निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्र.सं. 106 से 114 ) में सही / सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए ।
अपने स्वार्थ या संस्कृति के कारण सामान्य व्यवहार में हम कितनी ही बार सबसे धन्यवाद बोलते हैं । तो यह कृतज्ञता सिर्फ़ उन्हीं तक सीमित क्यों? हमें मानव जन्म देने वाले ईश्वर के लिए और जलवायु, भोजन, ऊर्जा जैसे बहुत सारे उपहार देने वाली प्रकृति के लिए भी क्यों नहीं ? हमें ईश्वर से संवाद करें कि वह हमारे हृदय में पवित्रता, सद्गुणों के प्रकाश को आलोकित करें। दुखों के कारण तो हमारे विकार हैं, बुराइयाँ हैं। हर बुराई अज्ञान के अंधकार में फैलती है, प्रकाश होते ही उसका सामर्थ्य खत्म हो जाता है। सुख-दुख ‘दोनों ही हमारे कर्मों के फल हैं। हमें समझना चाहिए कि बिना दुख भोगे, सुख नहीं पाया जा सकता है । मानवीय पुरुषार्थ करते रहें, मन की कोठरी को स्वच्छ रखें, जहाँ ज़रूरत हो, प्रायश्चित भी अवश्य करें। कौन जाने कब किस रूप में प्रभु किस माध्यम से सहायक हो जाएँ । ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करना एक ऐसा अचूक तरीका है जो हमें असंतुष्टि और ईर्ष्या जैसी निकृष्ट बातों से ऊपर उठाता है और यही हमारे जीवन का मूलभूत लक्ष्य है।
106. गद्यांश के अनुसार सबसे धन्यवाद कहने का कारण नहीं है :
(1) दया
(2) स्वार्थ
(3) संस्कृति
(4) स्वभाव
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107. ‘हर बुराई अज्ञान के अंधकार में फैलती है।’ से तात्पर्य है :
(1) अज्ञानी व्यक्ति बुराइयाँ फैलाता है।
(2) अँधेरा होते ही बुराइयाँ फैल जाती हैं।
(3) अँधेरा सब बुराइयों की जड़ है।
(4) अज्ञानता के कारण बुराइयाँ फैलती हैं।
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108. ‘सुख-दुख’ का कारण है :
(1) प्रारब्ध
(2) भाग्य
(3) दुर्भाग्य
(4) कर्म
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109. गद्यांश के अनुसार प्रायश्चित के साथ-साथ मानव को क्या करना चाहिए ?
(1) सुख भोगना
(2) सफ़ाई करना
(3) पुरुषार्थ
(4) दुख भोगना
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110. ‘मन की कोठरी को स्वच्छ रखें’, से तात्पर्य है :
(1) मन सब विकारों का कारण है
(2) मन को नियंत्रण में रखना
(3) मन से बुरे भावों का निष्कासन
(4) मन के अनुसार कार्य करना
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111. जीवन का मुख्य लक्ष्य है :
(1) ईश्वर के प्रति अनासक्ति
(2) ईश्वर की भक्ति करना
(3) ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करना
(4) ईर्ष्या से ऊपर उठना
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112. ‘स्वार्थ’ का विलोम है:
(1) निःस्वार्थ
(2) प्रयोजन
(3) स्वार्थपरायणता
(4) परोपकार
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113. ‘मानवीय’ शब्द में प्रत्यय है :
(1) य
(2) वीय
(3) ईय
(4) इय
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114. कौन-सा शब्द-युग्म समूह से भिन्न है ?
(1) शुद्ध – अशुद्ध
(2) सुख – दुख
(3) ज्ञान – अज्ञान
(4) अंधकार- अँधेरा
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निर्देश : निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्र.सं. 115 से 120 ) में सही। सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए ।
आया समय, उठो तुम नारी,
युग-निर्माण तुम्हें करना है।
आज़ादी की खुदी नींव में,
तुम्हें प्रगति पत्थर भरना है।
अपने को कमज़ोर न समझो,
जननी हो संपूर्ण जगत की, गौरव हो ।
116. कविता का मुख्य स्वर है :
(1) गौरव गाथा
(2) युग-निर्माण
(3) स्त्री-शक्ति
(4) स्वतंत्रता
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116. कविता के अनुसार स्वतंत्रता प्राप्ति में स्त्री की भूमिका है।
(1) औसत
(2) संज्ञान योग्य
(3) नगण्य
(4) अप्रासंगिक
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117. स्त्री के लिए किस ‘विशेषण’ का प्रयोग नहीं किया गया है ?
(1) सबला
(2) नींव
(3) अबला
(4) गौरव
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118. स्त्री की निर्माणकारी शक्ति का भाव कविता की किस पंक्ति में निहित है ?
(1) युग-निर्माण तुम्हें करना है।
(2) आज़ादी की खुदी नींव ।
(3) जननी हो संपूर्ण जगत की ।
(4) कमज़ोर न समझो।
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119. कविता के अनुसार स्त्री को :
(1) गौरव-गान करते रहना होगा।
(2) पत्थर भरने का कार्य ही करना होगा।
(3) स्वयं की शक्ति को पहचानना होगा।
(4) जननी के रूप में ही रहना होगा।
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120. ‘जननी हो संपूर्ण जगत की ……… ।’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ?
(1) अनुप्रास
(2) उपमा
(3) रूपक
(4) यमक
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Q.120 ka answer Ctet ne अनुप्रास अलंकार बताया है
कैसे ?
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