यह लेख “The Hindu” में प्रकशित “On target: On the Olympics and Indian shooters” भारतीय निशानेबाजों के ओलंपिक में प्रदर्शन पर केंद्रित है। इसमें भारत के निशानेबाजों की तैयारी और उनके संभावित सफलता की संभावनाओं पर चर्चा की गई है। लेख में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत के निशानेबाजों ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन किया है, जिससे उनकी ओलंपिक में मेडल जीतने की उम्मीदें बढ़ी हैं। साथ ही, इसमें भारतीय निशानेबाजी महासंघ की भूमिका और सरकार द्वारा दिए गए समर्थन की भी चर्चा की गई है।
भारतीय शूटिंग की उत्कृष्टता: एक नया अध्याय
भारतीय शूटिंग का इतिहास और विकास
भारतीय शूटिंग के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब राजीवर्धन सिंह राठौड़ ने 2004 एथेंस ओलंपिक में पुरुषों की डबल ट्रैप शूटिंग में रजत पदक जीता। इसके बाद से भारतीय निशानेबाजों पर हमेशा उम्मीदों का दबाव बना रहा है। 2008 बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल श्रेणी में स्वर्ण पदक जीतकर इस दबाव को और बढ़ा दिया। 2012 लंदन ओलंपिक में गगन नारंग ने 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक जीता, जबकि विजय कुमार ने 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। लेकिन इसके बाद रियो डी जेनेरो और टोक्यो में हुए ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा।
पेरिस ओलंपिक 2024: मनु भाकर की ऐतिहासिक सफलता
लेकिन पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय निशानेबाजों ने सभी संदेहों को दूर करते हुए शानदार प्रदर्शन किया। 22 वर्षीय मनु भाकर पहली भारतीय महिला बनीं जिन्होंने शूटिंग में ओलंपिक पदक जीता। टोक्यो ओलंपिक में उपकरण खराबी के कारण असफल रहने वाली मनु ने इस बार 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीता। इसके बाद मनु ने सरबजोत सिंह के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड इवेंट में भी कांस्य पदक जीता। हालांकि 25 मीटर पिस्टल फाइनल में चौथे स्थान पर रहते हुए वह हैट्रिक बनाने से चूक गईं।
भारतीय शूटिंग की प्रगति और मनु की सफलता
मनु की सफलता भारतीय शूटिंग की प्रगति और एक प्रभावी सिस्टम का प्रमाण है। मनु ने अपने पूर्ववर्ती अंजलि भागवत और सुमा शिरूर के पदचिह्नों का अनुसरण किया। अंजलि और सुमा ने ओलंपिक पदक नहीं जीता, लेकिन उन्होंने अपने जूनियर्स को खेल के प्रति जुनून के साथ प्रेरित किया। मनु का अपने पूर्व कोच जसपाल राणा के साथ जुड़ना, जो खुद एक उत्कृष्ट निशानेबाज थे, ने उनके खेल में एक नया आयाम जोड़ा। शूटिंग में स्थिर हाथ, तेज नजर और एक शांत मस्तिष्क की आवश्यकता होती है, और मनु ने यह साबित किया कि वह लक्ष्य पर निशाना लगाते समय पूर्ण एकाग्रता में थीं।
अन्य भारतीय निशानेबाजों का प्रदर्शन
मनु के अलावा, स्वप्निल कुसेले ने पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस इवेंट में कांस्य पदक जीता। अरजुन बाबुता ने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल फाइनल में चौथे स्थान पर रहकर दिखाया कि शूटिंग में जीत और हार के बीच बहुत पतली रेखा होती है। वहीं तीरंदाजी में भी भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जहां दीपिका कुमारी और उनकी टीम निर्णायक मोड़ों पर अक्सर असफल हो गईं।
निष्कर्ष
भारतीय शूटिंग ने पेरिस ओलंपिक 2024 में एक नया अध्याय लिखा है। मनु भाकर की सफलता ने यह साबित कर दिया कि भारतीय निशानेबाजों में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता है। यह भारतीय खेल व्यवस्था की एक बड़ी उपलब्धि है, और आने वाले वर्षों में और अधिक पदक जीतने की उम्मीद जगाती है।