Indian Citizenship

भारतीय नागरिकता (Indian citizenship)

नागरिकता भाग – 2 (अनुच्छेद 5 – 11)

लोकतंत्रताक राज व्यवस्था में नागरिकता किसी व्यक्ति को राज्य की पूर्ण राजनीतिक सदस्यता प्रदान करती है। नागरिकता व्यक्ति को दायित्व, अधिकार, कर्तव्य एवं विशेषाधिकार प्रदान करती हैं, जो कि विदेशियों को प्राप्त नहीं होते हैं।

नागरिकों के अधिकार (Civil Rights)

संविधान में नागरिकों को निम्नलिखित अधिकार दिए हैं, जो विदेशियों को उपलब्ध नहीं है –

भारतीय नागरिकता हेतु प्रावधान (Provision for Indian Citizenship)

संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता (Citizenship on the commencement of the Constitution)

निम्नलिखित व्यक्ति 26 जनवरी, 1950 को भारत के नागरिक बन गए

  • वह व्यक्ति जो भारत के राज्य क्षेत्र में अधिवासित था और जो भारत के राज्य क्षेत्र में जन्मा था।
  • अधिवासी, जिसके माता या पिता में से कोई भारत के राज्य क्षेत्र में जन्मा था।
  • अधिवासी, जो भारत के संविधान के ठीक पहले कम से कम पाँच वर्षों तक भारत में मामूली तौर से निवास कर रहा था।

पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वालों के लिए नागरिकता (Citizenship for migrants from India to Pakistan)

अनुच्छेद 6 के अनुसार पाकिस्तान से भारत आने वाला व्यक्ति भारतीय नागरिक कहलाएगा –

  • यदि वह 19 जुलाई 1948 से पहले भारत आया और तब से भारत के राज्य क्षेत्र में मामूली तौर से निवास कर रहा है।
  • यदि वह 19 जुलाई 1948 को या उसके बाद भारत आया और छह मास से अधिक समय से भारत में निवास कर रहा हो और सक्षम अधिकारी द्वारा भारत का नागरिक रजिस्ट्रीकृत कर लिया गया है।
  • यदि वह या उसके माता-पिता में से कोई भारत शासन अधिनियम 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा हो।

पाकिस्तान को प्रवजन करने वालों को नागरिकता- अनुच्छेद 7 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति 1 मार्च 1947 के पश्चात् भारत से पाकिस्तान के लिए प्रवजन किया, तो उसे भारत का नागरिक नहीं समझा जाएग।

दोहरी नागरिकता : अनुच्छेद 5, 6 एवं 8 के अधीन आने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं रहेगा। यदि वह किसी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर लेता है। (अनुच्छेद 9)

नागरिकता अधिनियम, 1955 (Citizenship Act, 1955)

अनुच्छेद 11 के अनुसार नागरिकता संबंधी कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। इसके लिए संसद ने नागरिकता अधिनियम 1955 पारित किया, जिसमें नागरिकता प्राप्त करने के लिए निम्न प्रावधानों का वर्णन है

  1. जन्म से नागरिकता : वह व्यक्ति जिसका जन्म भारत में 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद हुआ है, वह जन्म से भारत का नागरिक होगा।
    अपवाद :
    (i) विदेशी राजनयिकों के भारत में उत्पन्न बच्चे।
    (ii) शत्रुओं के अधीन भारत के किसी भाग में उत्पन्न बच्चे।
  2. वंशानुगत : 26 जनवरी, 1950 या उसके पश्चात् भारत के बाहर जन्म लेने वाला बच्चा वंशानुक्रम से भारत का नागरिक होगा, यदि उसके माता या पिता में से कोई उसके जन्म के समय भारत का नागरिक था।
  3. रजिस्ट्रीकरण द्वारा : कोई व्यक्ति जो ऊपर (1) और (2) में नहीं आता, वह कुछ शर्तों को पूरा करके भारत का नागरिक बन सकता है। उदाहरणार्थ ऐसे व्यक्ति जिनका विवाह भारत के नागरिकों से हुआ है या वे व्यक्ति जो भारतीय मूल के हैं।
  4. देशीकरण द्वारा : जब किसी विदेशी का देशीयकरण के लिए आवेदन भारत सरकार द्वारा मंजूर कर लिया है, तो वह भारत का नागरिक बन जाता है।
  5. भारत के राज्यक्षेत्र में मिल जाने से नागरिकता : यदि कोई राज्यक्षेत्र भारत में मिल जाता है, तब सरकार यह निर्दिष्ट करेगी कि उस राज्यक्षेत्र के कौन से व्यक्ति भारत के नागरिक हो जाएंगे।

नागरिकता की समाप्त (End of Citizenship)

नागरिकता तीन प्रकार से समाप्त हो सकती है:

  1. परित्याग : कोई भी वयस्क नागरिक स्वैच्छिक रूप से नागरिकता का परित्याग कर सकता है। यह परित्याग केवल वही व्यक्ति कर सकता है, जो किसी अन्य देश का नागरिकता प्राप्त करना चाहता है।
  2. पर्यवसन : जब कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करता है, तब वह भारत का नागरिक नहीं रह जाता है।
  3. वंचित रहना : यदि किसी व्यक्ति ने कपट द्वारा भारत की नागरिकता अर्जित की है या राष्ट्र विरोधी कार्य किया है, तब उसे नागरिकता से वंचित किया जा सकता है।

एकल नागरिकता (Single Citizenship)

पूरे भारत के लिए केवल एक नागरिकता है। राज्यों की अपनी अलग नागरिकता नहीं है। भारत में किसी एक राज्य में निवास करने वाले व्यक्ति को वही अधिकार प्राप्त है, जो किसी अन्य राज्य में निवास करने वाले भारतीय को है। अमेरिका एवं स्विट्जरलैण्ड में दोहरी नागरिकता है अर्थात् राष्ट्रीय एवं राज्यों की नागरिकता।

 

 

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