मेले एवं उत्सव (Fairs and Festivals)
प्रदेश के सभी सम्प्रदाय के लोग अपने रीति-रिवाजों के अनुसार निश्चित तिथियों को विशिष्ट उत्सवों को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
प्रदेश में आयोजित किए जाने वाले विभिन्न मेले इस प्रकार हैं
- कुम्भ का मेला – प्रति 12 वर्ष में प्रयाग में
- अर्द्धकुम्भी – प्रयाग के कुम्भ के 6 वर्ष उपरान्त (प्रति 12 वर्ष में) हरिद्वार में।
- बटेश्वर – बटेश्वर (आगरा जिला) प्रतिवर्ष
- गढ़मुक्तेश्वर – गढ़ गंगा का मेला प्रतिवर्ष
- नचंदी – मेरठ में प्रतिवर्ष नौचन्दी मेला
- दशहरा – आगरा-मथुरा (वैसे यह सर्वत्र मनाया जाता है)
- लठमार होली – नन्दगाँव के निकट बरसाना (मथुरा) में प्रतिवर्ष
- हरिदास जयन्ती – वृन्दावन में प्रतिवर्ष
- देवी मेला – बाराबंकी
- मकनपुर मेला – फर्रुखाबाद
- सैयद शालार – बहराइच
- ढाईघाट – शाहजहाँपुर
- अयोध्या – फैजाबाद
- नैमिषारण्य – सीतापुर
- गोला गोकरननाथ – खीरी
- बल सुन्दरी देवी – अनूपशहर
- कम्पिल – बाँदा
- देवीपाटन – गोंडा (जयप्रकाश नारायण नगर)
- श्रावणी व जन्माष्टमी – मथुरा
- नवरात्री मेला – आगरा
- कैलाश मेला – आगरा (सावन के तीसरे सोमवार को प्रतिवर्ष, कैलाश व सिकन्दरा में मनाया जाता है)
- गणगौर मेला – गोकुलपुरा एवं मोती कटरा, आगरा
- माघ मेला – इलाहाबाद
- दादरी मेला – बलिया
- रामबरात – आगरा
- रामनवमी मेला – अयोध्या
- ताज महोत्सव – आगरा
- नवरात्री मेला – विन्ध्याचल (मिर्जापुर)
वार्षिक उत्सव
- लखनऊ महोत्सव – इस महोत्सव में अवध के परम्परागत संगीत, नृत्य, वैभव, नजाकत एवं नफासत का दिग्दर्शन कराया जाता है।
- वाराणसी उत्सव – इस आयोजन में भारतीय धर्म एवं संस्कृति तथा ज्ञान-विज्ञान का प्रस्तुतीकरण किया जाता है।
- ताज महोत्सव – प्रत्येक वर्ष फरवरी माह में ताजनगरी आगरा में आयोजित इस महोत्सव में मुगलकालीन संस्कृति और भारतीय ललित कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
- प्रयागराज (इलाहाबाद) उत्सव – इस आयोजन में प्रदेश की मिश्रित संस्कृति का अवलोकन कराया जाता है।
- काम्पिल उत्सव – फर्रुखाबाद के रामेश्वर नाथ एवं कामेश्वर नाथ मन्दिरों तथा अन्य जैन मन्दिरों में आयोजित इस उत्सव में जैन धर्म एवं संस्कृति का आयोजन होता है।
- कबीर उत्सव – सन्त कबीर विषयक जीवन दर्शन को अधिकाधिक प्रसारित करने हेतु बस्ती जनपद के मगहर में इस उत्सव का आयोजन होता है। कबीर पन्थी तथा अन्य जिज्ञासुजन उत्सव में भाग लेकर जीवन दर्शन में एक परिवर्तन की झलक अनुभव करते हैं।
- झांसी महोत्सव – राज्य का संस्कृति विभाग प्रत्येक वर्ष फरवरी माह में इस पांच दिवसीय वार्षिक उत्सव का आयोजन करता है।
संस्कृति शिक्षा परिषद
- प्रदेश सरकार ने कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘संस्कृति शिक्षा परिषद’ का गठन किया है। इससे कला, नाट्य संगीत एवं सांस्कृतिक शिक्षा के अन्य क्षेत्रों में काम करने वालों को बढ़ावा मिलेगा।
- सरकार द्वारा विशेष योजना में लखनऊ, झांसी, मथुरा एवं लोक कला संग्रहालय की सभी कलाकृतियों का विवरण इण्टरनेट के माध्यम से वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया गया है। इस प्रकार देश में यह पहला संग्रहालय है, जिसने यह योजना लागू की है। प्रदेश के वृद्ध एवं विपन्न कलाकारों, साहित्यकारों जिन्होंने अपना पूरा जीवन कला एवं संस्कृति तथा साहित्य की आराधना में लगा दिया है परन्तु वृद्धावस्था एवं खराब स्वास्थ्य के कारण अब अपने जीविकोपार्जन में असमर्थ हो गए हैं, को प्रतिमाह के ₹1,000 की मासिक पेंशन दी जाती है। इस योजना के अन्तर्गत 60 वर्ष या इससे अधिक के उन कलाकारों/साहित्यकारों को जिनकी समस्त स्रोतों से आय ₹6,000 प्रति वर्ष से अधिक न हो को ₹1,000 प्रतिमाह पेंशन दिए जाने का प्रावधान है। वृद्ध एवं असहाय कलाकारों को एक वर्ष में एकमुश्त अधिकतम ₹3,000 तक की वित्तीय सहायता दिए जाने की योजना भी संचालित है। इस योजना के अन्तर्गत ऐसे वृद्ध एवं असहाय कलाकारों को एकमुश्त आर्थिक मदद दिए जाने का प्रावधान है, जिनकी आयु 55 वर्ष से अधिक है तथा जिनकी वार्षिक आय ₹3,000 से अधिक नहीं है।
Note –
- जहांगीर के शासन काल में सर्वाधिक चित्रकारी शिकार पर हुई।
- पौराणिक कथाओं एवं श्रुतियों से स्पष्ट होता है कि संगीत का शुभारम्भ देवी-देवताओं ने किया था।
- विख्यात सूफी सन्त, कवि, संगीतज्ञ तथा प्रशासक अमीर खुसरो ने ‘सितार’ का आविष्कार किया।
- सन्त स्वामी हरिदास जी वृन्दावन ‘निधिवन’ में निवास करते थे।
- अवध के महान् संगीतज्ञ बिंदादीन महाराज ने ‘कथक’ में ‘ठुमरी’ गायन का समावेश किया।
- बुन्देलखण्ड के अहीरों द्वारा अनेकानेक दीपकों को प्रज्ज्वलित करके नृत्य किया जाता है।
- धोबी जाति के लोक-नृत्य में एक नर्तक धोबी तथा दूसरा गधा बनकर नृत्य करते हैं।
- ब्रज का प्रमुख पारम्परिक नृत्य ‘चरकुला’ है।
- गंगा, यमुना, गोमती, सरयू पवित्र नदियां उत्तर प्रदेश में बहती हैं।
- कुम्भ का मेला प्रति 12 वर्ष में प्रयाग में लगता है।
- मेरठ में प्रतिवर्ष नौचन्दी मेला लगता है।
- कैलाश मेला आगरा में सावन के तीसरे सोमवार को प्रतिवर्ष, कैलाश व सिकन्दरा में मनाया जाता है।
- माघ मेला इलाहाबाद में मनाया जाता है।
- प्रदेश सरकार ने कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘संस्कृति शिक्षा परिषद्’ का गठन किया है।
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