Cultural Institutions of Uttarakhand, their Formation and Objectives

उत्तराखंड राज्य की सांस्कृतिक संस्थाएँ व उनका गठन

उत्तराखंड राज्य की सांस्कृतिक संस्थाएँ, उनका गठन व उद्देश्य
(Cultural Institutions of Uttarakhand, their Formation and Objectives)

संस्थान गठन (वर्ष) उद्देश्य
श्रीराम सेवक सभा, नैनीताल1918नन्दादेवी और रामलीला आयोजन हेतु। 
भातखण्डे संगीत महाविद्यालय1926भारतीय शास्त्रीय संगीत की विद्या को बढ़ावा देना, इसके अन्तर्गत – देहरादून, अल्मोड़ा और पौड़ी में तीन महाविद्यालयों की स्थापना की गई।
श्री हरि कीर्तन सभा, नैनीताल1940शास्त्रीय एवं वाद्य संगीत में प्रशिक्षण, लोकनृत्य एवं लोकनाट्य के विकास को बढ़ावा देना। 
बोट हाउस क्लब, नैनीताल1948डोंगी की दौड़, नावों की दौड़, नृत्य एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।
संस्कृत कला केन्द्र, हल्द्वानी1957पारम्परिक भारतीय संगीत एवं नाटक को लोकप्रिय बनाना।
पर्वतीय कला केन्द्र, दिल्ली1968प्रदेश के कलाकारों को सहयोग एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।
रंगमण्डल, देहरादून एवं अल्मोड़ा2000नाट्य एवं लोक कला और कलाकारों को बढ़ावा देना।
नाट्य एवं संगीत अकादमी, अल्मोड़ा2002नाट्य एवं संगीत को बढ़ावा देना और उसके विकास में सहायता करना।
उदयशंकर नृत्य व नाट्य अकादमी, अल्मोड़ा2003नृत्य एवं नाट्य क्षेत्र को बढ़ावा देना।
संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद्, देहरादून2004प्रदेश के सांस्कृतिक विकास, संरक्षण एवं प्रोत्साहन हेतु।
जयराम आश्रम संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार2005अकादमिक स्तर की शिक्षा को बढ़ाना, विशेषकर संस्कृत का विकास करना।
हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र, देहरादून2010प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत को आधुनिकता प्रदान करना और उसके विकास को बढ़ावा देना। 

 

 

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