उत्तराखण्ड में पत्रकारिता का दूसरा चरण (1871-1940) | TheExamPillar
Second Phase of Journalism of Uttarakhand

उत्तराखण्ड में पत्रकारिता का दूसरा चरण (1871-1940)

रियासत टिहरी (पाक्षिक) (Riyasat Tehri (Half Monthly))

  • प्रकाशित – सन् 1901 ई0
  • सन् 1901 में टिहरी रियासत के तत्कालीन राजा कीर्तिशाह पंवार ने राजधानी टिहरी में रियासत का पहला मुद्रणालय स्थापित किया।
  • इस प्रिन्टिंग प्रेस में ‘रियासत टिहरी’ नामक एक पाक्षिक पत्र प्रकाशित किया गया।
  • यह पत्र एक प्रकार से रियासत का गजट मात्र था।
  • इसमें छपने वाले समाचार जन समस्याओं से कोसो दूर थे।

द मसूरी टाइम्स (The Mussoorie Times)

  • प्रकाशित – सन् 1900 ई0
  • सम्पादन – एफ0 बॉडीकार
  • कुलड़ी की मेफिसलाइट प्रेस (मंसूरी) से प्रकाशित यह समाचार-पत्र अपने युग का सर्वाधिक लोकप्रिय व लम्बे समय तक चलने वाला अखबार था।
  • प्रसिद्ध लेखक एफ0 बॉडीकार ने इसे छपवाना प्रारम्भ किया था। बाद में जे0 एच0 जॉन्सन इसके स्वामी व सम्पादक हुए।
  • सन् 1947 में यह समाचार-पत्र बन्द हो गया।
  • वर्तमान में यह समाचार-पत्र अपनी पुरानी लोकप्रियता के साथ हिन्दी में प्रकाशित हो रहा है।

गढ़वाली (Garhwali) 

  • प्रकाशित – सन् 1905 ई0
  • सम्पादन – पंडित विशम्भरदत्त चन्दोला
  • उत्तराखण्ड में एक उद्देश्य पूर्ण पत्रकारिता के प्रारम्भ का श्रेय ‘गढ़वाली’ मासिक को जाता है।
  • इसमें क्षेत्रीय समाचार, स्थानीय लेखकों की रचनाएं तथा सुधारवादी लेखों को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता था।
  • इसके अतिरिक्त यातायात साधनों में सुधार, बाल विवाह, बहुविवाह, कन्या विक्रय जैसी सामाजिक कुरीतियों का भी गढ़वाली ने पुरजोर विरोध किया।
  • वह क्रान्ति की नीति पर नहीं वरन् गांधीवाद की सत्याग्रही नीति पर चलने वाला समाचार पत्र था।

कास्मोपोलिटिन (साप्ता) (Cosmopolitan (Weekly))

  • प्रकाशित – सन् 1910 ई0
  • सम्पादन – बैरिस्टर बुलाकी राम
  • देहरादून में कांग्रेस के सूत्रधार रहे बैरिस्टर बुलाकी राम ने कचहरी रोड़ पर भास्कर नामक प्रेस खोली।
  • यह एक अंग्रेजी सप्ताहिक का पत्रिका थी।
  • यह देहरादून से प्रकाशित होने वाला पहला आंग्ल भाषी साप्ताहिक समाचार-पत्र था।
  • सन् 1913 में ‘कुमाऊँ केसरी’ बद्रीदत्त पाण्डेय ने भी इस समाचार-पत्र के सम्पादकीय में काम किया।
  • सन् 1923 में बैरिस्टर साहब अपने पैतृक निवास पंजाब (पाकिस्तान) लौट गये।

निर्बल सेवक (साप्ता) (Nirbal Sevak (Weekly))

  • प्रकाशित – सन् 1913 ई0
  • सम्पादन – महेन्द्र प्रताप
  • वृन्दावन रियासत के तात्कालिक राजा महेन्द्र प्रताप ने देहरादून से ‘निर्बल सेवक’ नाम के साप्ताहिक समाचार-पत्र का सम्पादन व प्रकाशन प्रारम्भ किया।
  • राजा साहब प्रारम्भ से ही उग्र क्रान्तिकारी विचारों के थे। अतः उनके अखबार में भी उग्र क्रान्तिकारी विचारों वाले लेख व सम्पादकीय होते थे।
  • इस समाचार पत्र की कुछ प्रतियाँ समुद्र पार, जहाज से अप्रवासी भारतीय क्रान्तिकारियों को भी भेजी जाती थी।

विशाल कीर्ति (Vishal Kartik)

  • प्रकाशित – सन् 1913 ई0
  • सम्पादन – सदानन्द कुकरेती
  • पौड़ी गढवाल से सबसे पहले प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्रों में विशाल कीर्ति का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
  • पौड़ी में ब्रहमानन्द थपलियाल की बदरी-केदार प्रेस से फरवरी 1913 में विशाल कीर्ति का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ।
  • पुस्तक के आकार वाला यह पत्र मासिक छपता था जिसमें गढ़वाली साहित्य के अतिरिक्त राजनीतिक व्यंग्य प्रमुखता से छपते थे।
  • फरवरी 1913 से दिसम्बर 1915 तक नियमित अंक छपने के बाद आर्थिक अभाव के कारण यह बंद हो गया।

गढ़वाल समाचार (Garhwal News)

  • प्रकाशित – सन् 1902 ई0
  • सम्पादन – गिरिजादत्त नैथाणी
  • गिरिजादत्त नैथाणी को गढ़वाल में पत्रकारिता का जनक कहा जाता है।
  • यह समाचार-पत्र फुलस्कैप साइज में 16 पृष्ठों का होता था।
  • प्रारम्भ में इसे मुरादाबाद से मुद्रित किया जाता था।
  • जनसामान्य की सुविधा को देखते हुए बाद में वे कोटद्वार आ गये तथा अक्टूबर 1902 में ‘गढ़वाल समाचार’ का छठा अंक यही से प्रकाशित हुआ परन्तु आर्थिक अभाव के कारण यह पत्र दो वर्ष भी न चल सका।
  • गिरिजादत्त नैथाणी को पत्रकारिता से अत्यधिक लगाव होने के कारण वे अधिक दिन इससे दूर न रह सके तथा सन् 1912 में उन्होंने दुगड्डा में एक प्रेस की स्थापना की और फरवरी 1913 में इसी प्रेस से ‘गढ़वाल समाचार का पुनः प्रकाशन प्रारम्भ किया।
  • दिसम्बर 1914 तक यह नियमित रूप से चलता रहा।

शक्ति (साप्ताहिक) (Shakri (Weekly))

  • प्रकाशित – सन् 1918 ई0
  • सम्पादन – बद्रीदत्त पाण्डे
  • सन् 1918 में देशभक्त प्रेस की स्थापना हुई तथा 18 अक्टूबर 1918 को विजयदशमी के अवसर पर बद्रीदत्त पाण्डे के सम्पादन में ‘शक्ति’ का पहला अंक प्रकाशित हुआ।
  • सन् 1942-45 के मध्य शक्ति का प्रकाशन बन्द रहा।
  • 1946 में इसका प्रकाशन पुनः प्रारम्भ हुआ।
  • ‘शक्ति’ में गौर्दा, श्यामचरण पंत, रामलाल वर्मा के अतिरिक्त सुमित्रा नन्दन पंत, हेमचन्द्र जोशी तथा इलाचन्द्र जोशी जैसे तात्कालिक जागरूक कवियों की कविताएं भी छपती थी जो सदैव ही समाज के लिए एक प्रेरक का कार्य करती थी।

क्षत्रिय वीर (Kshatriya Veer)

  • प्रकाशित – सन् 1922 ई0
  • सम्पादन – प्रताप सिंह नेगी
  • विशाल कीर्ति के पश्चात् पौड़ी से निकलने वाला यह दूसरा पत्र था।
  • 15 जनवरी 1922 से इस पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ था।
  • यह एक जातिवादी समाचार पत्र था जिसका मूल उद्देश्य क्षत्रिय जाति का सामाजिक व शैक्षणिक विवरण प्रस्तुत करना था।
  • प्रारम्भ में प्रताप सिंह नेगी द्वारा इसका सम्पादन किया जाता था। इनके बाद यह पत्र एडवोकेट कोतवाल सिंह नेगी एवं शकर सिंह नेगी के सम्पादन में सन् 1938 तक प्रकाशित होता रहा।
  • आगरा से छपने वाले इस समाचार-पत्र के संस्थापक ग्राम सूला, असवालस्यूं पट्टी, गढवाल के रायबहादुर जोध सिंह नेगी थे।

कुमाऊँ कुमुद (पाक्षिक) (Kumaon Kumud (Half Monthly))

  • प्रकाशित – सन् 1922 ई0
  • सम्पादन – बसन्त कुमार जोशी
  • इसका प्रकाशन अल्मोड़ा में प्रारम्भ किया गया।
  • यह समाचार-पत्र राष्ट्रीय विचारधारा का प्रबल समर्थक था परन्तु इसकी नीतियाँ ‘शक्ति’ से भिन्न थी।
  • यह समाचार पत्र तात्कालिक लोकभाषी रचनाकारों को निरन्तर प्रोत्साहित करता रहा।

तरूण कुमाऊँ (Tarun Kumaon)

  • प्रकाशित – सन् 1922 ई0
  • सम्पादन – बैरिस्टर मुकुन्दी लाल
  • सन् 1922 में लैन्सडौन से ‘तरूण कुमाऊँ’ नामक एक हिन्दी साप्ताहिक का प्रकाशन प्रारम्भ किया।
  • इस साप्ताहिक का नाम बैरिस्टर साहब ने मैजनी के ‘यंग इटली’ की तर्ज पर रखा था।
  • सन् 1923 में वे कौंसिल के लिए चुन लिए गये फलतः लगभग डेढ़ वर्ष तक नियमित चलने के पश्चात् ‘तरूण कुमाऊँ’ का प्रकाशन बन्द हो गया।

अभय (Abhay)

  • प्रकाशित – सन् 1928 ई0
  • सम्पादन – स्वामी विचारानन्द सरस्वती
  • इसका प्रकाशन देहरादून से हुआ था।

पुरूषार्थ (Purusharth)

  • प्रकाशित – सन् 1917 ई0
  • सम्पादन – गिरिजादत्त नैथाणी
  • पुरूषार्थ का मुद्रण बिजनौर में होता था परन्तु इसका प्रकाशन कभी दुगड्डा से तो कभी उनके पैतृक गांव नैथाणा से होता था।
  • इसके कुछ अंक बाराबंकी से भी छपे।
  • कुछ समय चलने के पश्चात् यह अखबार भी बन्द हो गया। अपने पत्रकारिता प्रेम के चलते उन्होंने 1921 में अपने गांव नैथाणा से पुरूषार्थ का पुनः प्रकाशन प्रारम्भ किया।
  • किन्तु कुछ अंक निकलने के बाद यह पुनः बन्द हो गया।
  • पत्रकारिता के प्रति गिरिजादत्त नैथाणी के लगाव का परिचय इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने जीवनकाल के अन्तिम समय में पुरूषार्थ का तीसरी बार प्रकाशन प्रारम्भ किया।
  • किन्तु अभी इसका एक ही अंक निकला था कि 21 नवम्बर 1927 को गढवाल में पत्रकारिता के जनक के निधन के साथ ही पुरूषार्थ एक बार पुनः बन्द हो गया।

स्वाधीन प्रजा (साप्ता) (Swadhin Prja (Weekly))

  • प्रकाशित – सन् 1930 ई0
  • सम्पादन – मोहन जोशी
  • 1 जनवरी 1930 को ‘स्वाधीन प्रजा’ का प्रथम अंक प्रकाशित हुआ।
  • यह पत्र अंग्रेजी प्रशासन को खलने लगा तथा 10 मई 1930 को इस पत्र से छः हजार रूपये की जमानत मांगी गई जो अब तक की मांगी गई सर्वाधिक जमानत थी।
  • इतना होने पर भी मोहन जोशी ने हार नहीं मानी तथा भगतसिंह की फांसी की सूचना को ‘स्वाधीन प्रजा’ में सरकार का गुंडापन बताकर छापा गया। इसके बाद पत्र का छपना और भी असम्भव हो गया तथा इसके उन्नीसवें अंक के दो पृष्ठ बिना छपे ही रह गये।
  • अक्टूबर 1930 में ‘स्वाधीन प्रजा’ पुनः प्रकाशित होने लगा।
  • कृष्णानन्द शास्त्री के सम्पादन में दो वर्ष तक नियमित प्रकाशित होने के पश्चात् सन् 1932 में एक बार फिर यह पत्र बन्द हो गया।

गढ़देश (Garhdesh)

  • प्रकाशित – सन् 1929 ई0
  • सम्पादन – कृपाराम मिश्र ‘मनहर’
  • गढ़देश पत्र का मुद्रण कभी-कभी मुरादाबाद, कभी बिजनौर तो कभी मेरठ में होता था परन्तु प्रकाशन सदैव कोटद्वार से होता था।
  • वर्षान्त में महेशानन्द थपलियाल द्वारा इन्हे सम्पादकीय सहयोग प्राप्त हुआ। 1930 के प्रारम्भ में नई व्यवस्था के तहत कन्हैया लाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा जिला देवबन्द, सहारनपुर, से इसका सम्पादन करना प्रारम्भ किया। अब इसका मुद्रण भी सहारनपुर में ही होने लगा।
  • इसी बीच सत्याग्रह आन्दोलन में सहभागिता के चलते पत्र के सम्पादक व प्रकाशक दोनो के जेल हो जाने के कारण 13जून,1930 के अंक के साथ गढ़देश का प्रकाशन बंद हो गया।
  • 1934 में ‘मनहर’ ने इसे पुनः प्रकाशित किया, अब इसका मुद्रण देहरादून से होने लगा।
  • अपने कुछ लेखों के कारण गढ़देश के सम्पादक व मुद्रक दोनों से दो-दो हजार रूपये की जमानत मांगी गई। जमानत की व्यवस्था न होने के कारण इसका प्रकाशन बन्द कर दिया गया।

स्वर्गभूमि (Swargbhumi)

  • प्रकाशित – सन् 1934 ई0
  • सम्पादन – देवकीनन्दन ध्यानी
  • अल्मोड़ा निवासी देवकीनन्दन ध्यानी ने 1930 में मुरादाबाद से ‘विजय’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन प्रारम्भ किया।
  • सत्यागृह आन्दोलन के चलते इन्हें जेल जाना पड़ा। इस समय तक ‘विजय’ के मात्र 8-10 अंक ही प्रकाशित हुए थे कि इसका प्रकाशन बंद हो गया।
  • जेल से छूटने के पश्चात् इन्होंने हल्द्वानी पहुँच कर एक बार फिर प्रकाशन के क्षेत्र में कदम रखा।
  • 15 जनवरी, 1934 को इनके नये पाक्षिक ‘स्वर्ग-भूमि’ का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ।
  • ‘स्वर्ग-भूमि’ के 3-4 अंक ही निकले थे कि वे अनुसूया प्रसाद बहुगुणा के आमंत्रण पर पौड़ी चले गये और स्वर्गभूमि का प्रकाशन बंद हो गया।
  • सन् 1936 में इनका देहान्त हो गया।

समता (Samta)

  • प्रकाशित – सन् 1934 ई0
  • सम्पादन – मुंशी हरिप्रसाद टम्टा
  • अल्मोडा से सन् 1934 में समता नामक साप्ताहिक हिन्दी समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया।
  • टम्टा अपने समय के प्रसिद्ध समाजसेवी, दलितोद्धारक तथा पत्रकार रहे है।
  • अपने पत्र के माध्यम से उन्होंने शिल्पी समाज की आवाज को बुलन्द किया।
  • सन् 1935 में श्रीमती लक्ष्मी देवी टम्टा ने, जो उत्तराखण्ड की पहली दलित महिला पत्रकार थी, इस साप्ताहिक पत्र के सम्पादकीय का दायित्व सम्भाला।
  • वर्तमान में दया शंकर टम्टा ‘समता’ का सम्पादन कर रहे है।
  • यह उत्तराखण्ड का एक मात्र ऐसा समाचार पत्र है जो दलित समाज के उत्थान को प्रेरित करता है।

हादी-ए-आजम (मासिक) (Hadie-e-Azam (Monthly))

  • प्रकाशित – सन् 1936 ई0
  • सम्पादन – मोहम्मद इकबाल सिद्दकी  
  • हल्द्वानी निवासी मोहम्मद इकबाल सिद्दकी द्वारा लिखित व प्रकाशित की गई यह मासिक पत्रिका उत्तराखण्ड की पहली उर्दू धार्मिक पत्रिका थी।
  • अत्यन्त अल्पावधि के लिए प्रकाशित हुई यह पत्रिका सन् 1936 में अपने प्रारम्भिक 2-3 अंको के प्रकाशन के बाद ही बंद हो गई थी।

हितैषी (पाक्षिक) (Hitaishee (Half Monthly))

  • प्रकाशित – सन् 1934 ई0
  • सम्पादन – पीताम्बर दत्त पसबोला
  • पौड़ी गढ़वाल निवासी पीताम्बर दत्त पसबोला ने सन् 1936 में लैन्सडौन से ‘हितैषी’ नामक एक पाक्षिक समाचार पत्र का सम्पादन व प्रकाशन किया।
  • यह पत्र औपनिवेशक सत्ता का समर्थक था।
  • अंग्रेज सत्ता को समर्थन के कारण पीताम्बर दत्त को ‘रायबहादुर’ की पदवी अवश्य दिला गया।

उत्तर भारत (North India)

  • प्रकाशित – सन् 1936 ई0
  • सम्पादन – महेशानन्द
  • प्रारम्भ में यह पत्र पुस्तक के साइज में निकला, किन्तु कुछ अंकों के पश्चात् इसका स्वरूप बदल दिया गया।
  • कुछ समय तक नियमित चलने के पश्चात् सन् 1937 में यह पत्र बन्द हो गया।

उत्थान (सप्ता) (Utthan (Weekly))

  • प्रकाशित – सन् 1937 ई0
  • सम्पादन – ज्योति प्रसाद माहेश्वरी
  • यह समाचार पत्र अपने नाम के अनुरूप क्षेत्रीय आन्दोलन का मार्गदर्शन करने तथा अपनी निष्पक्ष, सतही व बेबाक पत्रकारिता के लिए प्रसिद्ध था।

जागृत जनता (Jaagrt Janata)

  • प्रकाशित – सन् 1938 ई0
  • सम्पादन – पीताम्बर पाण्डे
  • ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन के चलते उन्हें जेल जाना पड़ा जिससे कुछ समय तक यह पत्र अल्मोड़ा से प्रकाशित हुआ था।
  • जेल से छूटने के पश्चात् हल्द्वानी आ गये तथा मृत्युपर्यन्त यहीं से ‘जागृत जनता’ का प्रकाशन करते रहे।

 

Read Also …

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

error: Content is protected !!