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Uttar Pradesh Mele

उत्तर प्रदेश की कला व संस्कृति

उत्तर प्रदेश प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति का मुख्य केन्द्र रहा है। साथ ही, कतिपय संस्कृतियों का उद्भव भी उत्तर प्रदेश से हुआ है। यह भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध तथा अनेक सन्तों की जन्म एवं कर्मस्थली रही हैं। प्रदेश के स्वतंत्रता पश्चात् चहुँमुखी विकास के आकलन हेतु सांस्कृतिक स्तर पर विचार करना समाचीन ही होगा। विकास के इस यात्रा में कला एवं संस्कृति का भी उत्कृष्ट योगदान है।

कला के क्षेत्र में सबसे प्राचीन कला-चित्रकला का एक विशिष्ट स्थान दृष्टिगोचर होता है। इस सन्दर्भ में मिर्जापुर की लिखनियां दरी, सोनभद्र के शैलाश्रयों की कला, होशंगाबाद और मानिकपुर आदि की पर्वत श्रेणियों एवं गुफाओं से प्राप्त चित्रकला आदि के उदाहरण राज्य की कला के अतीत के वैभव का दिग्दर्शन करते हैं।

उत्तर प्रदेश की मुख्य चित्रकला शैलियाँ
(Painting Styles of Uttar Pradesh)

  • कंदरा शैली अथवा मिर्जापुर शैली – मिर्जापुर की गुफाओं के चित्र प्रागैतिहासिक शैली में पृष्ठभूमि के अभाव में ही भावों तथा घटनाओं को रेखाओं के माध्यम से चित्रित किये गये हैं।
  • मथुरा अथवा ब्रज शैली – इस शैली के समृद्ध पृष्ठभूमि पर प्रेम, प्रकृति एवं भावनात्मक अभिव्यक्ति को जीवन्तता प्रदान की जाती है।
  • बुन्देली शैली – चित्र में रिक्त-स्थान को भरने हेतु चित्रांकित पृष्ठभूमि पर चित्रित चित्रों में एक गहराई का आभास कराया जाता है।
  • आगरा अथवा मुगल शैली – इस शैली में प्रारम्भिक चित्रों में एक तरफ के दृश्य अथवा छवि को चित्रित किया जाता था तत्पश्चात् भवनों, व्यक्तियों, सौन्दर्य तथा युद्ध एवं शिकार आदि के चित्रों में कार्यवाही को प्रमुखता प्रदान की जाती है।
  • मिश्रित शैली – इस शैली के चित्रों में पुरातन एवं आधुनिकतम शैलियों के मिश्रित रूप में चित्रकारी की जाती है।

चित्रकला विषयक प्रमुख तथ्य

  • मुगल सम्राट हुमायूं ने आगरा में राजगद्दी संभालते ही ख्वाजा अब्दुल समद तथा मीर सैयद अली नामक चित्रकारों को शाही चित्रकार नियुक्त किया था।
  • आगरा अथवा मुगल शैली में जो गुजराती चित्रकला का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है, उसका एकमात्र कारण है-अकबर के सभी प्रमुख छह चित्रकार गुजराती थे।
  • जहांगीर में यह अनुपम प्रतिभा थी कि वह किसी भी चित्र को देखकर बता सकता था कि उसका चित्रकार देश के किस भाग का निवासी है।
  • जहांगीर के शासन काल में सर्वाधिक चित्रकारी शिकार पर हुई।
  • उत्तर प्रदेश में चित्रित समस्त मुगलकालीन चित्र सूती कपड़ों अथवा मोटे कागज पर हैं और उनके चित्रांकन में खनिज तथा वानस्पतिक रंगों का प्रयोग किया गया हैं।
  • उत्तर प्रदेश के मध्यकालीन चित्रों में रात्रि के दृश्य को ‘चांदी’ तथा प्रातः के दृश्य को ‘सोने’ के अस्तर से प्रदर्शित किया गया है।
  • मथुरा में उपलब्ध चित्रों में राजपूत शैली में प्रेम एवं प्रकृति का सामंजस्य किया गया है।
  • बुन्देलखण्ड में मुख्यतः चित्रकारी राजा शत्रुजीत सिंह पर की गई है।
  • जगन्नाथ मुरलीधर अहिवासी को उत्तर प्रदेश के विधानसभा में भित्ति-चित्र चित्रित करने का गौरव प्राप्त है। वह मथुरा जनपद के बलदेव ग्राम के निवासी थे।
  • मेरठ निवासी चित्रकार चमन सिंह ‘चमन’ ने चित्रकला एवं मूर्तिकला पर 50 से अधिक पुस्तकें लिखकर तथा सबसे अधिक अन्तर्राष्ट्रीय चित्र प्रदर्शनियां आयोजित करके विशेष ख्याति प्राप्त की है। प्रख्यात चित्रकार किरन उनकी धर्मपत्नी हैं।
  • लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश ललित कला अकादमी’ ने राज्य की चित्रकला को राष्ट्रीय मान्यता प्रदान कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • उत्तर प्रदेश के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के चित्रकार-रमेश चन्द्र पाथी, नित्यानन्द, सुरेन्द्र बहादुर ‘सुमानव’ तथा चमन सिंह ऐसे चित्रकार हैं, जिन्होंने प्रायः समस्त शैलियों में चित्रकारी की है।

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