उत्तराखण्ड में पत्रकारिता के विकास का इतिहास | TheExamPillar
History of Journalism Development in Uttarakhand

उत्तराखण्ड में पत्रकारिता के विकास का इतिहास

भारत में सर्वप्रथम प्रिन्टिंग प्रेस (Printing Press) लाने का श्रेय पुर्तगालियों (Portuguese) को जाता है। सर्वप्रथम मुगल बादशाह अकबर के शासन काल में सन् 1557 में पुर्तगाली मिशनरी द्वारा पहला प्रिंटिंग प्रेस गोवा में स्थापित किया गया। 1557 में गोवा के पादरियों ने अपनी पहली पुस्तक भारत में छापी।

सन् 1870 में अल्मोड़ा में पहली बार सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक समस्याओं के समाधान हेतु ‘डिबेटिंग क्लब’ नामक एक छोटी सी संस्था आस्तित्व में आयी। सन् 1871 में अल्मोड़ा से ही देश का पहला हिन्दी भाषी आंचलिक समाचार पत्र ‘अल्मोड़ा अखबार’ प्रकाशित हुआ। यद्यपि इससे पूर्व सन् 1868 में ‘समय विनोद’ नाम से एक हिन्दी सामाचार-पत्र नैनीताल से जय दत्त जोशी नामक वकील के संपादन में प्रकाशित हुआ था। परन्तु यह आज भी अपरिचित व गुमनाम है। इन आंचलिक हिन्दी समाचार-पत्रों से पहले सन् 1842 – 1870 के मध्य कुछ आंग्लभाषी (English Language) समाचार-पत्र प्रकाशित तो हुए किन्तु एक-दो को छोड़कर सभी अल्पजीवी रहे। सन् 1842 में एक अंग्रेज व्यावसायी व समाजसेवी जान मेकिन्न (John MacKinnon) द्वारा उत्तर भारत का पहला समाचार-पत्र ‘द हिल्स (The Hills)’ का मंसूरी से प्रकाशन किया गया। 7-8 वर्ष चलने के पश्चात् इसे बन्द कर दिया गया। लगभग एक दशक तक अखबार विहीन रहने के पश्चात् सन् 1860 में एक बार पुनः उतरी भारत में डॉ0 स्मिथ (Dr. Smith) द्वारा इस समाचार-पत्र का पुनः प्रकाशन प्रारम्भ किया गया, परन्तु 5 वर्ष चलने के बाद यह अखबार सन् 1865 में हमेशा के लिए बन्द होकर इतिहास का एक छोटा सा हिस्सा बन गया। ‘मसूरी एक्सचेज (Mussoorie Exchanges)’ ‘मसूरी सीजन (Mussoorie Season)’ तथा ‘मंसूरी क्रानिकल (Mussoorie Chronicle)’ नामक कुछ आंग्लभाषी समाचार-पत्रों का क्रमशः सन् 1870, 1872 तथा 1875 में मसूरी से प्रकाशन शुरू हुआ परन्तु इनमें से कोई भी अधिक समय तक न चल सका।

इसी समय झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के वकील रह चुके जान लेंग (John Leng) द्वारा अंग्रेज विरोधी समाचार-पत्र ‘मेफिसलाइट (Mafasilite)’ का प्रकाशन मसूरी से किया गया। कुछ इतिहासकार इसका प्रकाशन वर्ष सन् 1845 को मानते है एवं हमें इस समाचार पत्र के बन्द होने की भी कोई प्रमाणित तिथि उपलब्ध नहीं होती है। इसके सन् 1882-83 के प्रकाशित अभिलेखों के कुछ अंको से ज्ञात होता है कि लिडिल (Lidil) इसके तत्कालीन सम्पादक थे। लगभग 130 वर्षों के लंबे अन्तराल के पश्चात् पत्रकार जयप्रकाश उत्तराखण्डी द्वारा ‘मेफिसलाइट’ को पुर्नजीवित किया गया। सन् 2003 से आप इस समाचार-पत्र को हिन्दी-अंग्रेजी में साप्ताहिक प्रकाशित कर रहे है।

उत्तराखण्ड की पत्रकारिता के इतिहास की काल विधि को 3 भागों में विभाजित किया जा सकता है। – 

 

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