मौर्ययुग धार्मिक सहिष्णुता का युग था। यद्यपि इस समय के शासक स्वयं भिन्न-भिन्न धर्मों को मानते थे, किसी भी शासक ने बलपूर्वक अपने धार्मिक विश्वास को प्रजा पर थोपने का
शिक्षा व्यवस्था (Education System) प्राचीन काल से उज्जयिनी शिक्षा का केन्द्र रही है। मौर्य काल मे बौद्धों एवं जैनों के विशिष्ट प्रभाव से शिक्षा व्यवस्था विहारों और मठों में थीं।
मौर्य साम्राज्य की सामाजिक स्थिति (Social Status of Mauryan Empire) भारत के अन्य क्षेत्रों की सामाजिक व्यवस्था की भांति ही मध्य प्रदेश की परम्परागत सामाजिक व्यवस्था थी। मौर्यकालीन समाज में
मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था (Administrative System of Mauryan Empire) चन्द्रगुप्त मौर्य एक वीर, योग्य, प्रतिभाशाली और सफल शासक था। उसने अपने विस्तृत साम्राज्य को संगठित शासन-व्यवस्था से सुदृढ़ किया।
बिन्दुसार की मृत्यु पश्चात् सुयोग्य पुत्र अशोक (Ashoka) विशाल मौर्य साम्राज्य के राजसिंहासन पर बैठा। वह केवल मौर्य वंश का ही नहीं अपितु भारतीय इतिहास का सबसे महान् सम्राट् माना
चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु पश्चात् उसका पुत्र बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना। बिन्दुसार (Bindusara) के अनेक नाम मिलते हैं- जैसे भद्रसार, वारिसार, अमित्रघात, एमित्रोचेटस। बिन्दुसार (Bindusara) के जीवन और
मौर्य साम्राज्य (324-187 ईसा पूर्व) [Maurya Empire (324–187 BC)] प्राचीन भारतीय इतिहास में मौर्यकाल का विशिष्ट महत्व हैं। यह वह काल है जिससे इतिहास का एक नया युग प्रारम्भ हुआ
नन्द वंश (364 – 324 ईसा पूर्व) (Nanda Dynasty) संस्थापक – नरेश महापद्मनन्द अन्तिम शासक – धनानन्द नन्द वंश (Nanda Dynasty) का संस्थापक नरेश महापद्मनन्द था। पुराणों में उसे ‘उग्रसेन’
पत्थरों (Stones) और ताम्रपत्रों (Copperplates) पर उत्कीर्ण शिलालेख (Inscription) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के प्राचीन इतिहास और संस्कृति के पुनर्निर्माण का एक प्रमुख पुरातात्विक स्रोत (Archaeological Sources) है। अब तक
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बहुत से स्थानों से मध्य पुरापाषाण कालीन (Central Paleolithic Age) उपकरण मिले हैं। इस काल के उपकरण नर्मदा घाटी में नरसिंहपुर, होशंगाबाद और महेश्वर से
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