मध्यप्रदेश की मध्य पुरापाषाण कालीन संस्कृति (Central Paleolithic Culture of Madhya Pradesh)

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बहुत से स्थानों से मध्य पुरापाषाण कालीन (Central Paleolithic Age) उपकरण मिले हैं। इस काल के उपकरण नर्मदा घाटी में नरसिंहपुर, होशंगाबाद और महेश्वर से मिले हैं। नर्मदा के दोनों ओर डोंगरगाँव और चोली पर कई कार्य-स्थल पाये गये हैं। 

  • पिपरिया में A. P. खत्री ने इस युग के बहुत से उपकरण अशूलियन उपकरणों के साथ मिले हुये पाये हैं। 
  • सगुनघाट के चबूतरे से भी बहुत से मध्य पुरापाषाण कालीन उपकरण खोजे गये हैं। 
  • सूपेकर ने अमरकंटक और मंडला के बीच इस काल के बारह कार्य-क्षेत्र ढूंढे।
  • चम्बल घाटी में मध्य पुरापाषाण कालीन उपकरण मंदसौर और नाहरगढ़ से पाए गए हैं।
  • बेतवा के गोंची नामक स्थान पर, रामेश्वर सिंह द्वारा 230 उपकरण एकत्रित किये गये हैं। इस काल के उपकरण भीमबेटका की खुदाई में भी मिले हैं। 
  • दमोह में सोनार और ब्यारमा घाटी में R. V. जोशी ने इस काल के उपकरणों को 12 स्थालों से खोजा है। 
  • उच्च सोन घाटी के उत्खनन से निसार अहमद ने 45 स्थलों से 485 उपकरण एकत्रित किए। 

उच्च पुरापाषाण कालीन संस्कृति (High Paleolithic Culture)

उच्च सोन घाटी के उत्खनन के दौरान, निसार अहमद सीधी और शहडोल जिले के कई ऐसे कई स्थलों पर गए जहाँ उच्च पुरापाषाण कालीन संस्कृति के उपकरण पाए गए। मंडला के निकट नर्मदा की एक सहायक नंदी बंजर के तट पर स्थित बमनी में छुरी और छैनी भी मिले हैं। ये उपकरण भीमबेटका के स्तर-वैन्यासिक उत्खनन स्तर और ग्वालियर तथा रीवा जिले के उत्खननों में भी मिले हैं। 

मध्य पाषाण कालीन संस्कृति (Middle Stone Age Culture)

मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, इंदौर, खंडवा और निमाड़ जिले में चम्बल घाटी में किए गए उत्खनन के दौरान बहुत से लघु-पाषाणीय स्थल निकले हैं। 

  • शहडोल, रीवा, मंदसौर, सिहोर, भोपाल, होशंगाबाद, उज्जैन, जबलपुर, मंडला, छतरपुर, विदिशा, सागर, गुना, पन्ना, छिंदवाड़ा, और धार की खुदाई में भी बहुत से लधु-पाषाणीय स्थल निकले हैं। 
  • आदमगढ़ के उत्खनन से निकले लुघ-पाषाणीय उद्योग-स्थल को 5500 ई. पू. का माना गया है। 
Read Also ...  मध्यप्रदेश की पुरापाषाण कालीन संस्कृति (Lower Palaeolithic Culture of Madhya Pradesh)

ताम्र-पाषाण कालीन संस्कृति (Copper-stone Culture)

पूर्व हड़प्पा अथवा हड़प्पा संस्कृति के कोई भी चिन्ह मध्य प्रदेश में नहीं पाए गए हैं। लेकिन हड़प्पा के पश्चात् ताम्र-पाषाण संस्कृति के अवशेष भारी मात्रा में मिले हैं, विशेषत: मालवा में महेश्वर नावदाटोली में किए गए पुरातात्विक उत्खननों में 1160-1440 ई. पू. की तिथियाँ मिली हैं। 

एरण के उत्खनन के अनुसार यह संस्कृति 2000 – 700 ई. पू. की है और बेसनगर के अनुसार इस संस्कृति की मध्यभारत में अस्तित्व 1100 – 900 ई. पू. की है। 

ताम्र-निधि संस्कृति (Copper-Fund Culture)

गंगा-यमुना दोआब में पूर्व लौह युग के कांस्य उपकरणों के भंडार मिले हैं। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में गुंगेरिया, जबलपुर, दबकिया और रामजीपुरा के कुछ एकाकी क्षेत्रों से भी कांस्य उपकरणों के इसी तरह के भंडार मिले हैं। 

लौह-युग संस्कृति (Iron Age Culture)

यद्यपि भारत में लोहा बहुत पहले से आ गया था, तथापि मध्य प्रदेश में यह 1000 ई. पू. के लगभग आया। 

  • मध्य प्रदेश में ऐसे स्थल, जहाँ से धूसर रंग के बर्तन जो लोहे के प्रारंभ से संबन्धित हैं, कम हैं और जो हैं वह राजस्थान और उत्तर प्रदेश को स्पर्श करते मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में सीमित हैं। इनमें भिंड, मुरैना और ग्वालियर जिले सम्मिलित हैं। 
  • गिलौलीखेड़ा (मुरैना जिला) में इस लेखक द्वारा 1982 में किये गये उत्खनन से 1.2 मी. गहरा पीजीडब्ल्यू जमाव मिला है। 

महापाषाण संस्कृति (Megalithic Culture)

दक्षिण भारत में लौह युग से सम्बद्ध कुछ समाधियाँ प्राप्त होती हैं, जिन्हें महापाषाणीय स्मारक (मेगालिथ) के नाम से सम्बोधित किया गया है। 

  • इनका काल 1500 – 1000 ई. पू. माना जाता है। यद्यपि महापाषाण स्मारकों को दक्षिण भारत से सम्बद्ध किया जाता है, तथापि इनमें से कुछ मध्य प्रदेश, असम, उड़ीसा, बिहार, राजस्थान, गुजरात और कश्मीर में भी मिले हैं। 
Read Also ...  मध्य प्रदेश के अब तक के पद्म विभूषण और भूषण पुरस्कार विजेता

 

Read Also :

Read Related Posts

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

close button
Uttarakhand Current Affairs Jan - Feb 2023 (Hindi Language)
Uttarakhand Current Affairs Jan - Feb 2023 (Hindi Language)
error: Content is protected !!