उत्तर प्रदेश का संक्षिप्त इतिहास (Brief History of Uttar Pradesh) | TheExamPillar
Brief History of Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश का इतिहास

उत्तर प्रदेश का संक्षिप्त इतिहास (Brief History of Uttar Pradesh)

  • पुरातन काल में उत्तर प्रदेश, ‘मध्य-देश’ के नाम से प्रसिद्ध था।
  • उत्तर प्रदेश में पुरापाषाणकालीन सभ्यता के साक्ष्य इलाहाबाद के ‘बेलन घाटी’ सोनभद्र के ‘सिंगरौली घाटी’ तथा चंदौली के चकिया नामक पुरास्थलों से प्राप्त हुआ।
  • 16 महाजनपदों में से 8 महाजनपद मध्य देश (आधुनिक उत्तर प्रदेश) में स्थित थे, जिनके नाम थे- कुरू, पांचाल, काशी, कोशल, शूरसेन, चेदि, वत्स और मल्ल
  • कोशल महाजनपद अवध क्षेत्र,
    कुरू महाजनपद मेरठ से दिल्ली तक,
    पांचाल महाजनपद, बरेली, बदायूं और फर्रुखाबाद क्षेत्र में,
    काशी महाजनपद वाराणसी, वत्स महाजनपद इलाहाबाद के समीपवर्ती क्षेत्र,
    शूरसेन महाजनपद मथुरा के समीपवर्ती क्षेत्र तथा मल्ल महाजनपद (देवरिया, गोरखपुर क्षेत्र) की राजधानी कुशीनगर (कसया) तथा पावा (पडरौना) थी।
    चेदि महाजनपद की राजधानी शक्तिमती (बांदा के समीप) थी।
  • दूसरी-तीसरी शताब्दी में कौशाम्बी, ‘मघों की राजधानी थी। इस काल में कौशाम्बी ने राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। इसे ‘आद्य-नगरीय स्थल’ भी कहा जाता है।
  • कुशीनगर में 483 ई.पू. में गौतम बुद्ध को महापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुई थी।
  • गौतम बुद्ध का अधिकांश संन्यासी जीवन उत्तर प्रदेश में ही व्यतीत हुआ था। इसी कारण उत्तर प्रदेश को ‘बौद्ध धर्म का पालना’ कहा जाता है। 
  • ‘अयोध्या’ का प्राचीन नाम ‘अयान्सा’ था।
  • मध्यकाल में 831 ई. में महोबा में चंदेलों ने अपनी राजधानी स्थापित की थी। चंदेलों का राज्य ‘जेजाक मुक्ति’ (जुझौती) के नाम से चर्चित था।
  • आगरा की स्थापना ‘सिकन्दर लोदी’ ने 1504 ई. में की थी।
  • उत्तर-मध्य काल में 1707 ई. (औरंगजेब की मृत्यु) से 1757 ई. (प्लासी के युद्ध) तक वर्तमान उत्तर प्रदेश में ‘पांच’ स्वतंत्र राज्य स्थापित हो चुके थे। मेरठ, बरेली, के उत्तर में ‘नामिब खान’ नामक पठान नेता का राज्य था। दोआबा क्षेत्र में रुहेलों के अन्तर्गत ‘रुहेलखण्ड राज्य’, ‘फर्रुखाबाद’ के वंगश पठानों के अंतर्गत मध्य दोआब का राज्य स्थापित था। ‘अवध’ एवं ‘पूर्वी उत्तर प्रदेश’ के जिलों पर अवध के नवाब का शासन था तथा बुन्देलखण्ड क्षेत्र पर मराठों का राज्य स्थापित था।
  • 1857 ई. में उत्तरी भारत की जनता, जमींदारों और राजाओं ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक महान विद्रोह किया जिसे ‘वीर सावरकर’ ने ‘भारत की प्रथम स्वाधीनता संग्राम की संज्ञा’ दी।
  • कलकत्ता के निकट स्थित बैरकपुर की 34वीं देशी सैनिक छावनी के मंगल पांडे (उ.प्र.) के बलिया के निवासी ने 21 मार्च 1857 ई. को खुला विद्रोह कर दिया और लेफ्टीनेंट ‘हेनरी बाग’ को गोली मार दी। मंगल पांडे को 7 अप्रैल 1857 ई. को बैरकपुर में फांसी पर चढ़ा दिया। आधुनिक इतिहास के संदर्भ में उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में बनारस (वाराणसी) के भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपनी पत्रिका ‘कवि वचन सुधा’ में स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया था।

उत्तर प्रदेश का नामकरण

  • अंग्रेजी राज्य स्थापना के समय यह प्रांत ‘बंगाल प्रेसीडेंसी’ का ही एक हिस्सा था और इसे ‘पश्चिमी प्रान्त’ के नाम से जाना जाता था। सन् 1833 में ‘आगरा प्रेसीडेंसी’ का निर्माण कर इसे बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग किया गया।
  • सन् 1836 में इसका नाम बदल कर ‘उत्तर पश्चिमी प्रांत’ कर दिया गया तथा मुख्यालय ‘आगरा’ को बनाया गया तथा 1858 में इस प्रान्त का मुख्यालय आगरा से बदल कर ‘इलाहाबाद’ कर दिया गया।
  • 1869 में उच्च न्यायालय को भी ‘आगरा से हटाकर इलाहाबाद’ कर दिया गया।
  • 1877 में अवध और उत्तर पश्चिमी प्रांत का एकीकरण कर इस प्रान्त का नाम ‘उत्तर-पश्चिमी प्रांत, आगरा और अवध कर दिया गया।
  • 1902 में इसका नाम बदलकर ‘आगरा और अवध का संयुक्त प्रांत’ कर दिया गया।
  • 1937 में इसका नाम संक्षिप्त करके मात्र “संयुक्त प्रांत” कर दिया गया।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 12 जनवरी 1950 को इस क्षेत्र का नाम बदलकर ‘उत्तर प्रदेश’ कर दिया गया।
  • 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के साथ ही उत्तर प्रदेश भारत गणतन्त्र का एक पूर्ण राज्य बना जिसकी राजधानी लखनऊ है।
  • 1921 में लखनऊ में ही विधान परिषद की स्थापना की गयी, तथा 2 नवम्बर 1925 को ही प्रदेश की राजधानी इलाहाबाद से लखनऊ स्थानान्तरि कर दी गई, परन्तु उच्च न्यायालय इलाहाबाद में ही बना रहा, साथ ही लखनऊ में उच्च न्यायालरी की एक न्यायिक पीठ की स्थापना की गई। तथा 1935 तक प्रांतीय सचिवालय के इलाहाबाद से लखनऊ स्थानान्तरण का कार्य पूरा करने के बाद ‘लखनऊ’ को इस प्रांत राजधानी घोषित किया गया।

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