46. ‘सृष्टि दृष्टि के अंजन रंजन, ताप विभंजन, बरसो।
व्यग्र उदग्र जगज्जननी के, अभि अग्रस्तन, बरसो।’
उपर्युक्त काव्य-पंक्ति में कौन-सा काव्य दोष है?
(A) ग्राम्यत्व
(B) निरर्थकत्व
(C) अपुष्टत्व
(D) श्रुतिकटुत्व
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47. अवधि शिला का उर पर था गुरूभार।
तिल तिल काट रही थी दृग जलधार।
काव्य पंक्ति में कौन-सा छंद है?
(A) दोहा
(B) सोरठा
(C) बरवै
(D) उल्लाला
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48. ‘मनोगत भाव को व्यक्त करने वाली शारीरिक चेष्टाएँ’ कहलाती हैं :
(A) आलंबन विभाव
(B) उद्दीपन विभाव
(C) संचारी भाव
(D) अनुभाव
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49. ‘व्याकरण’ शब्द की सही व्युत्पत्ति है :
(A) वि + आ + कृ + ल्युट
(B) व्य + आ + करण
(C) व्य + आ + कृ + लटु
(D) वि + आङ्ग + करण
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50. ‘र’ वर्ण है :
(A) मूर्धन्य, महाप्राण, सघोष, उष्म
(B) मूर्द्धन्य, अल्पप्राण, सघोष, अन्तःस्थ
(C) तालव्य, अल्पप्राण, अघोष, अन्तःस्थ
(D) तालव्य, महाप्राण, सघोष, स्पर्श
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51. ‘जो बायें हाथ से भी काम कर लेता हो’ उसके लिए सटीक शब्द है :
(A) वामपंथी
(B) वाममार्गी
(C) सव्यसाची
(D) कापालिक
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52. निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘शेर’ का पर्यायवाची नहीं है?
(A) नाहर
(B) कुंजर
(C) केशरी
(D) केहरि
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53. ‘त्रिचत्वारिंशत’ का तदभव रूप है :
(A) तैंतालीस
(B) तैंतीस
(C) इकतालीस
(D) उन्तालीस
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54. ‘इतनी सी जान, गज भर की जबान’, मुहावरे का क्या तात्पर्य है?
(A) औकात से बाहर जाकर दावा करना
(B) अपनी उम्र के हिसाब से बहुत बोलना
(C) उम्र कम और बुद्धि अधिक
(D) ज्यादा बोलना अच्छा नहीं होता
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55. भाषा-अर्जन के सन्दर्भ में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(A) भाषा-अर्जन में विभिन्न संकल्पनाएँ मातृभाषा में बनती हैं।
(B) भाषा-अर्जन अनुकरण द्वारा होता है।
(C) भाषा-अर्जन असहज और अस्वाभाविक नहीं होता है।
(D) सांस्कृतिक भिन्नता भाषा-अर्जन को प्रभावित नहीं करती है।
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निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों (प्रश्न संख्या 56 से 60 तक) के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।
यदि आज भारतीय मनीषा इतिहास और अतीत के दो मृत खंडों में विभाजित दिखाई देती है तो हमें इसका कारण सीधा पश्चिम के उस अहं-केन्द्रित इतिहास-बोध में दिखाई देगा जिसके पिछले दो सौ वर्षों में भारतीय मनुष्य को उसके अतीत और परंपरा से उन्मूलित किया है, कितना बड़ा व्यंग्य है कि जिन यूरोपीय इतिहासकारों और पुरातत्त्व के पंडितों ने अपने अनुवादों, खोजों और खुदाइयों से भारतवासी को अपनी विशिष्ट परंपरा से परिचित कराया उसी सभ्यता ने उस सामाजिक संरचना के तन्तु-जाल को भी नष्ट किया, जिसमें मनुष्य अपनी परंपरा में साँस लेता था, अपने पावन अतीत को अपने वर्तमान में जीता था। किसी जाति के मिथक और विश्वास उनकी जीवन-प्रणाली उसके आत्मीय संसार से जुड़कर ही जीवंत हो पाते हैं, एक की अभिव्यक्ति दूसरे के द्वारा होती है। मनुष्य जीने की प्रक्रिया में अपने विश्वासों को उद्घाटित करता है, उन विश्वासों के द्वारा जीने की प्रणाली मर्यादित करता है, ऐसी संस्कृति में इतिहास का समय एक अक्षुण्ण धागे से परम्परा के कालातीत बोध से जुड़ा होता है। मनुष्य एक साथ दो काल-प्रदेशों में जीता है और ये दोनों एक-दूसरे से अलग नहीं हैं, एक-दूसरे के समानान्तर भी नहीं हैं- दोनों एकदूसरे से उलझे हैं, इस उलझाव में ही एक जाति की आत्मा अपना आकार ग्रहण करती है। पश्चिम के इतिहास-बोध ने इस ‘आत्मा’ के तन्तु-जाल को छिन्न-भिन्न कर दिया, उसे दो फाँकों में खंडित कर दिया। मनुष्य का मिथक संसार और उसकी जीवन प्रणाली दो मृत कटघरों में विभाजित हो गए। नायपाल ने भारतीय संस्कृति को ‘घायल संस्कृति’ माना है।
56. भारतीय मनीषा के विभाजित होने का मुख्य कारण क्या है?
(A) पश्चिम की पूर्व पर विजयी
(B) भारतीयों के भीतर विद्यमान हीनता बोध
(C) पश्चिम के अहंकेन्द्रित इतिहास-बोध का वर्चस्व
(D) परंपरा से अलगाव
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57. मिथक का महत्व है :
(A) मानव जाति के बोध का हिस्सा बने रहने में
(B) अपने भीतर उपस्थित अर्थ को विकसित करते रहने में
(C) मानव जाति के ज्ञान को विकसित करते रहने में
(D) संबंधित जाति के आत्मीय संसार को जीवित रखने में
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58. नायपाल ने भारतीय संस्कृति को ‘घायल संस्कृति’ क्यों कहा?
(A) पश्चिमी इतिहास बोध के प्रभाव में अपनी परंपरा से कट जाने के कारण
(B) पराजय बोध के कारण
(C) मिथकों और विश्वासों की अवहेलना के कारण
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
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59. पश्चिमी इतिहास बोध की मुख्य समस्या क्या है?
(A) उसमें भौतिकता के प्रति अतिरंजित आकर्षण है।
(B) वह पश्चिमी जीवन बोध तक सीमित है।
(C) वह वायवीय है।
(D) उसने मनुष्य के मन को छिन्न-भिन्न कर दिया है।
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60. भारतीय चिंतन की विशेषता नहीं है :
(A) मिथकों का जीवन का अभिन्न अंग होना
(B) स्व-केन्द्रित इतिहास बोध
(C) अपने पावन अतीत को वर्तमान में जीना
(D) परम्परा के कालातीत बोध से जुड़ा होना
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