भूगर्भ का तापमान (Temperature of the Underground)
- गहरी खानों और गहरे कूपों से जानकारी मिलती है कि पृथ्वी के भीतर गहराई बढ़ने के साथ तापमान बढ़ता है।
- यह बात ज्वालामुखी के उद्गारों में पृथ्वी के अन्दर से निकले अत्यन्त गर्म लावा से भी सिद्ध होती है कि भूगर्भ की ओर तापमान बढ़ता जाता है।
- विभिन्न प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि भूगर्भ में धरातल से केन्द्र की ओर तापमान बढ़ने की दर एक समान नहीं है।
- प्रारम्भ में तापमान बढ़ने की औसत दर प्रत्येक 32 मीटर की गइराई पर 1° C है।
- तापमान की इस स्थिर वृद्धि के आधार पर 10 किलोमीटर की गहराई में तापमान धरातल की अपेक्षा 3000 से अधिक होना चाहिये और 40 किलोमीटर की गहराई में इसे 1200° C होना चाहिये ।
- तापमान की इस वृद्धि दर के अनुसार भूगर्भ के सभी पदार्थ पिघली हुई अवस्था में होने चाहिये। परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है।
- चट्टानें जितनी अधिक गहराई में होंगी उनके पिघलने का तापमान-बिन्दु उतना ही ऊँचा होगा। इसका कारण यह है कि भूगर्भ में नीचे दबी शैलों पर ऊपर की शैलों का इतना अधिक दाब होता है जिससे उनके पिघलने का तापमान–बिन्दु धरातल की तुलना में बहुत अधिक हो जाता है।
- भूकम्प की तरंगों के व्यवहार से भी यह बात सिद्ध होती है। उनसे इस बात की भी पुष्टि होती है कि भूगर्भ में तापमान के बदलने के साथ पदार्थों की संरचना में भी परिवर्तन आता है।
- भूगर्भ के ऊपरी 100 किलोमीटर में तापमान के बढ़ने की दर 120° C प्रति किलोमीटर है, अगले 300 किलोमीटर में यह वृद्धि दर 20° C प्रति किलोमीटर है और इसके बाद यह वृद्धि दर केवल 10° C प्रति किलोमीटर रह जाती है।
- धरातल के नीचे तापमान के बढ़ने की दर पृथ्वी के केन्द्र की ओर घटती जाती है। इस गणना के अनुसार पृथ्वी के केन्द्र का तापमान लगभग 4000° से 5000° C के बीच है।
- भूगर्भ में इतना ऊँचा तापमान उच्च दाब के फलस्वरूप हुई रासायनिक प्रक्रियाओं और रेडियोधर्मी तत्वों के विखंडन के कारण ही संभव है।
भूगर्भ का दबाव (Pressure of the Underground)
- भूगर्भ में ऊपरी परतों के बहुत अधिक भार के कारण पृथ्वी के सतह से केन्द्र की ओर जाने पर दबाव भी निरन्तर बढ़ता जाता है।
- पृथ्वी के केन्द्र पर अत्यधिक दबाव है। यह दबाव समुद्र तल पर वायुमंडल के दाब से 30-40 लाख गुना अधिक है।
- केन्द्र पर उच्च तापमान होने के कारण यहां पाये जाने वाले पदार्थों को द्रव रूप में होना स्वाभाविक है, परन्तु इस ऊपरी भारी दबाव के कारण यह द्रव रूप ठोस का आचरण करता है।
भूगर्भ का घनत्व (Density of the Underground)
- पृथ्वी के केन्द्र की ओर निरन्तर दबाव के बढ़ने और भारी पदार्थों के होने के कारण उसकी परतों का घनत्व भी बढ़ता जाता है।
- अतः सबसे गहरे भागों में अत्यधिक घनत्व वाले पदार्थों का होना स्वाभाविक है।
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