UKPSC Lecturer Syllabus (Commerce)

UKPSC Lecturer Syllabus (Commerce)

उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (सामान्य तथा महिला शाखा)

द्वितीय चरण (विषयवार लिखित परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकार) पाठ्यक्रम

विषय प्रश्नों की संख्या अधिकतम अंक समय अवधि
वाणिज्य (Commerce) 200 200 03 घण्टे

नोटः-  लिखित परीक्षा में मूल्यांकन हेतु ऋणात्मक पद्धति प्रयुक्त की जाएगी।

परीक्षा पाठ्यक्रम (वाणिज्य)

भाग – अ (व्यावसायिक अध्ययन)

भाग प्रथमः – व्यवसाय परिचय

प्रकृति एवं उद्देश्य, व्यवसाय बनाम पेशा, व्यावसायिक संगठन के स्वरूपः प्रकृति एवं सीमाएं। निजी एवं सार्वजनिक उद्यमों का अर्थ एवं भूमिका, लघु एवं मध्यम उपक्रम, व्यवसाय की उभरती पद्धतियां, व्यवसाय की नैतिकता । तकनीकी नवप्रवर्तन, कौशल विकास एवं मेक इन इण्डिया।

भाग द्वितीयः निगमीय संगठन एवं व्यवसाय के वैधानिक पहलू

(a) कम्पनी अधिनियम 2013 : प्रशासन ( NCLT एवं NCLAT सहित), संयुक्त स्कन्ध कम्पनी की स्थापना, सार्वजनिक और निजी कम्पनी, सरकारी कम्पनी, एक व्यक्ति कम्पनी, रचनात्मक सूचना का सिद्धान्त एवं आन्तरिक प्रबन्ध का सिद्धान्त, निगमीय आवरण को उठाना । प्रपत्रीकरण : रेड हेरिंग प्रविवरण एवं शेल्फ प्रविवरण, पार्षद सीमानियम एवं पार्षद अन्तनिर्यम | प्रबन्ध : संचालक, सभाएं एवं प्रस्ताव। कम्पनी का समापन । निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व एवं इसका क्रियान्वयन ।

(b) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम : आवश्यकता, महत्व, उपभोक्ता जागरूकता, उपभोक्ता अधिकार, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत वैधानिक प्रावधान।

(c) वस्तु एवं सेवाकर (GST) : व्यवसाय में इसके उद्देश्य एवं प्रभावशीलता ।

भाग तृतीयः व्यावसायिक पर्यावरण

व्यावसायिक पर्यावरण का अर्थ, प्रकृति एवं मूलतत्व। अर्थिक पर्यावरण : उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण, द्वितीय पीढ़ी सुधार, वर्तमान सरकार द्वारा किए गए नवीन परिवर्तनों सहित नवीन औद्योगिक नीति ।

भाग चतुर्थः व्यवसाय, वित्त एवं विपणन प्रबन्ध

(a) व्यावसायिक

प्रबन्ध : प्रकृति, महत्व एवं प्रबन्ध के सिद्धान्त ।

नियोजन : उद्देश्य, रणनीति, नियोजन प्रक्रिया, निर्णयन ।

संगठन : संगठनात्मक ढाँचा, औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन, शाक्ति एवं अधिकार ।

स्टाफिंग : प्रक्रिया, प्रशिक्षण एवं विकास, निष्पादन मूल्यांकन ।

निर्देशन : अभिप्रेरणा, नेतृत्व एवं संवहन।

नियंत्रण: आवश्यकता प्रक्रिया एवं तकनीक ।

(b) वित्तीय प्रबन्धः आशय एवं उद्देश्य, वित्तीय निर्णयों को प्रभावित करने वाले घटक, पूंजीगत ढ़ांचा, पूंजी लागत एवं पूंजी बजट।

(c) विपणन प्रबन्ध : विपणन का प्रादुभार्व (उत्पत्ति), विपणन बनाम विक्रय, विपणन मिश्रण, CRM, आधुनिक विपणन, बाजार विभक्तिकरण, उपभोक्ता व्यवहार । उत्पाद, मूल्य, संवर्धन एवं वितरण संबंधी विपणन निर्णय

भाग पांचः- बैकिंग संस्थाएं एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार

(a) व्यवसाय में बैकिंग का महत्व, बैंकों के विभिन्न प्रकार और इनके कार्य, आर0बी0आई0, नाबार्ड एवं आर0 आर0बी0 (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक)। बैकिंग क्षेत्र में सुधार – एन०पी०ए० (गैर निष्पादित सम्पत्तियां) एवं बैकिंग उद्योग में आधुनिक प्रवृतियां । विमुद्रीकरण एवं इसका बैकिंग उद्योग पर प्रभाव ।

(b) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारः अर्थ, एवं प्रकृति, व्यापार सन्तुलन ।

अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थान : IMF, IBRD, IFC, ADB

विश्व व्यापार संगठन : इसके कार्य एवं नीतियां, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियां ।

भाग – ब (लेखाशास्त्र)

इकाई – 01  

लेखांकन एक परिचय:- लेखांकन का अर्थ, उदेश्य एवं भूमिका, लाभ एवं सीमायें, लेखांकन एक सूचना प्रणाली के रूप में, लेखांकन की मूल – अवधारणाऐं एवं रीतियां/परम्पराएं सर्वमान्य स्वीकृत सिद्धान्त (गैप), अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक (आई.एफ.आर.एस.) ।

इकाई – 02

लेखांकन प्रक्रिया – लेखांकन समीकरण, लेखांकन के सुनहरे नियम, मुख्य लेखांकन शब्दावली, लेखांकन प्रणालियां, रोजनामचा, खाताबही प्रारम्भिक लेखे की सहायक पुस्तकें, रोकड़ बही, क्रय बही, विक्रय बही, कय वापसी बही एवं विक्रय वापसी बही, तलपट बनाने की विधियां तथा अशुद्धियों का संशोधन ।

इकाई – 03

अंतिम खाते – गैर निगमीय व्यावसायिक संस्थाओं के अंतिम खाते समायोजन सहित ।

इकाई – 04

बैंक समाधान विवरण तथा विनिमय विपत्र – बैंक समाधान विवरण की आवश्यकता तथा बैंक समाधान विवरण का निर्माण, विनिमय विपत्र का अर्थ, लाभ, बिल की कटौती, बिल का अनादरण एवं नवीनीकरण, अनुग्रह बिल, व्यापारिक बिल एवं अनुग्रह बिल में अन्तर ।

इकाई – 05

ह्रास, आयोजन तथा संचय – ह्रास का अर्थ एवं आवश्यकता, हास की गणना की विधियां, आयोजन तथा संचय । पूंजीगत एवं आयगत व्यय एवं प्राप्तियां ।

इकाई – 06

गैर-व्यावसायिक संगठनों के खाते अर्थ, विशेषताऐं तथा लाभ अर्जित न करने वाले गैर व्यावसायिक संगठनों के लेखे, प्राप्ति तथा भुगतान खाता एवं आय-व्यय खाता ।

इकाई – 07

साझेदारी खाते – मुख्य अवधारणाऐं, प्रकृति एवं साझेदारी संलेख । सीमित दायित्व साझेदारी अधिनियम 2008, नये साझेदार का प्रवेश, अवकाश ग्रहण एवं साझेदार की मृत्यु तथा साझेदारी का समापन ।

इकाई – 08

कंपनी खाते – अर्थ, अंश पूंजी के प्रकार, समता एवं पूर्वाधिकार अंशों का निर्गमन, अंशों का हरण तथा हरित अंशों का पुनःनिर्गमन, स्वेट – समता अंश तथा कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ई0एस0ओ0पी0)। पूर्वाधिकार अंशो का शोधन । ऋणपत्रों का निर्गमन एवं शोधन ।

इकाई – 09

(अ) वित्तीय विवरणों का विश्लेषण – कंपनी के वित्तीय विवरण, कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार कंपनी के आर्थिक चिट्ठे का निर्माण ।

(ब) वित्तीय विवरण विश्लेषण के औजार (टूल्स) – अर्थ, महत्व एवं सीमायें, तुलनात्मक वित्तीय विवरण तथा समरूप (कॉमन ) वित्तीय विवरण, लेखांकन अनुपात – लाभदायकता, तरलता, शोधन-क्षमता और क्रियाशीलता अनुपात ।

इकाई – 10

(अ) लेखांकन की किराया क्रय पद्धति एवं किस्त भुगतान पद्धति ।

(ब) लेखांकन में कम्प्यूटर का अनुप्रयोग – कम्प्यूटरीकृत लेखांकन- कम्प्यूटरीकृत लेखांकन की अवधारणाएं एवं भेद, विशेषताऐं, स्वरूप तथा लेखांकन में कम्प्यूटर की भूमिका । लेखांकन में टेली एवं इलैक्ट्रानिक स्प्रैड – शीट का उपयोग ।

 

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