक्ष्म मध्यम उद्यम
6. खादी एवं ग्रामोद्योग
सौरभ बहुगुणा पशुपालन, दुग्ध विकास एवं मत्स्य पालन, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, प्रोटोकॉल, कौशल विकास एवं सेवायोजन 1. पशुपालन
2. दुग्ध विकास
3. मत्स्य पालन
4. गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग
5. प्रोटोकॉल
6. कौशल विकास एवं सेवायोजन

Latest Update – 30 March 2022

 

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उत्तराखण्ड के ग्लेशियर (हिमनद) 

उत्तराखण्ड के हिमनद (ग्लेशियर) 

पर्वतीय ढालों पर हिम के सरकने से हिमनदियों की उत्पत्ति होती है। वृहत हिमालय में विशाल हिमनद (ग्लेशियर – Glacier) पाए जाते हैं, हिमनदों (Glaciers) को हिमानियाँ (Glaciers), बर्फ की नदियाँ व बमक कहा जाता है। उत्तराखण्ड हिमालय में कई प्रसिद्ध हिमानिया — गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, सुन्दरदुंगा (बागेश्वर) नन्दादेवी, अरवा, पिण्डारी आदि अवस्थित हैं।

गंगोत्री ग्लेशियर (Gangotri Glacier)

  • उत्तरकाशी में गंगोत्री ग्लेशियर गढ़वाल हिमालय की चौखम्बा पर्वत चोटी के पश्चिमी ढाल पर स्थित। यह उत्तराखण्ड राज्य का सबसे बड़ा हिमनद है।
  • इसकी लम्बाई 30 किमी तथा औसत चौड़ाई 2 किमी है। यह हिमानी प्रतिवर्ष लगभग 22 मी पीछे खिसक रही है।
  • यह हिमनद चतुरंगी, स्वच्छन्द, कैलाश आदि हिमनदों से जुड़ा हुआ है।

चौराबाडी ग्लेशियर (Chorabari Glacier)

  • यह रुद्रप्रयाग में स्थित 14 किमी लम्बा व 500 मी चौड़ा ग्लेशियर है। यह हिमनद प्रसिद्ध केदारनाथ मन्दिर के पीछे स्थित भरतखुंटा और कीर्ति स्तम्भ के ढालों से प्रारम्भ होता है। 

भागीरथी खड़क सतोपन्थ ग्लेशियर (Bhagirathi Khadak Satopanth Glacier)

  • सतोपन्थ व भागीरथी ग्लेशियर नीलकण्ठ पर्वत के पूर्व में एक मुख की भाँति स्थित है। इस स्थान को अलकापुरी कहा जाता है। ग्लेशियर 13 किमी तथा भागीरथी ग्लेशियर 18 किमी लम्बा है। यह ग्लेशियर चमोली जनपद में है। 
  • यह दोनों मिलकर अलकनन्दा का उद्गम बनाते हैं। 

पिण्डारी ग्लेशियर (Pindari Glacier)

  • पिण्डारी ग्लेशियर की लम्बाई लगभग 30 किमी तथा औसत चौड़ाई 385 मी है।  यह बागेश्वर जिले में अवस्थित है। यह राज्य का दूसरा सबसे बड़ा हिमनद है। 
  • पिण्डारी ग्लेशियर पिथौरागढ़, चमोली और बागेश्वर में फेला हुआ है।
  • यह नन्दादेवी, त्रिशूल व नन्दकोट शिखरों के मध्य स्थित है।
  • अलकनन्दा की सहायक नदी पिण्डार इसी ग्लेशियर से निकलती है।
  • कस्तूरी मृग, मोनाल पक्षी, बह्मकमल व भोजपत्र के वृक्ष यहाँ देखे जा सकते हैं।

खतलिंग ग्लेशियर (Khatling Glacier)

  • केदारनाथ धाम के पश्चिम में 10 किमी की दूरी एवं 4,800 मी. की ऊँचाई पर यह ग्लेशियर स्थित है। 
  • कांठा, सतलिंग तथा दूध डोडी हिमनद में मिलने वाली तीन छोटी-छोटी हिमानियाँ हैं।  
  • यह टिहरी में स्थित है। 

मिलम ग्लेशियर (Milam Glacier)

  • मिलम ग्लेशियर त्रिशूल पर्वत के दक्षिण में स्थित है। इस हिमानी की कुल लम्बाई लगभग 16 किमी है। इस हिमानी में हिम की कुल मोटाई लगभग 100 मी आँकी गई है। यह कुमाऊँ मण्डल का सबसे बड़ा हिमनद है, जो पिथौरागढ़ में स्थित है।

कफनी ग्लेशियर (Kafani Glacier)

  • यह ग्लेशियर बागेश्वर जनपद में पिण्डर घाटी के बाईं ओर तथा नन्दाकोट शिखर के नीचे स्थित है।

बन्दरपूँछ ग्लेशियर (Bandarpunch Glacier)

  • यह ग्लेशियर बन्दरपूँछ शिखर के पश्चिम में तथा खतलिंग शिखर के उत्तरी ढाल पर दूनागिरि ग्लेशियर चमोली स्थित है।
  • इसकी लम्बाई 12 किमी है। यह उत्तरकाशी (गढ़वाल हिमालय) में अवस्थित है। 

राज्य के अन्य प्रमुख ग्लेशियर 

ग्लेशियर जनपद 
काली ग्लेशियर  पिथौरागढ़
नामिक ग्लेशियर  पिथौरागढ़ 
पिनौरा ग्लेशियर  पिथौरागढ़ 
रालम ग्लेशियर  पिथौरागढ़ 
पोण्टिग ग्लेशियर  पिथौरागढ़ 
हीरामणि ग्लेशियर  पिथौरागढ़ 
बाल्टी ग्लेशियर  पिथौरागढ़ 
सोना ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
कलाबलंद ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
नोर्थेर्ण ल्वान्ल ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
बामलास ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
लोअर ल्वान्ल ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
बलती ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
तेराहर ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
तल्कोट ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
रालामाग ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
संकल्पा मिडिल, लोव्लान्ल लोअर पोल्टिंग ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
लोअर धौली, धौली उपर, मिडिल धौली ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
कुटी के ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
बालिंग गोल्फु ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
सोबला तेजम ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
यांगती बेसिन ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
लास्सर ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
राल्माग  उपर ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
मेओला ग्लेशियर पिथौरागढ़ 
सुन्दरधुंगा ग्लेशियर बागेश्वर
सुखराम ग्लेशियर बागेश्वर
मैकतोली ग्लेशियर बागेश्वर
यमुनोत्री ग्लेशियर उत्तरकाशी
डोरियानी  ग्लेशियर उत्तरकाशी
चौराबाड़ी ग्लेशियर रुद्रप्रयाग और टिहरी 
केदारनाथ ग्लेशियर रुद्रप्रयाग
दूनागिरी ग्लेशियर चमोली
हिपराबमक ग्लेशियर चमोली
बद्रीनाथ ग्लेशियर चमोली
मैणादि ग्लेशियर  चमोली
स्वछन्द ग्लेशियर चमोली
चतुरंगी ग्लेशियर  चमोली
गनोहीम ग्लेशियर  चमोली
कीर्ति ग्लेशियर  चमोली
भ्रिगुपाथ ग्लेशियर  चमोली
मेरु (मेरो) ग्लेशियर  चमोली
रक्तावर्धन ग्लेशियर  चमोली
जंदधर ग्लेशियर  चमोली
सायर ग्लेशियर  चमोली
राहता ग्लेशियर  चमोली
चरन ग्लेशियर  चमोली
बरतिआखो ग्लेशियर  चमोली

 

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उत्तराखंड का जल प्रवाह तंत्र (Water Flow System of Uttarakhand)

उत्तराखंड का जल प्रवाह तंत्र
(Water Flow System of Uttarakhand)

भौगोलिक दृष्टि से उत्तराखंड (Uttarakhand) को तीन प्रमुख जलागम क्षेत्रों (Catchment Area) में विभाजित किया जा सकता है – 

  1. भागीरथी – अलकनंदा जलप्रवाहतंत्र 
  2. यमुना – टोंस जलप्रवाहतंत्र 
  3. काली जलप्रवाहतंत्र

भागीरथी – अलकनंदा जलप्रवाह तंत्र (Bhagirathi – Alaknanda Water Flow System) – इस जल प्रवाह क्षेत्र के अन्तर्गत उत्तरकाशी जनपद के पश्चिमी भाग को छोड़कर सम्पूर्ण गढ़वाल, चमोली तथा अल्मोड़ा जनपद के पश्चिमी क्षेत्र सम्मिलित हैं।

यमुना – टोन्स जलप्रवाह तंत्र (Yamuna-Tons Water Flow System) – इस जल प्रवाह क्षेत्र में यमुना तथा टोन्स दो प्रमुख नदियाँ हैं, जो मुख्यतः देहरादून जनपद के क्षेत्र में बहती है। 

काली जलप्रवाह तंत्र (Kali Water Flow System) – काली का जल प्रवाह तंत्र पूर्णतया कुमाऊँ मण्डल में स्थित है। यह नदी काकागिरी पर्वत के सामानांतर बहती हुई भारत और नेपाल की सीमा रेखा बनाती है। यह नदी कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ तथा चम्पावत एवं नैनीताल जनपद के पूर्वी भाग का जल संग्रह करती है। काली नदी के साथ-साथ उत्तरी दिशा में कैलाश मानसरोवर यात्रा का एकमात्र मार्ग है।

 

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उत्तराखण्ड राज्य की प्रमुख पर्वतीय पवित्र गफायें 

गुफा का नाम स्थिति 
राम गुफा  बद्रीनाथ के समीप (चमोली जनपद)
व्यास गुफा  बद्रीनाथ के समीप (चमोली जनपद)
गणेश गुफा बद्रीनाथ के समीप (चमोली जनपद)
मुचकुन्द गुफा  बद्रीनाथ के समीप (चमोली जनपद)
स्कन्द गुफा बद्रीनाथ के समीप (चमोली जनपद)
भीम गुफा  केदारनाथ के समीप (रुद्रप्रयाग जनपद)
ब्रह्म गुफा  केदारनाथ के समीप (रुद्रप्रयाग जनपद)
वशिष्ठ गुफा  उत्तरकाशी के समीप 
हनुमान गुफा  लंगासू के पार गिरसा में (कर्णप्रयाग, चमोली जनपद)
भरत गुफा  लंगासू के पार गिरसा में (कर्णप्रयाग, चमोली जनपद)
गोरखनाथ गुफा  श्रीनगर के समीप भक्त्याना में (पौड़ी गढ़वाल जनपद)
शंकर गुफा देव प्रयाग में (टिहरी गढ़वाल जनपद)
पाण्डुखोली गुफा  अल्मोड़ा 
सुमेरु  गंगोलीहाट (पिथौरागढ़ जनपद) 
स्वधम  गंगोलीहाट (पिथौरागढ़ जनपद)
पाताल भुवनेश्वर गुफा  पिथौरागढ़

 

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