उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन
(President Rule in Uttar Pradesh)
अनुच्छेद-356
अनुच्छेद भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत केंद्र सरकार को किसी भी राज्य की सरकार को भंग करने का अधिकार है, बशर्ते राज्य में सांविधानिक तंत्र विफल हो गया हो। यदि किसी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत न मिला हो तो राज्यपाल भी विधानसभा को भंग कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में राज्यपाल विधानसभा को छह महीने के लिए निलंबित अवस्था में रख सकते हैं। उसके बाद भी यदि कोई दल स्पष्ट बहुमत न जुटा पाए तो फिर चुनाव कराए जाते हैं। इसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है, क्योंकि मुख्यमंत्री की जगह भारत के राष्ट्रपति शासन संभालते हैं और प्रशासनिक सत्ता राज्यपाल के हाथों में होती है।
क्रम संख्या | अवधि | समयावधि |
पहली बार | 25 फरवरी 1968 से 26 फरवरी 1969 तक विधान सभा निलम्बित तथा 15 अप्रैल 1968 को विधान सभा भंग |
1 वर्ष 02 दिन |
दूसरी बार | 1 अक्टूबर, 1970 से 18 अक्टूबर, 1970 तक विधान सभा निलम्बित |
18 दिन |
तीसरी बार | 13 जून, 1973 से 8 नवम्बर, 1973 तक विधान सभा निलम्बित |
4 माह 25 दिन |
चौथी बार | 30 नवम्बर, 1975 से 21 जनवरी, 1976 तक विधान सभा निलम्बित |
1 माह 22 दिन |
पाचवीं बार | 30 अप्रैल, 1977 से 23 जून, 1977 तक विधान सभा भंग |
1 माह 24 दिन |
छठी बार | 17 फरवरी, 1980 से 9 जून, 1980 तक विधान सभा भंग |
3 माह 21 दिन |
सातवीं बार | 6 दिसम्बर, 1992 से 4 दिसम्बर, 1993 तक विधान सभा भंग |
11 माह 29 दिन |
आठवीं बार | 18 अक्टूबर, 1995 से 17 अक्टूबर, 1996 तक 18 अक्टूबर, 1995 को निलम्बित 27 अक्टूबर, 1995 को विधान सभा भंग |
11 माह 29 दिन |
नौवीं बार | 17 अक्टूबर, 1996 से 21 मार्च, 1997 तक विधान सभा निलम्बित |
5 माह 04 दिन |
दसवीं बार | 08 मार्च,2002 से 03 मई 2002 तक विधान सभा निलम्बित |
1 माह 25 दिन |