देशान्तर (Longitude)

उत्तरी ध्रुव (North Pole) तथा दक्षिणी ध्रुव (South Pole) को मिलाने वाली प्रधान मध्याह्न रेखा (Prime Meridian) से पूर्व या पश्चिम खींची गयी रेखाओं को देशान्तर रेखा (Longitude Line) कहते हैं। ये रेखायें अर्द्ध वृत्ताकार (Semi Circular) होती हैं। इन रेखाओं के बीच की दूरी विषुवत रेखा (Equator) पर सर्वाधिक होती है तथा ध्रुवों की ओर क्रमश: कम होते हुए ध्रुवों पर शून्य हो जाती है क्योंकि ध्रुवों पर ये रेखायें एक बिन्दु पर मिल जाती हैं।

देशान्तर (Longitude)

अक्षांश वृत्तों के विपरीत देशान्तर रेखाओं की लम्बाई बराबर होती है। देशान्तर रेखाओं की गणना में कठिनाई के कारण सभी देशों में लंदन की ग्रीनविच वेधशाला (Greenwich Observatory) से गुजरने वाली देशान्तर रेखा के आधार पर गणना शुरू की गयी, अत: इसे प्रधान मध्याह्न रेखा (Prime Meridian) कहते हैं। यह 0° देशान्तर को प्रदर्शित करती हैं।

इसकी बायीं ओर की रेखाएँ पश्चिमी देशान्तर (Western Longitude) और दाहिनी ओर की रेखाएँ पूर्वी देशान्तर (Eastern Longitude) कहलाती हैं। 180° पूर्वी तथा 180° पश्चिमी देशान्तर एक ही रेखा पर स्थित है। अक्षांश और देशान्तर रेखाएँ एक-दूसरे को समकोण पर काटती है।

देशान्तर व समय (Longitude and Time)

ग्रीनविच मध्याह्न रेखा के आधार पर विश्व के देशों के समय का निर्धारण किया जाता है। चूंकि पृथ्वी अपने काल्पनिक अक्ष पर पश्चिम से पूर्व घूर्णन करती है, अत: ग्रीनविच के पूर्व में सभी स्थानों का समय आगे तथा पश्चिम में समय पीछे होता है।

पृथ्वी पूरे दिन में अपने अक्ष पर 360° घूम जाती हैं अर्थात् पृथ्वी को 15° घूमने में 1 घंटे का समय लगता है। इस प्रकार प्रत्येक 15° देशान्तर पर एक घंटे का अंतर होता है और 1° देशान्तर पर 4 मिनट का अंतर होता है।

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0° से 180° पूर्व की ओर जाने पर 12 घंटे का समय लगा हैं और यह ग्रीनविच के समय से 12 घंटे आगे होता है। इसी तरह 0° से 180° पश्चिम की ओर जाने पर ग्रीनविच समय से 12 घंटे पीछे का समय होता है। इसी कारण से 180° पूर्वी व पश्चिमी देशान्तर में एक दिन-रात (24 घंटे) का अंतर मिलता है।

  • प्रधान मध्याह्न रेखा अटलान्टिक महासागर (Atlantic Ocean) से गुजरती हैं।
  • सभी देशान्तरीय रेखायें पृथ्वी को दो बराबर भागों में बाँटती हैं जबकि अक्षांश रेखाओं में 0° अर्थात् विषुवत रेखा ही पृथ्वी को दी बराबर भागों में बाँटती है। इसलिए सभी देशान्तरीय रेखाओं का ग्रेट सर्किल (Great Circle) कहते हैं।
  • 1° देशान्तर की विषुवत रेखा पर दूरी 111.32 किमी. होती है।

स्थानीय समय (Local Timing)

किसी स्थान पर जब सूर्य आकाश में सबसे अधिक ऊँचाई पर होता है तब इस समय को उस स्थान का स्थानीय समय कहते हैं। एक देशान्तर रेखा पर स्थित सभी स्थानों का स्थानीय समय समान होता है। भारत के सर्वाधिक पूर्व एवं सर्वाधिक पश्चिम में स्थिर स्थानों के स्थानीय समय में लगभग दो घंटे का अंतर होता है।

मानक समय (Standard Time)

विश्व के देशों के विशाल आकार एवं स्थिति के कारण अलग-अलग देशान्तर पर स्थित स्थानों के स्थानीय समय में अंतर होता है। अत: देश के मध्य भाग से होकर गुजरने वाली देशान्तर रेखा के स्थानीय समय के आधार पर मानक समय का निर्धारण किया जाता है। भारत में 82 ½° (82°30′) पूर्वी देशान्तर को मानक देशान्तर (Standard Longitude) माना गया है। यह रेखा: इलाहाबाद के निकट मिर्जापुर से गुजरती है। इस देशान्तर के स्थानीय समय को पूरे देश का मानक समय माना गया है। भारत की अवस्थिति, ग्रीनविच के पूर्व में होने के कारण यहाँ का समय 5 घंटा 30 मिनट आगे रहता है।

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अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line)

पृथ्वी पर खींची गयी 180° देशान्तर वाली काल्पनिक रेखा अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line) कहलाती है। यह रेखा प्रशान्त महासागर में स्थित है। साइबेरिया को अलास्का से दूर रखने व साइबेरिया को विभाजित होने से बचाने के लिए 75° अक्षांश पर यह रेखा पूर्व की ओर मोड़ी गयी है। इस रेखा पर पूर्व और पश्चिम में एक दिन का अंतर पाया जाता है। इस रेखा के पूर्व में एक दिन की कमी जबकि पश्चिम में एक दिन की वृद्धि होती है।

अक्षांश व देशान्तर रेखाओं का महत्त्व (Significance of Latitude and Longitude)

  • पृथ्वी पर स्थित किसी स्थान को निश्चित जानकारी के लिए अक्षांश व देशान्तर रेखाओं का उपयोग किया जाता है। देशान्तर रेखा किसी स्थान की प्रधान मध्याह्न रेखा से दूरी को भी निर्धारित करती है।
  • पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को समझने के लिए अक्षांशीय माप की आवश्यकता होती है।
  • जीपीएस सैटेलाइट कक्षा के निर्धारण में भी अक्षांशों का महत्व है।
  • देशान्तर रेखायें विभिन्न क्षेत्रों के मानक समय निर्धारण में उपयोगी हैं।
  • यह विभिन्न क्षेत्रों की मौसमी व जलवायविक दशाओं को भी समझने में सहायता प्रदान करती हैं।
  • नाविक तथा वायुयान चालक लम्बी समुद्री यात्रा पर दूरी का आकलन करने में अक्षांश व देशान्तर का उपयोग करते हैं। हालाँकि GPS तंत्र के विकास से किसी स्थिति की जानकारी प्राप्त करना अब आसान हो गया है। लेकिन यह तंत्र अक्षांश व देशान्तर की सार्थकता को कम नहीं कर पाया है। ये रेखाएँ किसी स्थान की सटीक जानकारी को निश्चित करने में मदद करती है।
  • मौसम विज्ञानी मौसम पूर्वानुमान के लिए इन रेखाओं का उपयोग करते हैं।
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Uttarakhand Current Affairs Jan - Feb 2023 (Hindi Language)
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