46. विद्यापति की पदावली किस भाषा में है?
(A) भोजपुरी
(B) मैथिली
(C) अवधी
(D) ब्रज
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47. ‘प्रेम शक्ति से चिर निरस्त्र हो जाएगी पाशवता’
उक्त पंक्ति में कौन सा काव्य दोष है
(A) वचन दोष
(B) कारक दोष
(C) सन्धि दोष
(D) प्रत्यय दोष
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48. काव्य में अलंकार संप्रदाय का आदि प्रवर्तक किसे माना जाता है?
(A) आचार्य विश्वनाथ
(B) भामह
(C) भरत मुनि
(D) आनन्द वर्धन
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49. “अतीत के चलचित्र” के रचनाकार का नाम है –
(A) धर्मवीर भारती
(B) महादेवी वर्मा
(C) मन्नू भण्डारी
(D) उपेन्द्र नाथ ‘अश्क’
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50. अधिकार खोकर बैठना, यह महा दुष्कर्म है।
न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है।।
उक्त पंक्ति किस काव्य से उद्धृत की गई है?
(A) यशोधरा
(B) रश्मिरथी
(C) जयद्रथ बध
(D) भारत भारती
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51. हिन्दी काव्य में प्रयोगवाद का प्रवर्तक किसे माना जाता है?
(A) निराला
(B) प्रसाद
(C) अज्ञेय
(D) रांगेय राघव
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निर्देश : नीचे दिये गये पद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों (52 से 55 तक) के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए –
ओ चिन्ता की पहली रेखा, अरी विश्व-वन की व्याली;
ज्वालामुखी स्फोट के भीषण, प्रथम कम्प सी मतवाली।
हे अभाव की चपल बालिके, री ललाट की खल रेखा।
हरी भरी सी दौड़ धूप, ओ जल-माया की चल रेखा!
52. ‘ओ चिन्ता की पहली रेखा, अरी विश्व-वन की व्याली।’ इस पद में कौन सा अलंकार है?
(A) उपमा
(B) रूपक
(C) निदर्शना
(D) व्यतिरेक
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53. ‘जल-माया की चल रेखा’ किसे कहा गया है?
(A) विश्व-वन की व्याली को
(B) अभाव की चपल बालिका को
(C) चिन्ता की पहली रेखा को
(D) ललाट की खल रेखा को
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54. ‘जल-माया’ का क्या आशय है?
(A) जल का महत्व
(B) मायात्मक संसार
(C) जल-तरंगों की चंचलता
(D) जलक्रीड़ा
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55. उपर्युक्त पद में किस रस की प्रबलता है?
(A) करूण
(B) रौद्र
(C) भयानक
(D) शान्त
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निर्देश : निम्नांकित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों (56 से 59 तक) के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए –
वेदों के एकेश्वरवाद, उपनिषदों के ब्रह्मवाद तथा पुराणों के अवतारवाद और बहुदेववाद की प्रतिष्ठा जन-समाज में हुई है और तदनुसार हमारा धार्मिक दृष्टिकोण भी अधिकाधिक विस्तृत और व्यापक हो गया है। हमारे साहित्य पर धर्म की इस अतिशयता का प्रभाव दो प्रधान रूपों में पड़ा। आध्यात्मिकता की अधिकता होने के कारण हमारे साहित्य में जीवन संबन्धी गहन विचारों का विस्तार अधिक नहीं हुआ। प्राचीन वैदिक साहित्य से लेकर हिन्दी के वैष्णव साहित्य तक हम यही बात पाते हैं। सामवेद की मनोहारिणी ऋचाओं से लेकर सूर तथा मीरा की सरस रचनाओं तक सर्वत्र परोक्ष भावों की अधिकता तथा लौकिक विचारों की न्यूनता दिखाई देती है।
इस मनोवृत्ति का परिणाम यह हुआ कि साहित्य में उच्च भावनाएँ तो प्रचुरता से भरी गई किन्तु ऐहिक जीवन का चित्र उपस्थित करने में वह कुछ कुंठित सी हो गई है।
56. अवतारवाद की अवतारणा कहाँ से हुई?
(A) वैदिक साहित्य से
(B) पौराणिक साहित्य से
(C) उपनिषदों से
(D) परवर्ती लौकिक साहित्य सेवा
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57. हमारे धार्मिक दृष्टिकोण के व्यापक होने का मूल कारण क्या है?
(A) इसकी उद्भावना वेदों में होने के कारण
(B) इसलिए कि यह मूलतः जन मानस में प्रतिष्ठित हुआ
(C) इसमें उदारवादी चिन्तन समाहित है
(D) इसमें आध्यात्मिकता और ऐहिक तत्वों का समावेश है
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58. हमारे साहित्य में लौकिक विचारों की कमी का क्या कारण है?
(A) आध्यात्मिक पक्ष की प्रबलता
(B) लौकिक पक्ष से अनभिज्ञता
(C) पलायनवादी दृष्टिकोण
(D) बहुमुखी दृष्टिकोण का अभाव
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59. प्राचीन साहित्य में आध्यात्मिक पक्ष की प्रबलता का परिणाम क्या हुआ?
(A) समग्र रूप से हमारा चारित्रिक विकास हुआ
(B) समाज अकर्मण्य हो गया
(C) लौकिक जीवन के चित्रण के अभाव में साहित्य एकांगी हो गया
(D) साहित्यिक विकास अवरूद्ध हो गया
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60. अभिव्यक्ति की दक्षता विकसित करने का उपयुक्त उपागम है
(A) वाद-विवाद प्रतियोगिता व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिभाग
(B) परस्पर संवाद
(C) स्वाध्याय की प्रवृत्ति
(D) सार्वजनिक कार्यक्रमों में सहभाग
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