Reform of henry ramz in uttarakhand Archives | TheExamPillar

Reform of henry ramz in uttarakhand

उत्तराखंड में हेनरी रामजे के सुधार

हेनरी रामजे

  • हेनरी रामजे ने लगभग 44 वर्षों तक विभिन्न पदों पर ब्रिटिश कुमाऊँ में कार्य किया।
  • इसमें से 28 वर्ष वे कुमाऊँ के छठे कमिश्नर रहे।
  • इसके अतिरिक्त वे वरिष्ठ सहायक कमिश्नर गढ़वाल और कुमाऊँ के पद पर भी कार्यरत रहे।
  • 1857 के विद्रोह से 15 माह पूर्व उन्हें कुमाऊँ के कमिश्नर पद पर नियुक्ति मिली थी।
  • रामजे मूलतः स्कॉटलैंड के निवासी और लॉर्ड डलहौली के चचेरे भाई थे।
  • लुशिंगटन की बेटी से इनका विवाह हुआ था।
  • ईसाई मत के वे बड़े प्रचारक थे।
  • पहाड़ी भाषा भी बोल लेते थे एवं कृषकों के घर की मंडवे की रोटी भी खा लेते थे।
  • सम्पूर्ण कुमाऊँ में ‘रामजी साहब’ के नाम से लोकप्रिय हुए।
  • अंग्रेज लेखकों ने तो उन्हें ‘कुमाऊँ का राजा’ की संज्ञा से भी विभूषित किया है।
  • 1884 ई0 में सेवानिवृत्त हुए और 1892 तक अल्मोड़ा में ही रहे।
  • रामजे नवाबी तरीके से शासन करते थे। वे चार माह विन्सर, चार माह अल्मोड़ा तथा चार माह भावर में रहते थे।
  • उनका सबसे प्रशंसनीय कार्य तराई-भावर को आबाद करना था।
  • उनके प्रयासों से इस क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप कम हुआ।
  • सड़को, नहरों एवं नगरों के विकास के साथ ही तराई-भावर में खेती का खूब विस्तार हुआ।
  • लॉर्ड मेयो जब कुमाऊँ आए तो उन्होंने रामजे के तराई-भावर प्रबन्धन की खूब प्रंशसा की।
  • 1857 के सैनिक विद्रोह के अवसर पर रामजे के अधीन यह क्षेत्र अपेक्षाकृत शांत रहा।
  • बरेली एवं रूहेलखण्ड के अधिकारियों और यूरोपियों ने मई 1858 तक नैनीताल में प्रवास किया।
  • सैन्य विद्रोह की अवधि में विद्रोह के केन्द्र के इतने निकट होते हुए भी रामजे कुमाऊँ, टिहरी क्षेत्र में शान्ति बहाल रखने में सफल रहे। इसी कार्य के पुरस्कार स्वरूप वे अगले 26 वर्षों तक कुमाऊँ के निर्बाध शासक रहे।
  • रामजे ने बैकेट को बंदोबस्त का कार्य सौंपा क्योंकि बैटन का 8वाँ बंदोबस्त 20 वर्षों के लिए था और 1860 ई0 में इसकी अवधि समाप्त हो रही थी।
  • बैकेट द्वारा किया गया बंदोबस्त गढ़वाल-कुमाऊँ का एक ही अधिकारी द्वारा किया गया अन्तिम बंदोबस्त था।
  • इसमें गढ़वाल के 4392 व कुमाऊँ के 6333 ग्रामों की पैमाइश हुई।
  • खाम स्टेट प्रबन्धन के माध्यम से रामजे को सफल वन प्रबन्धन का श्रेय जाता है।
  • रामजे ने 1861 में हिमालय के तराई क्षेत्र के जंगलों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करवाई।
  • रामजे साहब 1868 ई0 तक कुमाऊँ कमिश्नर के साथ-साथ वन संरक्षक भी रहे।

इस प्रकार हम पाते हैं कि कुमाऊँ पर 1815 ई0 से लेकर स्वतन्त्रता प्राप्ति तक क्रमशः गार्डनर, ट्रेल गोबान, लुशिंगटन, बैटन, रामजे, फिशर, रौस, ग्रिग, अर्सकिन, रावस, डेभिस, ग्रेसी, कम्पबैल, बिनढक, स्टाइफ, ओयन और इबॅस्टन महोदय ने कमिश्नर के पद पर कार्य किया। कुछ लोगों ने अस्थायी कमिश्नर के तौर पर भी कार्यभार ग्रहण किया था। उनकी सूची उपलब्ध नहीं हैं। जो भी हो एक बात साफ है कि लगभग सभी शासकों ने इस क्षेत्र में एकतंत्र की ही स्थापना की।

ब्रिटिश कालीन उत्तराखंड

Read Also :
Uttarakhand Study Material in Hindi Language (हिंदी भाषा में)  Click Here
Uttarakhand Study Material in English Language
Click Here 
Uttarakhand Study Material One Liner in Hindi Language
Click Here
Uttarakhand UKPSC Previous Year Exam Paper  Click Here
Uttarakhand UKSSSC Previous Year Exam Paper  Click Here
error: Content is protected !!