ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रारंभिक आंदोलन भाग – 2 | TheExamPillar
Early Movement against British rule

ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रारंभिक आंदोलन भाग – 2

किट्टर विद्रोह (Rebellion of Kittar)

किट्टर विद्रोह किट्टर (कर्नाटक में धारवाड़ के नजदीक) में वर्ष 1824 – 29हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व चेन्नमा तथा रयप्पा ने किया था।

आन्दोलन का मुख्य कारण

  • किट्टर के शिवलिंग देसाई की मृत्यु (1824) में हुई जिसका कोई पुरुष संतान नहीं थी। अंग्रेजों द्वारा दत्तक पुत्र को देसाई मानने से इनकार एवं किट्टर प्रशासन को अपने हाथों में ले लेना।

आंदोलन का घटनाक्रम तथा प्रभाव 

  • 1824 ई० में चेन्नमा (स्व० देसाई 1 की विधवा) का विद्रोह एवं ठाकरे (धारवाड़ का कलक्टर) सहित कई अंग्रेजों की हत्या की गई। 
  • किट्टर पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। 
  • 1829 में रयण्या के नेतृत्व में किट्टर लोगों द्वारा विद्रोह एवं अपने को स्वतंत्र घोषित कर दत्तक पुत्र को देसाई बनाया गया ।
  • रयप्पा को अंग्रेजों द्वारा फांसी और चेन्नमा की धारवाड़ जेल में मृत्यु। 

संबलपुर का विद्रोह (Revolt of Sambalpur)

संबलपुर का विद्रोह संबलपुर (उड़ीसा) में वर्ष  1827 – 40 हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व सुरेंद्र साई ने किया था।

आन्दोलन का मुख्य कारण

  • अंग्रेजों द्वारा संबलपुर के आंतरिक मामलों जैसे उत्तराधिकार के मामलों में दखलंदाजी करना ।

आंदोलन का घटनाक्रम तथा प्रभाव 

  • महाराज साई (शासक) की मृत्यु तथा सिविल युद्ध की शुरुआत।
  • मोहन कुमारी (स्व० राजा की विधवा) का अंग्रेजों की सहायता से राज्यारोहण तथा सुरेंद्र साई के नेतृत्व में अन्य दावेदारों द्वारा विद्रोह।
  • अंग्रेजों द्वारा 1840 ई० में सुरेंद्र साई को बंदी बनाना और उसे आजीवन कारावास की सजा देना। 

सतारा अशांति (Disturbance of Satara)

सतारा अशांति सतारा (महाराष्ट्र) में वर्ष  1840 – 41 हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व धरराव पवार एवं नर सिंह दत्तात्रेय पाटेकर ने किया था।

आन्दोलन का मुख्य कारण

  • अंग्रेजों द्वारा प्रतापसिंह की पदच्युति एवं देश निकाला, जो कि सतारा का लोकप्रिय शासक था।

आंदोलन का घटनाक्रम तथा प्रभाव 

  • 1840 ई० में धरराव के नेतृत्व में सतारा की जनता द्वारा विद्रोह।
  • 1841 ई० में नरसिंह के नेतृत्व में उनका विद्रोह तथा बादामी पर कब्जा।
  • अंग्रेजों द्वारा नरसिंह की हार तथा उस पर कब्जा (उसे आजीवन काला पानी की सजा हुई)।

बुंदेला विद्रोह (Rebellion of Bundela)

बुंदेला विद्रोह, सागा एवं दमोह (बुदेलखंड) में वर्ष 1842 हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व मधुकर शाह एवं जवाटीर सिंह ने किया था।

आन्दोलन का मुख्य कारण

  • ब्रिटिश भूमि कर नीति से नाराजगी।

आंदोलन का घटनाक्रम तथा प्रभाव 

  • शाह तथा सिंह के नेतृत्व में बुंदेलों का विद्रोह।
  • पुलिस अधिकारियों की मृत्यु एवं ब्रिटिश प्रशासन का विघटन।
  • अंग्रेजों द्वारा मधुकर शाह एवं सिंह को फांसी देना।

गदकारी विद्रोह (Rebellion of Gadkari)

गदकारी विद्रोह, कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में वर्ष 1844 – 45 हुआ था। 

आन्दोलन का मुख्य कारण

  • अंग्रेजों द्वारा कोल्हापुर पर अधिकार करना ।
  • गदकारियों की कर सुधार नीति से नाराजगी।

आंदोलन का घटनाक्रम तथा प्रभाव 

  • गदकारी विद्रोह पूरे कोल्हापुर में एवं कोल्हापुर राज्य के सभी भागों में एक लोकप्रिय विद्रोह था।
  • अंग्रेजों द्वारा इस आंदोलन का निर्णायक दमन कर दिया गया।
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