सतवंदी विद्रोह (Rebellion of Satwandi)
सतवंदी विद्रोह, सतवंदी (महाराष्ट्र) में वर्ष 1839 – 45 हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व फोंड सावंत (प्रमुख सामंत) और अन्ना साहिब (प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी) ने किया था।
आन्दोलन का मुख्य कारण
- खेन सावंत (सतवंदी के शासक) की पदच्युति और राज्य का प्रशासन चलाने के लिए एक ब्रिटिश अधिकारी की नियुक्ति, ब्रिटिश प्रशासन व्यवस्था से लोगों की नाराजगी।
आंदोलन का घटनाक्रम तथा प्रभाव
- सामंतों द्वारा विद्रोह एवं अंग्रेजों को हटाने का प्रयास।
- विद्रोह में पूरे राज्य की जनता अंग्रेजों के विरुद्ध एकजुट हो गई।
- अंग्रेजों द्वारा मार्शल कानून लागू कर आंदोलन का दमन करना।
राजू विद्रोह (Rebellion of Raju)
राजू विद्रोह, विशाखापट्टनम (आन्ध्र प्रदेश) में वर्ष 1827 – 33 हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व वीरभद्र राजू ने किया था।
आन्दोलन का मुख्य कारण
- वीरभद्र को अंग्रेजों द्वारा पेंशन की एक छोटी रकम देकर अपनी जागीर से हटा दिया गया।
आंदोलन का घटनाक्रम तथा प्रभाव
- वीरभद्र द्वारा अंग्रेजी शासक की अवज्ञा तथा विद्रोह जब तक वह पकड़ा नहीं गया।
पलकोंडा विद्रोह (Rebellion of Palakonda)
पलकोंडा विद्रोह, पलकोंडा (आंध्र प्रदेश) में वर्ष 1831 – 32 हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व पलकोंडा के जमींदार ने किया था।
आन्दोलन का मुख्य कारण
- कर की अदायगी नहीं करने के कारण जमींदारों की संपत्ति जब्त।
आंदोलन का घटनाक्रम तथा प्रभाव
- पलकोंडा की जागीर को ब्रिटिश शासन के अधीन ले लेना।
गुम्सर विद्रोह (Rebellion of Gumsar)
गुम्सर विद्रोह, गुम्सर (गंजाम जिला) में वर्ष 1835 – 37 हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व धनंजय भांजा (गुम्सर के जमींदार) ने किया था।
आन्दोलन का मुख्य कारण
- अंग्रेजों को कर बकाया चुकाने में उसकी असफलता
आंदोलन का घटनाक्रम तथा प्रभाव
- जमींदार विद्रोह, मिस्टर रसेल की आयुक्त के रूप में नियुक्ति।
- 1837 ई० में बड़ी संख्या में सैनिक अभियान के बाद अंदोलन की समाप्ति।
परलाकीमेडी विद्रोह (Rebellion of Parlakimedi)
परलाकीमेडी विद्रोह, परलाकीमेडी (उड़ीसा) में वर्ष 1829 – 35 हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व जगन्नाथ गजपति एवं नारायण राव ने किया था।
आन्दोलन का मुख्य कारण
- 1827 ई० में अंग्रेजों द्वारा बकाया के लिए जमींदारी की संपत्ति जब्त कर ली गई।
आंदोलन का घटनाक्रम तथा प्रभाव
- जमींदार का विद्रोह जिससे जनता द्वारा एक लोकप्रिय आंदोलन शुरू, आंदोलन का दमन।
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