प्लासी का युद्ध (Battle of Plassey) 1757
प्लासी के युद्ध के कारण
- 1717 ई० में अंग्रेजों ने मुगल फरमान की गलत व्याख्या की एवं दस्तक का गलत उपयोग किया गया।
- सिराजुद्दौला जो बंगाल का नया नवाब बना। वह अपने पूर्वजों के समान ही अंग्रेजों पर अधिकार रखना चाहता था। लेकिन दक्षिण भारत में अपनी सफलता के बाद अपने को शक्तिशाली समझने लगा, परंतु अपने अधिकारों का विरोध नहीं कर सका। नवाब के आदेश के विरुद्ध अंग्रेजों ने कलकत्ता में किलाबंदी की।
प्लासी के युद्ध का घटनाक्रम
प्लासी जो कि ‘प्लासी’ अपभ्रंश है, मुर्शिदाबाद से 20 मील दूर तक गांव और परगना का नाम है।
- 23 जून, 1757 ई० में नवाब सिराजुद्दौला एवं अंग्रेजों के बीच लड़ाई हई।
- ब्रिटिश सेना का नेतृत्व रॉबर्ट क्लाइव कर रहा था जिसमें 613 यूरोपियन पैदल सैनिक, 100 यूरोपियन सिपाही, 171 तोपखाने एवं 2100 भारतीय पैदल सैनिक थे।
- नवाब सिराजुद्दौला के पास 35000 पैदल सैनिक, 15000 घुडसवार, 53 तोपखाने थे जिसे चलाने के लिए 40 से 50 फ्रांसीसी थे।
- अंग्रेजों के कुल 52 सिपाही एवं 20 यूरोपयिन मारे गए जबकि नवाब की तरफ से 500 लोग मारे गए थे।
- अंग्रेजों की विजय का कारण उनकी चुस्ती एवं फुर्ती के साथ-साथ उनके द्वारा किए गए अनेक षड्यंत्र एवं धोखाधड़ी थी जिसके चलते उन्होंने शत्रु खेमे के अनेक लोगों को अपने साथ मिला लिया था।
- नवाब सिराजुद्दौला के सिर्फ दो सेनापति मीर-मदान तथा मोहनलाल ने ईमानदारी से युद्ध लड़ा जबकि तीन अन्य सेनापति मीर जाफर, यार-लुतुफ-खान तथा राय दुर्लभ जो कि अंग्रेजों के साथ षड्यंत्र में लिप्त थे।
प्लासी के युद्ध का महत्त्व एवं परिणाम
- अंग्रेजों का बंगाल एवं अंततः संपूर्ण भारत पर अपना अधिकार करना आसान हो गया।
- अंग्रेजों की प्रतिष्ठा बढ़ी जिसके कारण वे भारतीय साम्राज्य के प्रबल प्रत्याशी बन गए।
- बंगाल के लोगों से कम्पनी एवं उसके सेवकों द्वारा अवैध धन वसूलने में मदद मिली।
- भारत में पूंजी का दोहन अर्थात अंग्रेजों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण प्रारंभ हो गया।
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