UKPSC Lecturer Syllabus (Hindi)

UKPSC Lecturer Syllabus (Hindi)

उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (सामान्य तथा महिला शाखा)

द्वितीय चरण (विषयवार लिखित परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकार) पाठ्यक्रम

विषय प्रश्नों की संख्या अधिकतम अंक समय अवधि
हिन्दी 200 200 03 घण्टे

नोटः-  लिखित परीक्षा में मूल्यांकन हेतु ऋणात्मक पद्धति प्रयुक्त की जाएगी।

परीक्षा पाठ्यक्रम (हिन्दी)

1. हिन्दी साहित्य का इतिहासः पृष्ठभूमि, काल-विभाजन, नामकरण, वर्गीकरण एवं युग प्रवृत्तियाँ

  • आदिकाल (वीरगाथा काल)
  • भक्तिकाल (पूर्वमध्य काल)
  • रीतिकाल (उत्तरमध्य काल)
  • आधुनिककाल (भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग, छायावादी युग एवं छायावादोत्तर युग)

2. आदिकालीन हिन्दी काव्यः सिद्धकवि, नाथकवि, जैन मतावलंबी कवि, आदिकाल का वीरगाथात्मक काव्य, आदिकाल के अन्य कवि ।

3. भक्तिकालीन हिन्दी काव्यः संतकाव्यः कवि और कृतियाँ, सूफीकाव्यः कवि और कृतियाँ, राम काव्यः कवि और कृतियाँ, कृष्ण काव्यः कवि और कृतियाँ ।

4. रीतिकालीन हिन्दी काव्यः प्रमुख रीतिबद्ध कवि, प्रमुख रीति सिद्ध कवि, प्रमुख रीतिमुक्त कवि ।

5. आधुनिक हिन्दी साहित्यः (गद्य, पद्य एवं इतर गद्य विधाएँ)

भारतेन्दु युग: काव्यधारा तथा गद्यसाहित्य,

द्विवेदी युग: काव्यधारा तथा गद्यसाहित्य

छायावाद युग: काव्यधारा तथा गद्य साहित्य,

छायावादोत्तरकालः काव्यधारा तथा गद्य साहित्य, प्रगतिवादी काव्य, प्रयोगवादी काव्य, नई कविता, समकालीन कविता, अद्यतन गद्यसाहित्य एवं इतर गद्यविधाएँ (रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रावृतांत, आत्मकथा, जीवनी, रिपोर्ताज, फीचर, पत्र-पत्रिकाएँ तथा रचनात्मक लेखन एवं जनसंचार माध्यम आदि), दलित साहित्य ।

6. भारतीय एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र और हिन्दी आलोचनाः

भारतीय काव्यशास्त्रः काव्य- लक्षण, काव्य – प्रयोजन, काव्य – हेतु, काव्य-सम्प्रदाय ( रस, अलंकार, रीति, ध्वनि, वकोक्ति और औचित्य ), भरतमुनि का रस-सूत्र और उसके व्याख्याकार, शब्दशक्ति विवेचन – शब्दशक्ति का स्वरूप एवं शब्दशक्ति के प्रकार, रस – विवेचन, रस से तात्पर्य, रस के अवयव, रस के भेद तथा रसों की परस्पर अनुकूलता और प्रतिकूलता, साधारणीकरण, गुण-दोष विवेचनः काव्य के गुण तथा दोष, अलंकार विवेचनः अलंकार से तात्पर्य, अलंकार के मुख्य भेद, बिम्ब, प्रतीक, छन्द विवेचनः छन्द का स्वरूप, छन्द से तात्पर्य, छन्द के घटक, छन्द के भेद, गण, मुक्त छन्द।

पाश्चात्य काव्यशास्त्रः प्लेटो और अरस्तू का अनुकरण सिद्धान्त तथा अरस्तू का विरेचन सिद्धान्त, लौंजाइनसः काव्य में उदात्त तत्व, क्रोचेः अभिव्यंजनावाद, आई. ए. रिचर्ड्सः संप्रेषण सिद्धान्त ।

हिन्दी आलोचनाः हिन्दी आलोचना का विकास और प्रमुख आलोचक- रामचन्द्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, नन्ददुलारे बाजपेयी, रामविलास शर्मा, डॉ० नगेन्द्र, डॉ० नामवर सिंह ।

7. (i) हिन्दी वाक्य रचना एवं व्याकरणः शब्द – विचार – शब्दों के भेद (उद्गम के आधार पर, बनावट या रचना के आधार पर, रूपान्तरण के आधार पर), शब्द निर्माणः उपसर्ग, प्रत्यय, सन्धि एवं सन्धि विच्छेद, समास एवं समास विग्रह, वाक्य विचारः वाक्य भेद एवं वाक्य शुद्धि, वाक्यांश के लिए एक शब्द, वर्तनी शुद्धि, बोध – शक्ति (अपठित गद्यांश एवं पद्यांशबोध)।

(ii) संस्कृत वाक्य रचना एवं व्याकरणः सन्धि, समास, कारक, शब्दरूप एवं धातुरूप ।

8. मुहावरे, लोकोक्तियाँ एवं सूक्तियाँ ।

9. हिन्दी भाषा का उद्भव और विकास, देवनागरी लिपि का उद्भव और विकास, हिन्दी भाषा के विविध रूप, हिन्दी की उपभाषाऐं और बोलियाँ: वर्गीकरण और क्षेत्र, मानक भाषा, राजभाषा और राष्ट्रभाषा ।

10. उत्तराखण्ड के साहित्य और संस्कृति का सामान्य परिचय।

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