उत्तराखण्ड में शिल्पकला (Craft in Uttarakhand) राज्य की प्रमुख चित्रकलाओं का विवरण निम्न है – रिंगाल शिल्प रिंगाल से कण्डी, चटाई, सूप, टोकरी व मोस्टा तैयार किए जाते हैं, जिनका
उत्तराखण्ड के प्रमुख वाद्य यन्त्र (Major Musical Instruments of Uttarakhand) ढोल यह साल की लकड़ी और ताँबे का बना होता है। इसके बाईं ओर बकरी की तथा दाईं ओर भैंस या
उत्तराखण्ड के प्रमुख लोकगीत (Major Folk Songs of Uttarakhand) उत्तराखण्ड के प्रमुख लोकगीतों का विवरण निम्न हैं – चौफुला गीत यह प्रेम व मिलन का गीत है। यह स्त्री व
उत्तराखण्ड के प्रमुख लोकनृत्य (Important Folk Dance of Uttarakhand) धार्मिक नृत्य यह नृत्य गीतों एवं वाद्ययन्त्रों के स्वरों द्वारा देवता विशेष पर अलौकिक कम्पन के रूप में होता है। कम्पन
उत्तराखण्ड के हिमनद (ग्लेशियर) पर्वतीय ढालों पर हिम के सरकने से हिमनदियों की उत्पत्ति होती है। वृहत हिमालय में विशाल हिमनद (ग्लेशियर – Glacier) पाए जाते हैं, हिमनदों (Glaciers) को
उत्तराखंड के जनपद, स्थापना वर्ष व मुख्यालय जनपद स्थापना वर्ष मुख्यालय अल्मोड़ा 1891 अल्मोड़ा बागेश्वर 5 सितम्बर, 1997 बागेश्वर चमोली 14 फरवरी, 1960 गोपेश्वर चम्पावत 15 दिसंबर 1997 चम्पावत देहरादून
उत्तराखंड का जल प्रवाह तंत्र (Water Flow System of Uttarakhand) भौगोलिक दृष्टि से उत्तराखंड (Uttarakhand) को तीन प्रमुख जलागम क्षेत्रों (Catchment Area) में विभाजित किया जा सकता है – भागीरथी
ई0 गार्डनर (E. Gardner) को 1815 ई0 में कुमाऊँ का पहला कमिश्नर नियुक्त किया गया। उनके सहायक के रूप में ट्रेल को नियुक्ति मिली। इसके साथ ही उत्तराखण्ड के प्रशासनिक
जन्म – 21 अक्तूबर 1830 मृत्यु – 1 फरवरी 1895 जन्मस्थान – पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील स्थित मिलम गांव पिता – अमर सिंह ‘लाटा बुढा’ पंडित नैन सिंह रावत
उत्तराखंड के सैन्य छावनियां (Military Cantonments of Uttarakhand) सैन्य छावनी (Military Cantonments) से तात्पर्य उस क्षेत्र से है जहाँ सेना रहती है। ऐसे क्षेत्रों का प्रशासन छावनी परिषद द्वारा किया जाता
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