UGC-NET 08 July 2018 Exam (Paper 1)

UGC-NET 08 July 2018 Exam (Paper 1 with Answer Key)

UGC द्वारा आयोजित की गई UGC-NET (National Eligibility Test) की परीक्षा (Exam) के अंतर्गत  Junior Research Fellowship और Assistant Professor की परीक्षा का संपन्न कराई गई थी। इस परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र (Paper 1) व उत्तर कुंजी (Answer Key) यहाँ उपलब्ध है – 

परीक्षा (Exam) – UGC NET July 2018
आयोजक (Organizer) – UGC
दिनाकं (Date) – 08 – July – 2018
कुल प्रश्नों की संख्या (Total Question) – 50

UGC-NET for Junior Research Fellowship & Assistant Professor Exam Paper – I (08 July 2018)

 

1. निम्नलिखित में से कौनसा कथन समुच्चय शिक्षण की प्रकृति और उद्देश्य का उत्तम ढंग से विवरण प्रस्तुत करता है? नीचे दिए गए कूट में से अपने उत्तर को चुनिए :
(a) शिक्षण और अधिगम अविच्छिन्न रूप से संबंधित हैं।
(b) शिक्षण और प्रशिक्षण के बीच कोई अंतर नहीं है।
(c) समस्त शिक्षण का सरोकार छात्रों में कुछ प्रकार के रूपांतरण को सुनिश्चित करने से होता है।
(d) समस्त अच्छा शिक्षण प्रकृति में औपचारिक होता है।
(e) शिक्षक एक वरिष्ठ व्यक्ति होता है।
(f) शिक्षण एक सामाजिक कृत्य है, जबकि अधिगम एक व्यक्तिगत कृत्य है।
कूट :
(1) (a), (b) और (d)
(2) (b), (c) और (e)
(3) (a), (c) और (f)
(4) (d), (e) और (f)

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Answer – (3)

2. अधिगमकर्ता की निम्नलिखित में से कौनसी विशेषता शिक्षण की प्रभावोत्पादकता से अत्यंत रूप से संबंधित है?
(1) अधिगमकर्ता का पूर्व-अनुभव
(2) अधिगमकर्ता के अभिभावकों का शैक्षिक प्रस्तर
(3) अधिगमकर्ता के साथी समूह
(4) परिवार का आकार, जिसका अधिगमकर्ता एक अंग है।

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Answer – (1)

3. नीचे दिए गए दो समुच्चयों में समुच्चय – I में शिक्षण विधियाँ इंगित की गई हैं, जबकि समुच्चय – II में सफलता/ प्रभावोत्पादकता की मूल अपेक्षाएँ दी गई हैं। इन दोनों समुच्चयों को सुमेलित कीजिए और नीचे दिए गए कूट में से अपने उत्तर को चुनिए :

समुच्चय -I ( शिक्षण विधि) समुच्चय – II  (सफलता/प्रभावोत्पादकता की मूल आवश्यकताएँ)
(a) व्याख्यान देना (i) प्रतिपुष्टि सहित लघु पदों में प्रस्तुति
(b) समूहों में चर्चा (ii) बड़ी संख्या में विचारों को प्रस्तुत करना
(c) विचारावेश प्रक्रिया (iii) स्पष्ट भाषा में विषयवस्तु का सम्प्रेषण
(d) अभिक्रमित अनुदेशन की पद्धति (iv) शिक्षण-उपकरणों का उपयोग
(v) प्रतिभागियों में प्रकरण-आधारित भागीदारी

कूट :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (ii) (iii) (iv)
(2) (ii) (iii) (iv) (v)
(3) (iii) (v) (ii) (i)
(4) (iv) (ii) (i) (iii)

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Answer – (3)

4. नीचे दी गई मूल्यांकन प्रक्रियाओं में से उसकी पहचान कीजिए, जिसको निर्माणात्मक मूल्यांकन’ कहा जाता है। नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करते हुए अपने उत्तर को चुनिए :
(a) शिक्षक पाठ्यक्रम का कार्य पूरा करने के बाद छात्रों को ग्रेड देता है।
(b) शिक्षक कक्षा में छात्रों के साथ अंतःक्रिया के दौरान सुधारात्मक प्रतिपुष्टि प्रदान करता है।
(c) शिक्षक इकाई परीक्षण में छात्रों को अंक देता है।
(d) शिक्षक कक्षा में ही छात्रों के संदेहों को स्पष्ट करता है।
(e) छात्रों के समग्र निष्पादन के बारे में प्रत्येक तीन माह के अंतराल पर अभिभावकों को रिपोर्ट किया जाता है।
(f) शिक्षक प्रश्न-उत्तर सत्र के माध्यम से अधिगमकर्ता की अभिप्रेरणा में वृद्धि करता है।
कूट :
(1) (a), (b) और (c)
(2) (b), (c) और (d)
(3) (a), (c) और (e)
(4) (b), (d) और (f)

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Answer – (4)

5. अभिकथन (A) : समस्त शिक्षण का उद्देश्य अधिगम को सुनिश्चित करना होना चाहिए।
तर्क (R) : समस्त अधिगम शिक्षण का परिणाम होता है। नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर को चुनिए :
(1) (A) एवं (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) एवं (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

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Answer – (3)

6. नीचे दो समुच्चय दिए गए हैं। समुच्चय – I में शोध के प्रकार दिए गए हैं, जबकि समुच्चय – II में उनकी विशेषताएँ इंगित की गई हैं। इन दोनों को सुमेलित कीजिए और उपयुक्त कूट का चयन कर अपने उत्तर को दीजिए :

समुच्चय -I (शोध के प्रकार) समुच्चय – II (विशेषताएँ)
(a) मौलिक शोध (i) हस्तक्षेप के अनुभूत प्रभाव का पता लगाना
(b) व्यवहृत शोध (ii) सिद्धांत निर्माण के माध्यम से प्रभावोत्पादक व्याख्या का विकास करना
(c) क्रियात्मक शोध (ii) हस्तक्षेप के उपयोग के माध्यम से प्रचलित स्थिति में सुधार लाना
(d) मूल्यांकन-परक शोध (iv) विभिन्न स्थितियों में उपयोग के लिए सिद्धांत की प्रयोज्यता की खोजबीन करना
(v) प्राविधिक संसाधनों को समृद्ध करना

कूट:
(a) (b) (c) (d)
(1) (ii) (iv) (ii) (i)
(2) (v) (iv) (iii) (ii)
(3) (i) (ii) (iii) (iv)
(4) (ii) (iii) (iv) (v)

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Answer – (1)

7. क्रियाकलापों के निम्नलिखित समुच्चयों में कौनसा समुच्चय क्रियात्मक शोध रणनीति की चक्रीय प्रकृति को इंगित करता है?
(1) गहन चिंतन करना, प्रेक्षण करना, नियोजन, क्रियान्विति
(2) प्रेक्षण करना, क्रियान्विति, गहन चिंतन करना, नियोजन
(3) क्रियान्विति, नियोजन, प्रेक्षण करना, गहन चिंतन करना
(4) नियोजन, क्रियान्विति, प्रेक्षण करना, गहन चिंतन करना

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Answer – (4)

8. शोध पदों का निम्नलिखित में से कौन-सा क्रम वैज्ञानिक विधि के निकटस्थ है?
(1) समस्या का प्रस्तावित समाधान, समाधान के परिणामों को निगमित करना, समस्या की स्थिति को अनुभूत करना, कठिनाई की पहचान और समाधान का परीक्षण।
(2) समस्या की स्थिति को अनुभूत करना, वास्तविक समस्या की पहचान और उसकी परिभाषा, परिकल्पना करना, प्रस्तावित समाधान के परिणामों को निगमित करना और परिकल्पना का कार्य रूप में परीक्षण।
(3) समस्या को परिभाषित करना, समस्या के कारणों की पहचान करना, समग्र को परिभाषित करना, प्रतिदर्श का चयन, आंकड़ों का संग्रहण और परिणामों का विश्लेषण करना।
(4) कारण-मूलक कारकों की पहचान करना, समस्या को परिभाषित करना, परिकल्पना बनाना, प्रतिदर्श का चयन, आंकड़ों का संग्रहण और सामान्यीकरण तथा निष्कर्षों पर पहुँचना।

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Answer – (2)

9. ‘शोध नैतिकता’ की समस्या शोध क्रियाकलापों के किस पहलू से संबंधित है?
(1) शोध प्रबंध के निर्धारित प्रारूप के अनुसरण से
(2) गुणात्मक या मात्रात्मक तकनीकों के माध्यम से आंकड़ों के विश्लेषण से
(3) शोध के समग्र को परिभाषित करने से
(4) साक्ष्य-आधारित शोध रिपोर्टिंग से

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Answer – (4)

10. निम्नलिखित में से किस क्रियाकलाप में सृजनशील और समीक्षात्मक चिंतन के संपोषण की अधिक क्षमता है?
(1) शोध सारांश को तैयार करना
(2) संगोष्ठी में शोध लेख को प्रस्तुत करना
(3) शोध सम्मेलन में भागीदारी
(4) कार्यशाला में भागीदारी

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Answer – (3)

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़े और प्रश्न संख्या 11 से 15 तक के उत्तर दीजिए :

यदि भारत को अपनी आंतरिक शक्तियाँ विकसित करनी है, तो उसको तीन गतिशील आयामों – जनता, सर्वांगीण अर्थव्यवस्था और सामरिक हितों को ध्यान में रखते हुए प्रौद्योगिकीय अवश्यकरणीयताओं पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। ये प्रौद्योगिकीय अवश्यकरणीयताएँ एक ‘‘चौथे आयाम”, समय, पर भी ध्यान रखती है जो व्यवसाय, व्यापार एवं प्रौद्योगिकी की आधुनिक गतिशीलता से नि:सृत है, और जो निरंतर बदलते लक्ष्यों की ओर अग्रसर करता है। हमारा यह मानना है कि इस चौथे आयाम के संदर्भ में जनता की आकांक्षाओं में निरंतर हो रहे परिवर्तन, वैश्विक संदर्भ में अर्थव्यवस्था तथा सामरिक महत्व वाले हित के परिप्रेक्ष्य में प्रौद्योगिकीय शक्तियाँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। मानव इतिहास के मूल में प्रौद्योगिक विकास समाया रहता है और इसका उपयोग बढ़ती प्रतिस्पर्धा वाले बाज़ार में प्रौद्योगिकी शक्तियाँ अधिक उत्पादक रोज़गार पैदा करने तथा मानव-कौशलों को अद्यतन बनाए रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। प्रौद्योगिकियों के व्यापक अनुप्रयोग के बिना हम आने वाले समय में अपने लोगों का सर्वांगीण विकास नहीं कर सकते। देश की सामरिक शक्तियों के साथ प्रत्यक्ष संलग्नताएँ विशेष रूप से 1990 के दशक के बाद से अधिकाधिक स्पष्ट होती जा रही है। कई मूल अनुक्षेत्रों में स्वयं भारत की शक्ति उसको भू-राजनीतिक संदर्भ में यथोचित शक्ति की स्थिति में रखती है। एक विकसित देश बनने के आकांक्षी किसी भी देश के लिए विभिन्न सामरिक प्रौद्योगिकियों में शक्ति-सम्पन्न होना और स्वयं की सृजनात्मक शक्तियों के माध्यम से उन्हें निरंतर अद्यतन करते रहने की सामर्थ्य भी आवश्यक है। जन-अभिमुखी कार्यों के लिये भी चाहे विशाल स्तर पर उत्पादनशील रोज़गार का सृजन हो या जनता की पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करनी हो या फिर जीवन यापन की बेहतर स्थितियाँ हों – दोनों दृष्टियों से प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण आगत है। प्रौद्योगिकी पर अपेक्षाकृत अधिक बल की अनुपस्थिति से निम्न स्तरीय उत्पादकता और मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। निम्न स्तरीय उत्पादकता या निम्न स्तरीय मूल्य-संवर्धन से जुड़े क्रियाकलाप अंततः अत्यंत गरीब लोगों को सबसे अधिक हानि पहुँचाते हैं। हमारी जनता को एक नए जीवन तक पहुँचाना और वह जीवन प्रदान करना, जिसके लिए वह हकदार है, इस बारे में प्रौद्योगिकीय अवश्यकरणीयता महत्वपूर्ण है। व्यापार और जी.डी.पी. में वृद्धि की दृष्टि से एक बड़ी आर्थिक शक्ति होने का आकांक्षी भारत विदेश में डिज़ाइन की गयी और निर्मित ‘टर्नकी’ परियोजनाओं की शक्ति या केवल संयंत्र मशीनरी, उपकरण और तकनीकी ज्ञान के बल पर सफल नहीं हो सकता। अल्पकालिक यथार्थों पर ध्यान देते हुए हमारे उद्योगों में मध्यम एवं दीर्घकालिक रणनीतियों द्वारा प्रौद्योगिकीय शक्तियों को विकसित करना विकसित भारत की कल्पना को साकार करने के लिये महत्वपूर्ण है।

11. उपरोक्त गद्यांश के अनुसार निम्नलिखित में से कौन चौथे आयाम को इंगित करता है?
(a) जन-आकांक्षाएँ
(b) आधुनिक गतिशीलता
(c) वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अर्थव्यवस्था
(d) सामरिक हित
कूट :
(1) केवल (a), (b) और (c)
(2) केवल (b), (c) और (d)
(3) केवल (a), (C) और (d)
(4) केवल (a), (b) और (d)

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Answer – (3)

12. अधिक उत्पादक रोज़गार पैदा करने के लिए आवश्यक है :
(1) प्रौद्योगिकी का व्यापक अनुप्रयोग
(2) प्रतिस्पर्धात्मक बाज़ार का दायरा सीमित करना
(3) भू-राजनीतिक सोच-विचार
(4) विशाल उद्योग

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Answer – (1)

13. प्रौद्योगिकी की अनुपस्थिति से किसका मार्ग प्रशस्त होगा?
(a) कम प्रदूषण
(b) मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी
(c) निम्न स्तरीय मूल्य-संवर्धन
(d) अत्यंत गरीब लोगों को सबसे अधिक नुकसान
कूट :
(1) केवल (a), (b) और (c)
(2) केवल (b), (C) और (d)
(3) केवल (a), (b) और (d)
(4) केवल (a), (c) और (d)

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Answer – (2)

14. प्रौद्योगिकीय आगतों के लाभ का परिणाम होगा :
(1) अनियंत्रित प्रौद्योगिकीय संवृद्धि
(2) संयंत्र मशीनरी का आयात
(3) पर्यावरण संबंधी मुद्दों को गौण मानना
(4) हमारे लोगों को गरिमामयी जीवन तक पहुँचाना

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Answer – (4)

15. विकसित भारत की कल्पना को साकार करने के लिए आवश्यक है :
(1) प्रमुख आर्थिक शक्ति बनने की आकांक्षा
(2) विदेश में तैयार की गई परियोजना पर निर्भरता
(3) लघुकालिक परियोजनाओं पर ध्यान केन्द्रित करना
(4) संकेन्द्रिक प्रौद्योगिकीय शक्ति का विकास

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Answer – (4)

16. कक्षागत सम्प्रेषण में कुछ उद्दीपकों की स्वीकार्यता और अस्वीकार्यता के बीच विभेदन किसका आधार है?
(1) निष्पादन की चयनात्मक अपेक्षा
(2) साथी समूहों के साथ चयनात्मक सम्बद्धता
(3) चयनात्मक ध्यान
(4) चयनात्मक नैतिकता

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Answer – (3)

17. अभिकथन (A) : शिक्षक द्वारा कक्षा में छात्रों को दिए गए आरम्भिक संदेशों का बाद में अंत:क्रिया स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण होना आवश्यक नहीं है।
तर्क (R) : सम्प्रेषण प्रक्रिया पर अपेक्षाकृत अधिक नियंत्रण का निहितार्थ छात्रों द्वारा अधिगम पर अपेक्षाकृत अधिक नियंत्रण है।
कूट :
(1) (A) एवं (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) एवं (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

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Answer – (4)

18. अभिकथन (A) : कक्षा में कुशल ढंग से सम्प्रेषण करना एक स्वाभाविक क्षमता है।
तर्क (R) : कक्षा में प्रभावी शिक्षण के लिए सम्प्रेषण प्रक्रिया का ज्ञान आवश्यक है।
कूट :
(1) (A) एवं (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) एवं (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

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Answer – (4)

19. अभिकथन (A) : कक्षागत सम्प्रेषण एक क्रियान्वितिकारी प्रक्रिया है।
तर्क (R) : कोई भी शिक्षक इस मान्यता के अंतर्गत कार्य नहीं करता कि छात्रों की अनुक्रियाएं सोद्देश्य होती हैं।
अपने उत्तर के लिए सही कूट चुनिए :
(1) (A) एवं (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) की सही व्याख्या है।
(2) (A) एवं (R) दोनों सही हैं, लेकिन (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(3) (A) सही है, लेकिन (R) गलत है।
(4) (A) गलत है, लेकिन (R) सही है।

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Answer – (3)

20. मानव सम्प्रेषण प्रक्रिया के विवरण के लिये निम्नलिखित में से कौनसा कथन समुच्चय सही है?
(a) अशाब्दिक सम्प्रेषण विचारों को उद्दीप्त कर सकते हैं।
(b) सम्प्रेषण एक अर्जित क्षमता है।
(c) सम्प्रेषण एक सार्वभौम समाधान नहीं है।
(d) सम्प्रेषण खंडित नहीं हो सकता।
(e) अधिक सम्प्रेषण का अर्थ छात्रों द्वारा अधिक प्रभावी अधिगम है।
(f) कक्षागत सम्प्रेषण के माध्यम से सीखे हुए का मूल्य छात्रों के लिए महत्वपूर्ण नहीं है।
कूट :
(1) (a), (c), (e) और (f)
(2) (b), (d), (e) और (f)
(3) (a), (b), (c) और (d)
(4) (a), (d), (e) और (6)

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Answer – (3)

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