First Phase of Journalism of Uttarakhand

उत्तराखण्ड में पत्रकारिता का पहला चरण (1842-1870)

28 वर्षों का यह काल खण्ड उत्तराखण्ड में पत्रकारिता (Journalism) का प्रारम्भिक दौर था। इसी काल में अंग्रेजों द्वारा मंसूरी में पत्रकारिता की पाठशाला की नीवं रखी गई। इस काल में उत्तराखण्ड में जितने भी समाचार-पत्र प्रकाशित हुए वे सभी मंसूरी से प्रकाशित हुए तथा सभी का संचालन व सम्पादन (Operation and Editing) अंग्रेजों द्वारा किया गया।

द हिल्स (The Hills)

  • प्रकाशित – सन् 1842 ई0
  • सम्पादन – जॉन मेकिनन
  • जॉन मेकिनन नाम के ईसाई पादरी ने ‘द हिल्स’ नाम से उत्तराखण्ड का पहला आंग्ल भाषी समाचार पत्र प्रकाशित किया।
  • उस समय ‘टाइम्स ऑफ इण्डिया’ देश का प्रसिद्ध समाचार पत्र हुआ करता था।
  • प्रारम्भ में यह पत्र गाजियाबाद से छपता था लेकिन बाद में मेकिनन ने मसूरी सेमीनरी में अपनी प्रिन्टिग प्रेस खोली जो उत्तराखण्ड की पहली प्रिन्टिग प्रेस थी।
  • जॉन मेकिनन मूलतः आइरिश थे।
  • जॉन मेकिनन ने ‘द हिल्स’ के सम्पादकीय के माध्यम से आयरलैण्ड–इग्लैण्ड के आपसी संघर्षों को लेकर इग्लैण्ड की घोर आलोचना की।
  • सन् 1849-50 में मेकिनन द्वारा इस पत्र का प्रकाशन बंद कर दिया गया।
  • सन् 1860 में डॉ0 स्मिथ द्वारा ‘द हिल्स’ का प्रकाशन पुनः प्रारम्भ किया गया।
  • अपने जीवन काल की दूसरी पारी में ‘द हिल्स’ के आकार में परिवर्तन किया गया।
  • पांच वर्ष प्रसिद्धि के साथ चलने के बाद 1865 ई0 में उत्तर भारत को पत्रकारिता से परिचित कराने वाला यह समाचार-पत्र सदैव के लिए बन्द हो गया।

मेफिसलाइट (Mafasilite)

  • प्रकाशित – सन् 1850 ई0
  • सम्पादन – मि0 जान लेंग
  • कुछ इतिहासकार इसका प्रकाशन वर्ष सन् 1845 बताते है तो कुछ इसके लगभग एक दशक बाद बताते है।
  • आंग्ल भाषी यह समाचार-पत्र उत्तर भारत का एक प्रमुख तथा अंग्रेज प्रशासन विरोधी क्रांन्तिकारी पत्र था।
  • पेशे से वकील मि0 जान लेंग इस पत्र के प्रकाशक व सम्पादक थे।

समय विनोद (Samay Vinod)

  • प्रकाशित – सन् 1868 ई0
  • सम्पादन – जयदत्त जोशी
  • उत्तराखण्ड से प्रकाशित होने वाला हिन्दी का यह पहला समाचार-पत्र था।
  • भारत में हिन्दी पत्रकारिता की शुरूआत सन् 1826 में ‘उन्ड मार्तण्ड’ से हो चुकी थी, जो कलकता से प्रकाशित होता था।
  • यह पत्र सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र से देशी अथवा हिन्दी भाषा का पहला समाचार-पत्र था।
  • नैनीताल प्रेस से छपने वाले ‘समय विनोद’ के संस्थापक व सम्पादक जयदत्त जोशी थे, जो पेशे से वकील थे।
  • इस समाचार पत्र में अंग्रेजी राज की नीतियों की समीक्षा के साथ-साथ सामाजिक मुददों को भी स्थान दिया जाता था।

मंसूरी एक्सचेंज (Mussoorie Exchanges)

  • प्रकाशित – सन् 1870 ई0
  • इस समाचार पत्र के सम्बन्ध में अधिक जानकारी नहीं मिलती।
  • इसके विषय में कहा जाता है कि यह पत्र विज्ञापनों तक ही सीमित रहा।
  • अतः अधिक न चल पाने के कारण कुछ ही महीनों में बंद हो गया।

अल्मोड़ा अखबार (Almora Akhbar)

  • प्रकाशित – सन् 1871 ई0
  • सम्पादन –  बुद्धिबल्लभ पंत
  • अल्मोड़ा के कुछ शिक्षित व जागृत व्याक्तियों ने तत्कालिक समाज में व्याप्त राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक समस्याओं के सम्यक् समाधान हेतु एक छोटी सी संस्था ‘डिबेटिग क्लब’ की स्थापना की।
  • ‘डिबेटिग क्लब’ का संरक्षक, चंद राजवंश से सम्बन्धित राजा भीमसिंह को चुना गया।
  • इसकी स्थापना व उद्देश्यों के पीछे मूलरूप से बुद्धिबल्लभ पंत के विचार व आकांक्षा जुड़ी हुई थी।
  • सन् 1871 में बुद्धि बल्लभ पंत के सम्पादन में ‘अल्मोड़ा अखबार’ नाम के समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ।
  • अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में अधिकांश समय तक यह पत्र अंग्रेजी प्रशासन की ओर ही झुका हुआ नजर आता है।
  • बंग-भंग की घटना के पश्चात सही मायनों में यह पत्र आम जनता की ओर उन्मुख हुआ।
  • सन् 1918 में पत्र के बन्द होने तक इसमें कुलीबेगार, वन सम्बन्धी समस्या तथा राष्ट्रीय स्वतंत्रता सम्बन्धी अनेक लेख प्रकाशित हो चुके थे।
  • सन् 1909 तक क्रमशः मुंशी इम्तियाज अली, जीवानन्द जोशी तथा मुंशी सदानन्द सनवाल द्वारा ‘अल्मोड़ा अखबार’ का सम्पादन किया गया।
  • सन् 1909 से 1913 तक विष्णु दत्त जोशी इसके सम्पादक रहे।
  • सन् 1918 में अल्मोड़ा अखबार के बंद होने तक बद्रीदत्त पांडे द्वारा इसका सम्पादन किया जाता रहा।

मंसूरी सीजन (Mussoorie Season)

  • प्रकाशित – सन् 1872 ई0
  • सम्पादन – कोलमेन व नार्थम
  • यह पत्र मसूरी से प्रकाशित हुआ।
  • 1874 में कोलमेन द्वारा मंसूरी छोड़ने के साथ ही ‘मंसूरी सीजन’ नाम का यह समाचार-पत्र सदा के लिए बन्द हो गया।

मंसूरी क्रानिकल (Mussoorie Chronicle)

  • प्रकाशित – सन् 1875 ई0
  • सम्पादन – जॉन नार्थम
  • कुछ समय तक नियमित मंसूरी से निकलने के पश्चात् इसका प्रकाशन मेरठ से किया जाने लगा।

द ईगल (The Eagle)

  • प्रकाशित – सन् 1878 ई0
  • सम्पादन – मौर्टन
  • आंग्ल भाषी यह पत्र काफी लोकप्रिय था।
  • 7-8 वर्ष नियमित निकलने के पश्चात् सन् 1885 में यह पत्र सदा के लिए बन्द हो गया।

 

उत्तराखण्ड में पत्रकारिता के विकास का इतिहास

 

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