UPSSSC PET 2021 Answer Key

UPSSSC PET Exam Paper 24 August 2021 2nd Shift (Answer Key)

61. निम्न में से किस देश को “थंडर ड्रेगन” की भूमि के नाम से जाना जाता है ?
(A) जापान
(B) भूटान
(C) नेपाल
(D) श्रीलंका

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Answer – (B)

62. रियाद किस देश की राजधानी है ?
(A) म्यांमार
(B) बांग्लादेश
(C) सऊदी अरब
(D) इनमें से कोई नहीं

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Answer – (C)

63. क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का निम्न में से कौन सा राज्य सबसे छोटा है ?
(A) सिक्किम
(B) गोआ
(C) मेघालय
(D) मिजोरम

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Answer – (B)

64. राज्य सभा के चुने हुए सदस्यों का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है ?
(A) 2 वर्ष
(B) 4 वर्ष
(C) 6 वर्ष
(D) 8 वर्ष

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Answer – (C)

65. विश्व में संयुक्त राष्ट्र दिवस कब मनाया जाता है ?
(A) 20 अक्टूबर
(B) 24 अक्टूबर
(C) 27 नवंबर
(D) 30 नवंबर

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Answer – (B)

66. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय कहाँ स्थित है ?
(A) जिनेवा
(B) द हेग
(C) एमस्टर्डम
(D) वियना

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Answer – (B)

67. विश्व प्रसिद्ध ‘खजुराहो’ मूर्तिकलाएँ स्थित हैं –
(A) गुजरात में
(B) मध्य प्रदेश में
(C) ओडिशा में
(D) महाराष्ट्र में

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Answer – (B)

68. प्रसिद्ध नबकालेबारा उत्सव इनमें से किस राज्य से सम्बद्ध है ?
(A) केरल
(B) बिहार
(C) राजस्थान
(D) ओडिशा

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Answer – (D)

69. निम्न में से कौन सी एक हरितगृह गैस नहीं है ?
(A) मीथेन
(B) नाइट्रोजन
(C) कार्बन डाइऑक्साइड
(D) क्लोरोफ्लुओरोकार्बन (CFC)

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Answer – (B)

70. अर्जुन पुरस्कार किसलिए दिए जाते हैं ?
(A) आपातकालीन स्थिति में विशिष्ट सेवा के लिए
(B) युद्ध में वीरता के लिए
(C) खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए
(D) विशिष्ट समाज सेवाओं के लिए

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Answer – (C)

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों (71-75) के उत्तर चुनिए :

स्वतंत्रता संग्राम मनुष्य में उत्तम और स्पृहणीय विशेषताएँ पैदा करता है और भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम भी इसका अपवाद नहीं है । महात्मा गाँधी के नेतृत्व में यह युद्ध बिना किसी ईर्ष्या-द्वेष तथा खून-खराबे के लड़ा गया था । गाँधीजी इसे सत्याग्रह कहते थे । इसके पीछे उनकी शिक्षा, धार्मिक आस्था तथा अन्य उपलब्धियों का उतना हाथ नहीं था जितना उनके सदाचरण और व्यवहार का । इस स्वातंत्र्य आंदोलन को स्मरण रखने का मुख्य कारण यह है कि यह जनतांत्रिक था अर्थात् इसमें देश के हर वर्ग और जाति के लोग सम्मिलित थे, चाहे वे धनी हों या गरीब, नर हों या नारी हों अथवा विभिन्न संप्रदायों के । इसके साथ ही यह एक धर्मनिरपेक्ष और स्वतंत्रता कर्मियों का संघर्षशील राष्ट्रीय आंदोलन था । स्वतंत्र भारत के नागरिक के रूप में हम आज जनतांत्रिकता और धर्मनिरपेक्षता का लाभ उठा रहे हैं । हम सोच नहीं सकते कि इतने बड़े देश में अपना शासन करने के लिए हम अपना प्रतिनिधि नहीं चुन सकते थे या कोई गंदा कानून लागू कर दिया जाता तो हम उसके विरुद्ध आवाज नहीं उठा सकते थे और हम अपनी राय स्वतंत्रतापूर्वक व्यक्त नहीं कर सकते थे।

71. उपर्युक्त गद्यांश में प्रयुक्त ‘स्पृहणीय’ शब्द का अर्थ है
(A) प्राप्त करने योग्य
(B) प्राप्त की हुई
(C) त्याग करने योग्य
(D) त्याग की हुई

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Answer – (A)

72. उपर्युक्त गद्यांश में लेखक ने मुख्य रूप से बताया है कि
(A) आजादी में क्रांतिकारियों की विशेष भूमिका थी।
(B) आजादी के संघर्ष में कृषकों का क्या योगदान था।
(C) गुलाम देश की दशा कैसी थी।
(D) महात्मा गाँधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन कैसा था ।

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Answer – (D)

73. उपर्युक्त गद्यांश के लेखक का उद्देश्य क्या था ?
(A) धार्मिक आस्थाओं और सद्व्यवहार को बढ़ावा देना।
(B) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की विशेषता बताना।
(C) अंग्रेजी राज्य के दोष गिनाना ।
(D) जनतांत्रिकता से हानि बताना ।

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Answer – (B)

74. धर्मनिरपेक्षता से अभिप्राय है
(A) सभी धर्मों का आदर
(B) धर्म में हस्तक्षेप न करना
(C) धर्म की अवज्ञा
(D) किसी भी धर्म को न मानना

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Answer – (A)

75. कैसे माना जाए कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम जनतांत्रिक था ?
(A) यह महात्मा गाँधी के सद्व्यवहार और सदाचरण का प्रतीक था।
(B) इसमें हिन्दू और मुसलमान सम्मिलित हुए थे।
(C) यह स्वतंत्रता-प्रेमियों का आंदोलन था ।
(D) इसमें सभी जातियों, वर्गों, धर्मों के लोगों ने भाग लिया था।

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Answer – (D)

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों (76-80) के उत्तर चुनिए :

विधाता-रचित इस सृष्टि का सिरमौर है मनुष्य । उसकी कारीगरी का सर्वोत्तम नमूना । इस मानव को ब्रह्माण्ड का लघु रूप मानकर भारतीय दार्शनिकों ने ‘यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे’ की कल्पना की थी। उनकी यह कल्पना मात्र कल्पना नहीं थी, प्रत्युत यथार्थ भी थी क्योंकि मानवमन में जो विचारणा के रूप में घटित होता है, उसी का कृति रूप ही तो सृष्टि है । मन तो मन, मानव का शरीर भी अप्रतिम है । देखने में इससे भव्य, आकर्षक एवं लावण्यमय रूप सृष्टि में अन्यत्र कहाँ है ? अद्भुत एवं अद्वितीय है मानव-सौन्दर्य ! साहित्यकारों ने इसके रूप-सौन्दर्य के वर्णन के लिए कितने ही अप्रस्तुतों का विधान किया है और इस सौन्दर्य-राशि से सभी को आप्यायित करने के लिए अनेक काव्य सृष्टियाँ रच डाली हैं।

साहित्यशास्त्रियों ने भी इसी मानव की भावनाओं का विवेचन करते हुए अनेक रसों का निरूपण किया है । परन्तु वैज्ञानिक दृष्टि से विचार किया जाए तो मानव-शरीर को एक जटिल यन्त्र से उपमित किया जा सकता है । जिस प्रकार यन्त्र के एक पुर्जे में दोष आ जाने पर सारा यन्त्र गड़बड़ा जाता है, बेकार हो जाता है उसी प्रकार मानवशरीर के विभिन्न अवयवों में से यदि कोई एक अवयव भी बिगड़ जाता है तो उसका प्रभाव सारे शरीर पर पड़ता है । इतना ही नहीं, गुर्दे जैसे कोमल एवं नाजुक हिस्से के खराब हो जाने से यह गतिशील वपुयन्त्र एकाएक अवरुद्ध हो | सकता है, व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है । एक अंग के विकृत होने पर सारा शरीर दण्डित हो, वह कालकवलित हो जाए – यह विचारणीय है।

यदि किसी यन्त्र के पुर्जे को बदलकर उसके स्थान पर नया पुर्जा लगाकर यन्त्र को पूर्ववत सुचारु एवं व्यवस्थित रूप से क्रियाशील बनाया जा सकता है तो शरीर के विकृत अंग के स्थान पर नव्य निरामय अंग लगाकर शरीर को स्वस्थ एवं सामान्य क्यों नहीं बनाया जा सकता ? शल्यचिकित्सकों ने इस दायित्वपूर्ण चुनौती को स्वीकार किया तथा निरन्तर अध्यवसाय पूर्णसाधना के अनन्तर अंगप्रत्यारोपण के क्षेत्र में सफलता प्राप्त की । अंग-प्रत्यारोपण का उद्देश्य है कि मनुष्य दीर्घायु प्राप्त कर सके । यहाँ यह ध्यातव्य है कि मानव-शरीर हर किसी के अंग को उसी प्रकार स्वीकार नहीं करता, जिस प्रकार हर किसी का रक्त उसे स्वीकार्य नहीं होता । रोगी को रक्त देने से पूर्व रक्त-वर्ग का परीक्षण अत्यावश्यक है, तो अंग-प्रत्यारोपण से पूर्व । ऊतक-परीक्षण अनिवार्य है । आज का शल्य-चिकित्सक गुर्दे, यकृत, आँत, फेफड़े और हृदय का प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक कर रहा है । साधन-सम्पन्न चिकित्सालयों में मस्तिष्क के अतिरिक्त शरीर के प्रायः सभी अंगों का प्रत्यारोपण सम्भव हो गया है।

76. मानव को सृष्टि का लघु रूप माना गया है क्योंकि
(A) मानव-मन में जो घटित होता है, वही सृष्टि में घटित होता है।
(B) मानव सृष्टि का सिरमौर है।
(C) मन की शक्ति अपराजेय है ।
(D) लघु मानव ही विधाता की सच्ची सृष्टि है ।

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Answer – (A)

77. वैज्ञानिक दृष्टि का अपेक्षाकृत अभाव होता है
(A) साहित्यकार में
(B) साहित्यशास्त्री में
(C) शल्य-चिकित्सक में
(D) वैज्ञानिक में

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Answer – (B)

78. मानव शरीर को यन्त्रवत् कहा गया है क्योंकि
(A) मानव शरीर दृढ़ माँसपेशियों और अवयवों से निर्मित है।
(B) मानव शरीर यन्त्र की भाँति लावण्यमय होता है।
(C) अवयव रूपी पुों के विकृत होने से शरीर यन्त्रवत् निष्क्रिय हो जाता है ।
(D) मानव शरीर विधाता की सृष्टि की अनुपम कृति है।

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Answer – (C)

79. शल्य-चिकित्सकों द्वारा स्वीकार की गई दायित्वपूर्ण चुनौती थी
(A) जीर्ण शरीर के स्थान पर स्वस्थ शरीर देना
(B) मानव-शरीर को मृत्यु से बचाना
(C) अंग-प्रत्यारोपण द्वारा शरीर को सामान्य बनाना
(D) शल्य-चिकित्सा का महत्त्व स्थापित करना

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Answer – (C)

80. अनुच्छेद में प्रयुक्त ‘निरामय’ शब्द का पर्याय है
(A) सुन्दर
(B) स्वस्थ
(C) अद्भुत
(D) नवीन

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Answer – (B)

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