उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (सामान्य तथा महिला शाखा)
द्वितीय चरण (विषयवार लिखित परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकार) पाठ्यक्रम
विषय | प्रश्नों की संख्या | अधिकतम अंक | समय अवधि |
नागरिक शास्त्र (Civics) | 200 | 200 | 03 घण्टे |
नोटः- लिखित परीक्षा में मूल्यांकन हेतु ऋणात्मक पद्धति प्रयुक्त की जाएगी।
परीक्षा पाठ्यक्रम (नागरिक शास्त्र)
1. राजनीतिक सिद्धान्त और विचार
- राजनीतिक सिद्धान्त की प्रकृति, इसकी मुख्य चिंताएं, पतन और पुनरोत्थान, प्रजातंत्र, स्वतंत्रता, समानता, न्याय, सम्प्रभुता, उदारवाद एवं मार्क्सवाद ।
- शक्ति सत्ता एवं वैधता ।
- भारतीय राजनीतिक विचारक : मनु, कौटिल्य, विनायक दामोदर सावरकर, गाँधी तथा अम्बेडकर।
- पाश्चात्य राजनीतिक विचारक : प्लेटो, अरस्तु, बेंथम, जे०एस० मिल, हीगेल और मार्क्स।
- आधुनिक राजनीतिक विचारक : लेनिन, माओ, ग्राम्शी तथा जॉन रॉल्स ।
2. तुलनात्मक राजनीति एवं राजनीतिक विश्लेषण
- तुलनात्मक राजनीति का एक अनुशासन के रूप में उद्भव प्रकृति और विषय क्षेत्र ।
- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन के उपागमः पारम्परिक एवं आधुनिक ।
- शासन के प्रकार : एकात्मक तथा संघात्मक, संसदात्मक तथा अध्यक्षात्मक ।
- शासन के अंग : कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका – तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य में उनके अन्तरसम्बन्ध ।
- दल-प्रणालियाँ तथा दबाव – समूहः चुनावी व्यवस्थाएँ ।
- राजनीतिक विकास, राजनीतिक संस्कृति और राजनीतिक समाजीकरण ।
- राजनीतिक अभिजन प्रजातंत्र का अभिजात्य सिद्धान्त ।
3. भारतीय शासन एवं राजनीति
- राष्ट्रीय आन्दोलन –
- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रभाव ।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का निर्माण एवं कार्य ।
- स्वतंत्रता आंदोलन में गाँधी जी की भूमिका ।
- स्वतंत्रता आन्दोलन में क्रान्तिकारियों का योगदान ।
- संविधान सभा – रचना एवं कार्य ।
- प्रस्तावना, नागरिकता, मौलिक अधिकार, राज्य के नीति-निदेशक – सिद्धान्त तथा मौलिक कर्तव्य । संवैधानिक संशोधन – प्रक्रिया एवं सामाजिक परिवर्तन ।
- संरचना और प्रकार्य – 1 – राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रि-परिषद्, संसदात्मक व्यवस्था की कार्य- शैली ।
- संरचना और प्रकार्य – 2 – राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रि-परिषद्, राज्य विधायिका ।
- स्थानीय स्वायत्त शासन : (ग्रामीण और नगरीय), उत्तराखंड राज्य के विशेष संदर्भ में, स्थानीय स्वायत्त शासन में महिलाओं हेतु आरक्षण और उसका प्रभाव ।
- संघवाद : भारत में संघवाद की संरचना, स्वायत्तता की माँगें और पृथकतावादी आन्दोलन, केन्द्र-राज्य सम्बन्धों के उभरते प्रतिमान ।
- न्यायपालिका : उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय (संरचना एवं प्रकार्य), न्यायिक पुनरावलोकन, न्यायिक सक्रियता, जनहित याचिका सम्बन्धी मुकदमों सहित, न्यायिक सुधार । भारत में पंथ निरपेक्षवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद एवं जातिवाद की राजनीति ।
- भारत में लोकपाल एवं लोकायुक्त ।
- भारत के नवीन सामाजिक आन्दोलन (कृषक आन्दोलन, महिला आन्दोलन, पर्यावरण तथा विकास प्रभावित जन आन्दोलन)
- राजनैतिक दल एवं जनमत।
- उत्तराखंड राज्य आंदोलन में महिलाओं की भूमिका ।
- नीति आयोग – संरचना एवं प्रकार्य ।
- भारत में चुनाव आयोग और चुनाव सुधार ।
- उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण ।
- उत्तराखंड में मानवाधिकार आयोग की रचना एवं कार्यविधि ।
4. लोक प्रशासन
- लोक प्रशासन : अर्थ, प्रकृति एवं क्षेत्र ।
- संगठन के सिद्धान्त: सूत्र और स्टाफ पद सोपान, आदेश की एकता, नियंत्रण का क्षेत्र, केन्द्रीयकरण और विकेन्द्रीकरण, संगठन के प्रकार- औपचारिक एवं अनौपचारिक, संगठन के प्रारूप- विभाग और लोक निगम ।
- मुख्य कार्यपालिका : प्रकार, कार्य और भूमिका ।
- कार्मिक प्रशासन : भर्ती, प्रशिक्षण और पदोन्नति ।
- नौकरशाही : प्रकार तथा भूमिका, मैक्स वेबर और उनकी आलोचना ।
- वित्तीय प्रशासन : बजट, भारत में बजट निर्माण प्रक्रिया तथा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की भूमिका ।
- सुशासन : प्रशासनिक भ्रष्टाचार की समस्याएँ, पारदर्शिता, जवाबदेही उत्तराखंड के विशेष संदर्भ में सूचना का अधिकार ।
5. अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध
- अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का अर्थ प्रकृति एवं क्षेत्र ।
- शक्ति : शक्ति के तत्व, राष्ट्रीय हित का निर्माण और उन्नयन, विदेश नीति के निर्धारक तत्व ।
- शस्त्र : पारम्परिक, नाभिकीय एवं जैवरासायनिक, परमाणु निवारण ।
- शस्त्रस्पर्धा, शस्त्र नियंत्रण एवं निःशस्त्रीकरण ।
- विवादों का शान्तिपूर्ण समाधान एवं कूटनीति ।
- गुट निरपेक्षता तथा वैश्वीकरण ।
- नव अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था, उत्तर-दक्षिण संवाद, दक्षिण-दक्षिण सहयोग, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू0 टी० ओ०) ।
- संयुक्त राष्ट्र : उद्देश्य, लक्ष्य, संरचना ।
- संयुक्त राष्ट्र की कार्य प्रणाली: शान्ति, विकास तथा पर्यावरणीय संदर्भ में ।
- क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठन विशेषतः ‘सार्क, आसियान’ और ‘ओपेक’ ।
- अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में भारत की भूमिका : भारत के पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, भूटान, बाग्लादेश और श्रीलंका) एवं प्रमुख देशों (ब्रिटेन, अमेरिका, रूस और चीन) से सम्बन्ध, भारतीय विदेश नीति और कूटनीति, भारत की परमाणु नीति ।
- आतंकवाद और राज्य प्रायोजित आतंकवाद ।
- राष्ट्रीय सुरक्षा की बदलती अवधारणा एवं राष्ट्र राज्य की चुनौतियां ।