प्रश्न संख्या 81 से 84 के लिये निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िये तथा प्रश्न संख्या 81 से 84 के उत्तर गद्यांश में वर्णित तथ्यों के आधार पर दीजिये।
आज तीसरी दुनिया के विकासशील देशों में देश के आधुनिकीकरण और विकास में रूचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये भूमंडलीकरण एक मोहक शब्द है। अमेरिका तथा उसकी बिरादरी के एकाधिकारवादी बड़े पूंजीवादी देशों ने गरीबी से संघर्ष कर रहे विकासशील देशों के त्वरित विकास के लिये इसे एक कारगर और प्रभावी उपाय के रूप में प्रचारित किया है। विकास के प्रश्न को केवल अर्थशास्त्र की दृष्टि से देखने वाले इन बड़े राष्ट्रों को मानना है कि सकल राष्ट्रीय उत्पाद और राष्ट्रीय आय की वृद्धि में इसकी भूमिका चमत्कारिक है। इस अर्थ में भूमंडलीकरण आज विश्व में विकास का नया और आकर्षक नारा बन गया। आर्थिक विकास के संदर्भ में भूमंडलीकरण का अर्थ है किसी देश की अर्थव्यवस्था को अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से सम्बद्ध कर उसे विश्वव्यापी बनाना। इसके लिये सभी वस्तुओं के आयात की खुली छूट, सीमा शुल्क में कमी, विदेशी पूँजी के मुक्त प्रवाह की अनुमति, सेवा क्षेत्र विशेषकर बैंकिंग, बीमा तथा जहाज़रानी क्षेत्रों में विदेशी पूंजी-निवेश आदि उदार अर्थनीतियों को अपनाना आवश्यक है। आर्थिक उदारीकरण भूमंडलीकरण की आधरभूत शर्त है जिसके बिना देश की अर्थव्यवस्था को विश्वव्यापी आयाम नहीं दिया जा सकता। उदारीकरण का अर्थ है देश के उद्योग व्यापार, लघुउद्योग और निर्यात की अपेक्षा कर देश में विदेशी उद्योग व व्यापार स्थापित करने एवं आयात को बढ़ावा देने की उदारता बरतना। इस प्रकार भूमंडलीकरण निर्यात की तुलना में आयात तथा स्वदेशी उद्योग धन्धों की अपेक्षा विदेशी उद्योग धन्धों की प्रोत्साहन देने की आधारभूत नीति को अपनाकर चलता है, जो किसी भी राष्ट्र के हित में नहीं है। विश्व के बड़े पूंजीवादी राष्ट्रों ने भूमंडलीकरण को विकासशील देशों के लिये एक अद्भूत वरदान माना है। गोया वह उन देशों के विकास के लिये अलादीन का चिराग हो।
81. भूमंडलीकरण में
A. विश्व के सभी देशों के समान विकास की भावना निहित है।
B. राष्ट्रों की सांस्कृतिक अस्मिता का संरक्षण होता है।
C. बड़े राष्ट्रों की एकाधिकारवादी मनोवृत्ति पर कुठाराघात होता है।
D. बड़े देशों द्वारा छोटे देशों का शोषण करने की भावना निहित है।
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82. ‘अलादीन का चिराग’ का अर्थ है
A. एक मात्र सहारा
B. सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प
C. अभीप्सित वस्तु
D. उपर्युक्त में से कोई नहीं
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83. इस गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक निम्नलिखित में से क्या होना चाहिये ?
A. आर्थिक उदारीकरण
B. वैश्वीकरण
C. भूमंडलीकरण
D. बाज़ारीकरण
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84. भूमंडलीकरण से
A. निर्यात को प्रोत्साहन मिलता है।
B. विदेशी उद्योग धंधों को प्रोत्साहन मिलता है।
C. स्वदेशी उद्योग धंधों को प्रोत्साहन मिलता है।
D. विकासशील देशों का त्वरित विकास होता है।
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प्रश्न संख्या 85 से 88 के लिये निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िये तथा प्रश्न संख्या 85 से 88 के उत्तर गद्यांश में वर्णित तथ्यों के आधार पर दीजिये।
शीलयुक्त व्यवहार मनुष्य की प्रकृति और व्यक्तित्व को उद्घाटित करता है। उत्तम प्रशंसनीय और पवित्र आचरण ही शील है। शीलयुक्त व्यवहार प्रत्येक शक्ति के लिये हितकर है। इससे मनुष्य की ख्याति बढ़ती है। शीलवान व्यक्ति सबका हृदय जीत लेता है। शील युक्त व्यवहार से कटुता दूर भागती है। इससे शंका और सन्देह की स्थितियाँ कभी उत्पन्न नहीं होती। इससे ऐसा सुखद वातावरण सृजित होता है जिसमें सभी प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। शीलवान व्यक्ति अपने सम्पर्क में आने वाले सभी लोगों को सुप्रभावित करता है। शील इतना प्रभुत्वपूर्ण होता है कि किसी कार्य के बिगड़ने की नौबत ही नहीं आती।
अधिकारी अधीनस्य, शिक्षक-शिक्षार्थी, छोटों-बड़ों आदि सभी के लिये शीलयुक्त व्यवहार समान रूप से आवश्यक है। शिक्षार्थी में शील का अभाव है तो वह अपने शिक्षक से वाच्छित शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता। शीलवान अधिकारी या कर्मचारी में आत्मविश्वास की वृद्धि स्वतः ही होने लगती है और साथ ही साथ उसके व्यक्तित्व में शालीनता आ जाती है इस अमूल्य गुण की उपस्थिति में अधिकारी वर्ग और अधीनस्थ कर्मचारियों के बीच, शिक्षकगण और विद्यार्थियों के बीच तथा शासक और शासित के बीच मधुर एवं प्रगाढ़ सम्बन्ध स्थापित होते हैं। इस गुण के माध्यम से छोटे-से-छोटा व्यक्ति बड़ों की सहानुभूति अर्जित कर लेता है।
शील कोई दुर्लभ और दैवी गुण नहीं है। इस गुण को अर्जित किया जा सकता है। पारिवारिक संस्कार इस गुण को विकसित और विस्तारित करने में बड़ी भूमिका अदा करते हैं। मूल भूमिका तो व्यक्ति स्वयं,अदा करता है। चिंतन, मनन, सत्संगति, स्वाध्याय और सतत अभ्यास से इस गुण की सुरक्षा और इसका विकास होता है। सुसंस्कृत मनुष्य के चरित्र का यह शील अभिन्न अंग है। यह गुण मनुष्य को सच्चे अर्थों में मानव बनाता है। इस अमूल्य गुण को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना प्रत्येक मनुष्य का परम कर्तव्य है। इससे मनुष्य की गरिमा बढ़ती है और उससे व्यक्तित्व में चार चाँद लग जाते हैं।
85. शील गुण के कारण अधिकारियों और कर्मचारियों में
A. मधुर एवं प्रगाढ़ सम्बन्ध स्थापित होता है।
B. कटुता एवं वैमनस्य स्थापित होता है।
C. परस्पर सन्देह बढ़ता है।
D. स्नेह घटने लगता है।
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86. शील गुण किस प्रकार अर्जित किया जा सकता है ?
A. मित्रों के साथ समय बिताने से
B. प्रतिदिन नियमित व्यायाम से
C. स्वयं के चिन्तन, मनन, सत्संगति एवं सतत अभ्यास से
D. ख्याली पुलाव पकाने से
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87. शीलयुक्त व्यवहार प्रत्येक व्यक्ति के लिये हितकर है क्योंकि इससे
A. बहुत अधिक सम्पत्ति मिलती है।
B. कटुता दूर होती है।
C. दीर्घ आयु प्राप्त होती है।
D. पुण्य प्राप्त होता है।
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88. शीलवान व्यक्ति अपने सम्पर्क में आने वाले लोगों को कैसे प्रभावित करता है ?
A. साधन सुलभ कराने के द्वारा प्रभावित करता है।
B. लोगों की निःस्वार्थ सेवा द्वारा प्रभावित करता है।
C. सबको गर्मजोशी से स्वागत द्वारा प्रभावित करता है।
D. सुखद वातावरण के सृजन द्वारा प्रभावित करता है।
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89. निम्नलिखित सम्प्रेषण के पक्षों में से बेमेल पद ज्ञात कीजिये :
A. पहुँच
B. विषयों की प्राथमिकता
C. बाधाएँ
D. व्यवहार का अर्थ
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90. निम्नलिखित में से कौन एक अन्तवैयक्तिक सम्बन्धों के निर्माण में समस्या उत्पन्न कर सकता है ?
A. शर्मीलापन
B. सांवेगिक परिपक्वता
C. द्रढ़तापरकता
D. तदनुभूति
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91. किसी संगठन में सम्प्रेषण,जो प्रकार्यों एवं स्तरों से परे जाता है, वह है
A. ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण
B. अनुप्रस्थ सम्प्रेषण
C. विकर्ण सम्प्रेषण
D. अधोगामी सम्प्रेषण
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92. अंतवैयक्तिक सम्प्रेषण के निम्नलिखित प्रतिमानों में से किसमें समानता-संबंध सम्पोषित होता है परन्तु प्रत्येक व्यक्ति के पास भिन्न क्षेत्रों पर प्राधिकार भी होता है ?
A. संतुलित-विभाजन प्रतिमान
B. समानता प्रतिमान
C. असंतुलित-विभाजन प्रतिमान
D. एकाधिकार प्रतिमान
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93. निम्नलिखित सम्प्रेषण संजालों में से किसमें समूह का प्रत्येक सदस्य केवल अपने से निकटतम सदस्य से ही सम्प्रेषण कर सकता है ?
A. चक्र संजाल
B. ‘वाई’ संजाल
C. शृंखला संजाल
D. वृत्त संजाल
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94. जब व्यक्ति यह अनुभव करते है कि उनके व्यवहार को प्रतिबंधित किया जा रहा है,तो वे एक प्रकार से प्रतिक्रिया करते हैं जिसे कहा जा सकता है
A. मनोवैज्ञानिक सुरक्षा
B. मनोवैज्ञानिक सतर्कता
C. मनोवैज्ञानिक प्रतिघात
D. मनोवैज्ञानिक दृढ़ता
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95. संप्रेषण के प्रक्रम में प्रथम चरण है
A. कूट संकेतन
B. संदेश
C. विसंकेतन
D. ग्रहण
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96. निम्नलिखित में से कौन सा कौशल किसी के साथ निकट मित्रता को बनाए रखने में सहायक होता है ?
A. चीजें उधार लेना
B. स्वैच्छिक रूप से आवश्यकता पड़ने पर सहायता करना
C. शक्ति अभिप्रेरणा
D. पार्टी में प्रसन्न रहना
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97. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
कथन (A) : लोग और उनकी समस्याएँ विलक्षण होती हैं।
कथन (R) : सक्रिय श्रवण उस व्यक्ति को, जिसे सुना जा रहा है, कुछ सम्प्रेषित करता है।
नीचे दिये गए कूट से सही उत्तर चुनिये :
A. (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
B. (A) सही हैं, किंतु (R) गलत है।
C. (A) गलत हैं, किन्तु (R) सही है।
D. (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
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98. प्राप्त किये गए संदेश में कोई विचलनशीलता, जिसका पूर्व कथन स्रोत पर नहीं किया जा सकता था, गुणारोपित की जाती है
A. भ्रम पर
B. कोलाहल पर
C. अवरोध पर
D. अतार्किक चिन्तन पर
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99. सूची-I को सूची-II के साथ सुमेलित कीजिये तथा सूचियों के नीचे दिये गए कूटों के आधार पर सही उत्तर दीजिए :
. सूची-I सूची-II
(संचार के प्रकार) (चर)
a. शाब्दिक 1. सामाजिक सांस्कृतिक कारक
b. लिखित 2. भाषा प्रवाहिता
c. संकेत 3. अंतर्निहित अर्थ
d. दैहिक हाव भाव 4. संज्ञानात्मक क्षमता
कूट :
. a b c d
A. 2 3 1 4
B. 2 4 1 3
C. 1 3 4 2
D. 3 1 2 4
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100. वरिष्ठ-कनिष्ठ सम्बन्ध में वैयक्तिक या गैर-वैयक्तिक सूचना का प्रकटन कहलाता है।
A. निकटता
B. सहभागिता
C. खुलापन
D. अनौपचारिकता
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