जन्तु एवं वनस्पति दोनों की कोशिकाओं में पाये जाने वाले कोशिकांग

जन्तु एवं वनस्पति दोनों की कोशिकाओं में पाये जाने वाले कोशिकांग
(Cytokines Found in Both Animal and Plant cells)

रचना

नाम

मुख्य कार्य

1. कोशिका-कला (प्लैज्मा-मैम्ब्रेन) लिपिड की दो परतें प्रोटीन की दो परतों के बीच सैंडविच की तरह  सिलेक्टिव परमिएबल, कोशिका एवं बाहरी वातावरण के बीच पदार्थों के विनिमय का नियंत्रण।
2. केन्द्रक (न्यूक्लियस) सबसे बड़ा कोशिकांग, दो परतों की केन्द्रक-कला जिसमें केन्द्रकीय छिद्र होते हैं। केन्द्रक-द्रव्य में क्रोमेटिन जो विभाजन के समय गुणसूत्र के रूप में दिखाई देते हैं। एक या अधिक केन्द्रिकाएँ होती है। केन्द्रक के गुणसूत्र डीएनए के बने होते हैं जो कि जीन का कार्य करते हैं। अतः जीन कोशिका की सभी गतिविधियों पर नियंत्रण रखते हैं। कोशिका के जनन (विभाजन) की जिम्मेदारी भी केन्द्रककी केन्द्रिकाएँ रिबोसोम निर्माण करती है।
3. आंतर्द्रव्यीय जालिका या एण्डोप्लाज्मिक रेटिक्यूलम (ER) चपटे एवं दोहरी झिल्ली से घिरे कोषों की प्रणाली। चपटे कोष सिस्टर्नी कहलाते हैं। ER केन्द्रक झिल्ली से जुड़े होते हैं। यदि रिबोसोम होते हैं तब दानेदार ER कहलाते हैं। दानेदार ER रिबोसोम द्वारा संश्लेषित प्रोटीन का परिवहन करते हैं, दानेदार ER लिपिड एवंस्टेरॉइड पदार्थों का संश्लेषण करते हैं।
4. रिबोसोम अत्यन्त सूक्ष्म, दो उप इकाइयों में बंटे हुए। प्रोटीन एवं RNA द्वारा निर्मित। माइटोकोड्रिया एवं क्लोरोप्लॉस्ट के रिबोसोम कुछ और छोटे होते हैं।  प्रोटीन-संश्लेषण का स्थान, ये mRNA के साथ पोलीसोम बनाते हैं।
5. माइटोकाँड्रिया दो झिल्लियों से घिरी तश्तरीनुमा रचनाएँ। आंतरिक झिल्ली अंदर उभरकर क्रिस्टी बनाती हैं। आधार द्रव्य में रिबोसोम, डी.एन.ए. एवं फॉस्फेट ग्रेन्यूल होते हैं। ऑक्सीश्वसन हेतु आवश्यक एन्जाइम होते हैं। क्रिस्टी पर पर ऑक्सीडेटिव फास्फोराइलेशन एवं इलेक्ट्रॉन-ट्रांसपोर्ट की क्रिया होती हैं जबकि आधार-द्रव्य में क्रेब्स-चक्र के एन्जाइम होते हैं एवं वसा-अम्ल ऑक्सीकरण की क्रिया होती है। 
6. गोल्जीकाय दोहरी झिल्ली के चपटे कोषों, सिस्टर्नी द्वारा निर्मित। इनका निर्माण ER से होता है। 

वनस्पति-कोशिकाओं में इनके स्टेक्स डिक्टायोसोम कहलाते हैं। जन्तुकोशिका में सिस्टर्नी के स्टेक्स नेटवर्क भी बनाते हैं।

अनेक कोशिका-पदार्थों का प्रोसेसिंग एवं ट्रांसपोर्ट। इनमें एन्जाइम प्रमुख हैं।
सेल-सिक्रीशन, लाइसोसोम एवं शुक्राणु के एक्रोसोम निर्माण में प्रमुख भूमिका।
7. लाइसोसोम पतली मेम्ब्रेन से घिरी गोल रचनाएँ जिसमें हाइड्रोलाइटिक एंजाइम भरे होते हैं। ऑटोफेगी, ऑटोलाइसिस, एण्डोसाइटोसिस एवं एक्सोसाइटोसिस। ऑटोलाइसिस के कारण इन्हें सुइसाइड बेग्स कहते हैं।
8. माइक्रोबॉडीज या परऑक्सीसोम एक मेम्ब्रेन से घिरी गोलाकार रचनाएँ। कणयुक्त पदार्थ से भरी हुई। केटेलेस एन्जाइम होता है जो H2O2 का विघटन करता है। आक्सीकारक क्रियाओं में भूमिका।
9. माइक्रोट्यूब्यूल्स (सूक्ष्म-नलिकाएँ) तन्तुरूपी महीन नलिकाएँ जिनकी दीवारों में ट्यूब्यूलिन होता है। कोशिका-विभाजन में स्पिंडल निर्माण, साइटोस्केलेटन के रूप में।
10. सेन्ट्रियोल सभी जन्तु-कोशिकाओं एवं निम्न श्रेणी के पौधों में। खोखले सिलिन्डर के रूप में स्वतः द्विगुणन कर कोशिका के दो सिरों पर स्थित होकर स्पिंडल निर्माण। कोशिका-विभाजन में स्पिंडल निर्माण माइक्रोटयब्यल्स के संगठनात्मक केन्द्र होते हैं।
11. बेसल बॉडीज, सीलिया एवं फ्लैजिला  रोमाभ एवं कशाभ के आधार पर। अन्दर माइक्रोट्युब्यूल्स की 9 + 2 व्यवस्था। बेसल बॉडीज द्वारा रोमाभ एवं कशाभ की गति का नियंत्रण।
12. माइक्रोफिलामेंट्स प्रोटीन (एक्टिन) के महीन तन्तु। पेशी-संकुचन

 

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