उत्तराखण्ड के वाद्य यन्त्र (Musical Instruments of Uttarakhand)

उत्तराखण्ड के प्रमुख वाद्य यन्त्र
(Major Musical Instruments of Uttarakhand)

ढोल 

  • यह साल की लकड़ी और ताँबे का बना होता है। इसके बाईं ओर बकरी की तथा दाईं ओर भैंस या बारहसिंहा की खाल चढ़ी होती है। 

दमाऊँ/दभामा

  • यह ताँबे का नौ इंच गहरे कटोरे की भाँति बना होता है तथा इस पर मोटा चमड़ा चढ़ा होता है। यह चन्द्र ढोल के साथ बजाया जाता है। 

मशकबीन

  • यह कपड़े का थैलीनुमा वाद्य यन्त्र है, जिसमें 5 बाँसुरी जैसे यन्त्र लगे होते हैं। इसमें एक नली हवा फूंकने के लिए होती है।

हुड़की

  • यह एक फुट लम्बा वाद्य यन्त्र है जिसकी दोनों पुड़ियों को बकरी की खाल से बनाया जाता है। यह दो प्रकार की होती है, छोटी हुड़की को साइत्या कहते हैं तथा बड़ी हुड़की को हुडुक कहते हैं। 

मोछंग

  • यह एक छोटा वाद्य यन्त्र है, जो लोहे की पतली शिराओं से बना होता है। यह मुख्यतः पशुचारक वनों में बजाते हैं। यह होंठों पर स्थिर कर एक अंगुली से बजाया जाता है। 

रणसिंघा

  • यह ताँबे का बना पूँक वाद्य यन्त्र है। पूर्व में यह युद्ध के समय बजाया। जाता था। वर्तमान में इसका प्रयोग दमाऊँ के साथ देवताओं को नृत्य करवाने में किया जाता है। 

अल्गोजा

  • यह बाँस या रिंगाल की बनी बाँसुरी होती है। इसे प्रायः खुदेड़ और झुमैला लोक गीतों के साथ बजाया जाता है। 

बिणाई

  • यह वाद्य यन्त्र लोहे का बना होता है। इसे दोनों सिरों को दाँतों के बीच में दबाकर बजाया जाता है।

 

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Uttarakhand Current Affairs Jan - Feb 2023 (Hindi Language)
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