third phase of journalism of uttarakhand

उत्तराखण्ड में पत्रकारिता का तीसरा चरण (1941 – 1947)

स्वतंत्रता पूर्व उत्तराखण्ड में पत्रकारिता का तीसरा व अन्तिम चरण सन् 1940 से 1947 के मध्य मात्र 7 वर्षों का रहा। यह चरण अन्य दोनों चरणों की अपेक्षा अत्यन्त अल्पावधि का रहा। चूंकि इस समय स्वतंत्रता आन्दोलन अपने चरम पर था। पत्रकारिता के इस तृतीय चरण में प्रकाशित समाचार-पत्रों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है –

सन्देश (Sandesh)

  • प्रकाशित – सन् 1940 ई0
  • सम्पादन – हरिराम ‘चंचल’
  • कृपाराम मिश्र ‘मनहर’ ने अपने छोटे भाई हरिराम मिश्र ‘चंचल’ के सहयोग से सन् 1940 में कोटद्वार से ‘सन्देश’ नामक समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया।
  • हरिराम ‘चंचल’ इस पत्र के सहकारी सम्पादक व प्रकाशक थे।
  • सन् 1941 में कृपाराम मिश्र के व्यक्तिगत सत्यागृह में जेल चले जाने के कारण संदेश का प्रकाशन बन्द करना पड़ा।

समाज (Samaj)

  • प्रकाशित – सन् 1942 ई0
  • सम्पादन – राम प्रसाद बहुगुणा
  • स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बहुगुणा द्वारा सन् 1942 में एक हस्तलिखित पत्र ‘समाज’ का सम्पादन किया गया।
  • वे चमोली जिले में तत्कालीक पत्रकारिता के आधार स्तम्भ थे।
  • दो वर्ष तक यह पत्र नियमित रूप से चलता रहा।
  • इसके पश्चात् भारत छोड़ो आन्दोलन में इनके जेल चले जाने पर यह पत्र बन्द हो गया।

मंसूरी एडवरटाइजर (Mansuri Advertiser)

  • प्रकाशित – सन् 1942 ई0
  • सम्पादन – के0 एफ0 मेकागोन
  • मंसूरी के कुलडी स्थित प्रिन्टिंग प्रेस से छपने वाले समाचार-पत्र ‘मंसूरी एडवरटाइजर’ का प्रकाशन सन् 1942 में के0 एफ0 मेकागोन के द्वारा शुरू किया गया।
  • सन् 1947 तक नियमित प्रकाशित होने के बाद स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् यह समाचार पत्र बन्द हो गया।

स्वराज संदेश, (पाक्षिक) (Svaraaj Sandesh)

  • प्रकाशित – सन् 1942 ई0
  • सम्पादन – हुलास वर्मा

युगवाणी (साप्ता/मासिक) (Yugwani (Weekly/Monthly))

  • प्रकाशित – सन् 1947 ई0
  • सम्पादन – भगवती प्रसाद पांथरी
  • टिहरी के मूल निवासी काशी विद्यापीठ के प्राचार्य ‘भगवती प्रसाद पांथरी’ के सम्पादन में 15 अगस्त 1947 को देहरादून से युगवाणी नामक समाचार पत्र का पहला अंक प्रकाशित हुआ।
  • प्रजामंडल के सक्रिय कार्यकर्ता तेजराम भट्ट का इसके प्रकाशन में भी सक्रिय सहयोग रहा।
  • प्रारम्भ में कुछ समय पाक्षिक प्रकाशन के बाद इसका स्वरूप साप्ताहिक हो गया और अब सम्पादन का पूर्ण दायित्व आचार्य गोपेश्वर कोठियाल पर आ गया।
  • टिहरी रियासत की जनक्रान्ति में ‘युगवाणी’ की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण थी कि इतिहासकारों ने इसे रूस की क्रान्ति में लेनिन द्वारा सम्पादित पत्र ‘इस्त्रां’ के समकक्ष रखा।
  • गोविन्द नेगी ‘आग्नेय तथा अन्य कई पत्रकारों ने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत इसी पत्र से की।
  • गोपेश्वर कोठियाल की मृत्यु के पश्चात् उनके सुपुत्र संजय कोठियाल पत्र के सम्पादन का दायित्व निभा रहे है।
  • सन् 2001 से ‘युगवाणी’ मासिक पत्रिका के रूप में नियमित प्रकाशित हो रही है।

प्रजाबन्धु (साप्ता) (Prjabandhu (Weekly))

  • प्रकाशित – सन् 1947 ई0
  • सम्पादन – जयदत्त वैला
  • प्रजाबन्धु साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन रानीखेत से प्रारम्भ हुआ।
  • यह पत्र प्रारम्भ से ही कांग्रेसी विचारधारा का समर्थक रहा किन्तु कुछ समय नियमित चलने के पश्चात् यह बन्द हो गया।

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