कम्प्यूटर विकास का इतिहास (History of Computer Evolution) | TheExamPillar
History of Computer Evolution

कम्प्यूटर विकास का इतिहास (History of Computer Evolution)

कम्प्यूटर विकास का इतिहास (History of Computer Evolution)

आधुनिक कम्प्यूटरों को अस्तित्व में आए हुए मुश्किल से 50 वर्ष ही हुए हैं, लेकिन उनके विकास का इतिहास बहुत पुराना है। कम्प्यूटर हमारे जीवन के हर पहलू में किसी-न-किसी तरह से सम्मिलित है। पिछल लगभग चार दशक में  कम्प्यटर ने हमारे समाज के रहन-सहन व काम करने के तरीके को बदल दिया है ।

कम्प्यूटर के विकास का इतिहास निम्नलिखित सारणी में संक्षेप में बताया गया है –

आविष्कार आविष्कारक समय विशेषताएँ अनुप्रयोग
अबेकस (Abacus) ली काई चेन (चीन) 16वीं शताब्दी • सबसे पहला एवं सरल यन्त्र।
• अबेकस लकड़ी का एक आयताकार ढाँचा होता था, जिसके अन्दर तारों का एक फ्रेम लगा होता था।
• क्षैतिज (Horizontal) तारों में गोलाकार मोतियों के द्वारा गणना की जाती थी।
• जोड़ने व घटाने के लिए प्रयोग किया जाता था।
• वर्गमूल निकालने के लिए भी  प्रयोग किया जाता था।
नेपियर्स बोन्स (Napier’s Bons) जॉन नेपियर (स्कॉटलैण्ड) 1617 • ये जानवरों की हड्डियों से बनी आयताकार पट्टियाँ की होती थी।

• 10 आयताकार पट्टियों पर 0 से 9 तक के पहाड़े इस प्रकार लिखे होते हैं कि एक पट्टी के दहाई के अंक दूसरी पट्टी के इकाई के अंको के पास आ जाते थे।

• गणना के लिए प्रयोग में आने वाली प्रोद्यौगिकी को राबडोलोगिया (Rabdologia) कहते हैं।

• गुणा अत्यन्त शीघ्रतापूर्वक जा सकती थी।

• गणनात्मक परिणाम को ग्राफिकल संरचना द्वारा दर्शया जाता था।

स्लाइड रूल (Slide Rule) विलियम ऑटरेड

(जर्मनी)

1620 • इसमें दो विशेष प्रकार की चिह्नित पट्टियाँ होती थीं, जिन्हें बराबर में रखकर आगे-पीछे सरकाकर लघुगणक की क्रिया सम्पन्न होती थी।

• पट्टियों पर चिन्ह इस प्रकार होते थे कि किसी संख्या के शून्य वाले चिह्न से वास्तविक दूरी उस संख्या के किसी साझा आधार पर लघुगणक के समानुपाती होती थी।

• यह लघुगणक विधि के आधार पर सरलता से गणनाएँ कर सकता था।
पास्कलाइन (Pascaline) ब्लेज पास्कल (फ्रांस) 1642 • यह प्रथम मैकेनिकल एडिंग मशीन है।

• यह मशीन ओडोमीटर एवं घड़ी के सिद्धान्त पर कार्य करती थी।

• इस मशीन में कईं दाँतेदार चक्र और पुराने टोलीफोन की तरह घुमाने वाले डायल होते थे, जिन पर 0 से 9 तक संख्याएँ अंकित होती थीं।

संख्याओं को जोड़ने और घटाने के लिए प्रयोग किया जाता था।
लेबनीज का यान्त्रिक कैलकुलेटर (Mechanical Calculator of Leibnitz) गोटफ्रेड वॉन लेबनीज (जर्मन) 1671 • इस मशीन को लेबनीज की ‘रेनिंग मशीन’ भी कहा जाता है। • यह मशीन जोड़ व घटाव के साथ-साथ गुणा व भाग कर सकने में भी समर्थ थी।

• कार व स्कूटर के स्पीडोमीटर में प्रयुक्त की जाती है।

जेकॉडर्स लूम (Jacquard Loom) जोसेफ-मेरी जैकार्ड (फ्रांस) 1801 • यह एक ऐसी बुनाई मशीन थी, जिसमें बुनाई के डिजाइन डालने के लिए छिद्र किए हुए कार्डो का उपयोग किया जाता था। • इसका प्रयोग कपड़े बुनने के लिए किया जाता था।
डिफरेंस इंजन (Difference Engine) चार्ल्स बैबेज 1822 • इस मशीन में शॉफ्ट तथा गियर लगे होते थे तथा यह मशीन भाप से चलती थी। • इस मशीन की सहायता से विभिन्न बीजगणितीय फालनों का मान दशमलव के 20 स्थानों तक शुद्धतापूर्वक ज्ञात किया जा सकता था।

• इसक उपयोग बीमा, डाक, रेल उत्पादन में किया जाता था।

एनालिटिकल इंजन चार्ल्स बैबेज (Analytical Engine) चार्ल्स बैबेज 1833 • इस मशीन के पॉच मुख्य भाग थे 1. इनपुट इकाई, 2. स्टोर, 3. मिल, 4. कण्ट्रोल 5. आउटपुट इकाई ।

• इस मशीन को आधुनिक कम्पयूटरों का आदि प्रारूप माना जाता है। यह एक मैकेनिकल मशीन है।

• इसका प्रयोग सभी गणितीय क्रियाओं को करने में किया जाता था।
टेबुलेटिंग मशीन (Tabulating Machine) हर्मन होलेरिथ 1880 • इसमें संख्या पढ़ने का कार्य छेद किए हुए कार्डों द्वारा किया जाता था।

• एक समय में, एक ही कार्ड को पढ़ा जाता था।

• सन् 1896 में होलेरिथ ने ‘टेबुलेटिंग मशीन कम्पनी’ की स्थापना की जो पंचकार्ड यन्त्र का उत्पादन करती थी।

• सन 1924 में इसका नाम ‘इण्टरनेशनल बिजनेस मशीन’ (Inernational Business Machine-IBM) हो गया।

• इसका प्रयोग 1890 की जनगणना में किया गया था।
मार्क-1 (Mark-1) हावर्ड आइकन 1930 • यह विश्व का प्रथम पूर्ण स्वचालित विद्युत यान्त्रिक (Electromechanical) गणना यन्त्र था।

• इसमें इंटरलॉकिंग पैनल के छोटे गिलास, काउण्टर, स्विच और नियन्त्रण सर्किट होते थे।

• डेटा मैन्युअल रूप से Enter किया जाता है।

• संचयन के लिए मैग्नेटिक ड्रम प्रयोग किए जाते थे।

• इसका प्रयोग गणनाएँ करने में किया जाता था।
एनिएक (ENIAC) (Electronic Numerical Integrator and Calculator) जे पी एकर्ट और  जॉन मौचली। 1946 • यह बीस Accumulators का एक संयोजन है।

• इसमें 18000 वैक्यूम ट्यूब्स लगी थी।

• यह पहला डिजिटल कम्प्यूटर था।

• इसका प्रयोग प्राइवेट फर्मो, इंजीनियर्स रिसर्च एसोसिएशन और IBM में किया गया था।
एडसैक (EDSAC) (Electronic Delay Storage Automatic Calculator) मौरिस विल्कस 1949 • यह पहला प्रोग्राम संग्रहित डिजिटल कम्प्यूटर था।

• यह वर्गों के पहाड़ों की भी गणना कर सकता था।

• यह मर्करी डिलेय लाइनस का प्रयोग मैमोरी और वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग लॉजिक के लिए करता था।

• 1950 में, एम वी विल्कस और व्हीलर ने जीन आवृत्तियों (Gene Frequencies) से संबधित डिफरेंशियल (Differential) समीकरण को हल करने के लिए EDSAC का इस्तेमाल किया।

• 1951 में, मिलर और व्हीलर ने एक 79 अंको के प्राइम नंबर की खोज करने के लिए EDSAC का इस्तेमाल किया।

एडवैक (EDVAC) (Electronic Discrete Variable Automatic Computer) जॉन वॉन न्यूमैन 1950 • यह 30 टन बड़ा 150 फीट चौड़ा था। • यह गणनाएँ करने का काम करता था।
यूनिवैक (UNIVAC) (Universal Automatic Computer) जे प्रेस्पर एकटे और जॉन मौचली 1951 • यह इनपुट व आउटपुट की समस्याओं को अतिशीघ्र हल करता था।

• सामान्य उद्देश्य के लिए प्रयोग किए जाने वाला प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर।

• यह सांख्यिकी और शाब्दिक दोनों प्रकार के डेटा को संसाधित करता था।

• यह मैग्नेटिक टेप का प्रयोग इनपुट और आउटपुट के लिए करता था।

• इसका प्रयोग वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए किया जाता था।

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