चन्द्रगुप्त मौर्य (Chandragupta Maurya) वंश का संस्थापक थी। जस्टिन और यूनानी विद्वानों ने ‘सेण्ड्रोकोट्टस’ के नाम से उसका उल्लेख किया है। विलियम जोन्स पहले विद्वान थे जिन्होंने सिद्ध किया कि
मौर्य साम्राज्य (324-187 ईसा पूर्व) [Maurya Empire (324–187 BC)] प्राचीन भारतीय इतिहास में मौर्यकाल का विशिष्ट महत्व हैं। यह वह काल है जिससे इतिहास का एक नया युग प्रारम्भ हुआ
नन्द वंश (364 – 324 ईसा पूर्व) (Nanda Dynasty) संस्थापक – नरेश महापद्मनन्द अन्तिम शासक – धनानन्द नन्द वंश (Nanda Dynasty) का संस्थापक नरेश महापद्मनन्द था। पुराणों में उसे ‘उग्रसेन’
वर्ण – व्यवस्था – ‘वर्ण’ शब्द की उत्पत्ति ‘वृण’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ ‘चुनाव करना’ है। वर्ण शब्द का प्रयोग संभवत: व्यवसाय के चुनाव में किया जाता रहा।
अवन्ति जनपद प्राचीन काल से ही शिक्षा का केन्द्र रहा है। यहाँ के सान्दीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम शिक्षा ग्रहण करने आये थे। उल्लेखनीय है कि गुरू सान्दीपनि
महाजनपदीय समाज एक धर्म प्रधान समाज था जिसे भारतीय जीवन का सर्वोच्च आदर्श माना गया है। विश्वास था कि सभी क्रियाकलापों का अंतिम लक्ष्य धर्म संचय करना है। इस दृष्टि
महाजनपद-कालीन प्रशासन में राजतन्त्रात्मक (नृपतंत्र) और गणतन्त्रात्मक दोनों शासन व्यवस्था का प्रचलन था। मध्यप्रदेश में अवन्ति और चेदि दोनों महाजनपद राजतन्त्रात्मक ही थे। राजतंत्र राज्य में मंत्रिपरिषद् (परिषा) का विवरण
अवन्ति जनपद बुद्धकाल में अवन्ति जनपद शक्ति और विस्तार की दृष्टि से भारत का प्रबलतम् और विशालतम् जनपद था। सर्वप्रथम ऋग्वेद की एक ऋचा में अवन्ति शब्द का उल्लेख मिलता
छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व में भारत में कोई एक सार्वभौम सत्ता नहीं थी, जो सम्पूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बांधे रख सके। सम्पूर्ण राष्ट्र अनेक जनपदों में विभक्त था।
मध्य प्रदेश का वैदिक साहित्य (Vedic Literature of Madhya Pradesh) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में वैदिक संस्कृति (Vedic Literature) के प्रसार के विषय में विद्वानों में मत-वैभिन्य है – मैक्समूलर
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