कत्यूरी शासकों की प्रशासनिक व्यवस्था
(Administrative System of Katyuri Rulers)
कत्यूरी शासकों की प्रशासनिक व्यवस्था का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि राजा सर्वोच्च शासक, देवतुल्य एवं केन्द्रीय प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी था। मंत्रिपरिषद तथा समस्त राजकीय पदाधिकारियों की नियुक्ति राजा द्वारा होती थी। राजा मंत्रिपरिषद की सहायता से शासन व्यवस्था का संचालन करता था।
कत्यूरी शासनकाल में प्रान्त अनेक विषयों में विभक्त थे। कत्यूरी अभिलेखों में चार विषयों – कार्तिकेयपुर, टंकणपुर, अन्तरागविषय एवं एशाल विषय का उल्लेख है। राज्य की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी। ग्राम में महामनुष्य तथा मुकद्दम नामक अधिकारी नियुक्त थे। पाण्डुकेश्वर ताम्रपत्र में कत्यूरी राज्य के केन्द्रीय तथा प्रान्तीय अधिकारियों की निम्नलिखित सूची दी गयी है –
कत्यूरी शासनकाल के अधिकारी व उनके कार्य
अधिकारि | कार्य |
अविनियोग स्थान | दैविक शासक |
राजा | शासक |
राजन्वयक | राजकुमार |
राजामात्य | राज मंत्री |
सामन्त | मंडलिक राजा |
महासामन्त | सेनापति |
महाकृता कतृक | उच्च निरीक्षक |
महादण्डनायक | प्रधान न्यायाधीश |
महाप्रतिहार | प्रधान रक्षक |
प्रमातारा | सर्वेयर |
सरभंग | तीरंदाज |
उदाधिक | अधीक्षक |
कुमारामात्य | राजकुमारों के मंत्री |
दुःसाध्य साधनिक | कठिन कार्य हल करने |
दोषापराधिक | अपराधों की जॉच करने |
चौरोधरणिक | चोरो को पकड़ने वाले |
सौलकिक | चुंगी वसूल करने वाला |
गौलमिक | सैनिक |
पट्टकोपचारिक | राजकीय वस्त्रों के रक्षक |
हस्तश्वष्ष्ट्रपाल | हाथी,घोड़े,ऊटों के रक्षक |
व्यापितृक | मंत्री या राजदूत |
दण्डिक | आसा बरदार |
दंडपाशिक | नाजिर |
विषय-व्यापितृक | जिला मंत्री |
गमागमी | पत्रवाहक |
भोगपति | प्रान्तीय शासक |
अमित्वर मानिक | शीघ्रगामी दूत |
राजस्थानिक | राजभवन के अफसर |
विषयापति | जिलाधीश |
खंडपति | मोहल्लों के अधिकारी |
तारापति | नावों के अधिकारी |
अश्वपति | रिसाले के अधिकारी |
खंडरक्ष स्थानापति | सीमापाल |
वर्मपालक | सड़क के रक्षक |
कोशपाल | खजान्ची |
घट्टपाल | घाटियों के रक्षक |
महामनुष्य | प्रतिष्ठित पुरूष |
वर्णिक | व्यापारी |
अष्टादशप्रकृताधिकष्ठानीय | अठारह विभागों के निरीक्षक |
भट् महोत्तम | सबसे ज्यादा विद्वान पुरूष |
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