UKPSC Lecturer Syllabus (Chemistry)

UKPSC Lecturer Syllabus (Chemistry)

उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (सामान्य तथा महिला शाखा)

द्वितीय चरण (विषयवार लिखित परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकार) पाठ्यक्रम

विषय प्रश्नों की संख्या अधिकतम अंक समय अवधि
रसायन विज्ञान 200 200 03 घण्टे

नोटः-  लिखित परीक्षा में मूल्यांकन हेतु ऋणात्मक पद्धति प्रयुक्त की जाएगी।

परीक्षा पाठ्यक्रम (रसायन विज्ञान)

खण्ड – अ (अकार्बनिक रसायन)

1. परमाणु संरचना :   इलेक्ट्रॉन का व्यवहार, क्वाण्टम संख्याऐं, कक्षक एवं उनकी आकृति, विभिन्न कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों को भरने हेतु नियम, तत्वों के इलेक्ट्रॉन विन्यास ।

2. तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं परमाणुक गुणधर्म : आधुनिक आवर्ती नियम तत्वों के गुण धर्मो में आवर्तता एवं लॉरेन्सियम के बाद के तत्वों को सम्मिलित करते हुए आवर्त सारणी का विस्तारित रूप, आवर्त सारणी में खण्डों के आधार पर तत्वों के प्रकार (s, p, d, f – खण्ड), परमाणुक गुण धर्म-परमाणुक एवं आयनिक त्रिज्याऐं, आयनन विभव, इलेक्ट्रॉन बन्धुता, विद्युतऋणीयता ।

3. रासायनिक आबंधन:
आयनिक आबन्ध – आयनिक ठोस, सामान्य आयनिक यौगिकों की निविड संकुलित संरचना, आयनिक ठोसों का वर्गीकरण एवं उनके गुण धर्म, आयनिक ठोसों में अपूर्णता ।

सह संयोजक आबन्ध – संयोजकता बन्ध सिद्धान्त, संकरण की संकल्पना, सिग्मा एवं पाई आबन्ध, संयोजकता कोश इलेक्ट्रॉन युग्म प्रतिकर्षण सिद्धान्त एवं सामान्य अकार्बनिक अणुओं की आकृति, आणविक कक्षक सिद्धान्त का सामान्य विवरण, सम एवं विषम नाभिकीय द्विपरमाणुक अणुओं के लिए आणविक कक्षक ऊर्जा स्तर आरेख, बन्ध कोटि, अन्योन्य दुर्बल क्रियाऐं – हाइड्रोजन आबन्ध एवं वाण्डर वाल बल ।

4. रेडियोधर्मिता एवं नाभिकीय रसायन
रोडियोधर्मिता – रोडियोधर्मी पदार्थो के विघटन का सिद्धान्त कणों / किरणों का उत्सर्जन, सॉडी-फायां का वर्ग विस्थापन नियम, रेडियो धर्मी तत्वों के विघटन की दर, विघटन स्थिरांक, अर्द्ध आयु एवं औसत आयु ।

कृत्रिम रेडियोधर्मिता – तत्वों का तत्वांतरण, नाभिकीय विखण्डन एवं संलयन, नाभिकीय अभिक्रियाऐं एवं उनको संतुलित करना, नाभिकीय बल, नाभिकीय बन्धन ऊर्जा, नाभिकीय स्थायित्व एवं N / P अनुपात ।

5. आक्सीकरण, अपचयन एवं वैद्युत अपघटन : आक्सीकरण एवं अपचयन की आधुनिक संकल्पना, संयोजकता एवं आक्सीकरण संख्या, आक्सीकारक एवं अपयायक, उनके तुल्यांकी भार, आक्सीकरण – अपचयन अभिक्रियाऐं एवं उनको संतुलित करना ।

6. वर्ग 1 एवं 2 के तत्व –
हाइड्रोजन, क्षार एवं क्षारीय मृदा धातुऐं (s – खण्ड) ।

हाइड्रोजन का आवर्त सारणी में स्थान, हाइड्रोजन अणु के नाभिकीय चक्रण समावयव एवं हाइड्रोजन के भारी समस्थानिक, भारी जल एवं हाइड्रोजन परॉक्साइड ।

s – खण्ड के धातुओं के सामान्य गुणधर्म, रासायनिक क्रियाशीलता एवं वर्ग में प्रवृति, उनके हाइड्राइडों, हेलाइडों एवं आक्साइडों के रासायनिक व्यवहार ।

7. वर्ग 3 से 12 तक के तत्व –
संक्रमण एवं अन्तः संक्रमण तत्व (d एवं f – खण्ड)

आवर्त सारणी में d एवं f – खण्ड के तत्वों का स्थान, d – खण्ड के तत्वों के अभिलक्षणिक गुणधर्म- परिवर्ती आक्सीकरण अवस्थाएं संकुल बनाने की प्रवृति, रंग, चुम्बकीय एवं उत्प्रेरकीय गुणधर्म, 3d, 4d एवं 5d- संक्रमण तत्वों का उनके आयनिक त्रिज्याओं एवं आक्सीकरण अवस्थाओं के संदर्भ में तुलनात्मक अध्ययन, f – खण्ड के तत्वों के अभिलक्षणिक गुणधर्म – लैन्थेनाइड संकुचन, आक्सीकरण अवस्थाऐं, रंग एवं चुम्बकीय गुण धर्म।

8. वर्ग 13 से 18 तक के तत्व (p खण्ड) : सामान्य गुण धर्म, रासायनिक तत्वों की क्रियाशीलता एवं वर्ग में प्रवृति, परिवर्ती आक्सीकरण अवस्थाऐं (निष्क्रिय युग्म प्रभाव), उनके हाइड्राइडों, आक्साइडों एवं हेलाइडों के संदर्भ में रासायनिक व्यवहार । आदर्श गैसों का आवर्त सारणी में स्थान, जेनॉन फ्लुओराइड एवं आदर्श गैसों के उपयोग |

9. धातुओं का निष्कर्षण : अयस्क एवं खनिज, अयस्कों का सान्द्रण, धातुओं के निष्कर्षण एवं निर्मलीकरण की सामान्य विधियाँ

10. उपसहसंयोजन रसायन : उपसहसंयोजी यौगिको की IUPAC नामकरण पद्धति, उपसहसंयोजक यौगिकों में समावयवता, बन्ध की प्रकृति-VBT, CFT Id कक्षको का अष्टफलकीय चतुष्फलकीय एवं वर्ग समतलीय संकुलों में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन, वैद्युत रासायनिक श्रेणी | दुर्बल एवं प्रबल क्षेत्र अष्टफलकीय संकुलों में d से d तक के लिए CFSE का आगणन, इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण एवं चयन नियम । 3d – संक्रमण धातु संकुलों के इलेक्ट्रॉनिक स्पेक्ट्रा ।

11. जैव अकार्बनिक रसायन : जैविक प्रक्रियाओं में आवश्यक एवं सूक्ष्म (अज्प) तत्व, Nat, K, Mg 2+, Ca2+ धातु आयनों की जैविक भूमिका ।

खण्ड – ब (भौतिक रसायन)

1. ठोस अवस्था : अलग-अलग बंधन बलों के आधार पर ठोसों का वर्गीकरण, एकल सेल में द्विविमीय एवं त्रिविमीय लैटिस, ठोसों का निचयन, क्यूबिक सेल में एकक सेल परमाणुओं की संख्या ।

2. गैसीय अवस्था : गैसों का गतिक सिद्धान्त एवं गैस नियम, मैक्सवैल का गति वितरण नियम, वाण्डर वाल का समीकरण, गैसों का क्रान्तिक व्यवहार, संगत अवस्थाओं का नियम, गैसों की ऊष्मा धारिता

3. द्रव अवस्था एवं विलयन : द्रवों के गुण धर्म – श्यानता, पृष्ठ तनाव एवं वाष्प दाब, राउल्ट का वाष्प दाब अवनमन का नियम, जमाव बिन्दु का अवनमन, क्वथनांक का उन्नयन, परासरण दाब, विलेयों का संगुणन एवं वियोजन

4. रासायनिक बल गतिकी : रासायनिक बल गतिकी, रासायनिक अभिक्रिया की दर, विशिष्ट अभिक्रिया दर, अभिक्रिया की आणविकता एवं कोटि, शून्य कोटि, प्रथम कोटि, द्वितीय कोटि एवं तृतीय कोटि की अभिक्रियाऐं, सक्रियण ऊर्जा, उत्क्रमणीय एवं अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाऐं ।

5. रासायनिक साम्य : रासायनिक साम्य, द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम एवं इसके अनुप्रयोग। ला शातेलिए का सिद्धान्त एवं उसके अनुप्रयोग।

6. आयनन : वैद्युत वियोजन का सिद्धान्त । आयनन को प्रभावित करने वाले कारक, जल का आयनी गुणनफल एवं आयनन स्थिरांक आयनिक साम्य – ओस्टवाल्ड का तनुता नियम ।

अम्लों एवं भस्मों की धारणायें, विलेयता गुणनफल एवं विश्लेषणात्मक रसायन में इसके अनुप्रयोग । लवण का जल अपघटन |

7. pH एवं बफर विलयन

8. उत्प्रेरण : उत्प्ररण के प्रकार, उत्प्ररकों का वर्गीकरण एवं अभिलक्षण, उत्प्रेरण के सिद्धान्त ।

9. वितरण नियम एवं इसके अनुप्रयोग

10. कॉलाइडी अवस्था

11. ऊष्मा गतिकी एवं ऊष्मा रसायन : ऊष्मा गतिकी में प्रयुक्त पद। ऊष्मा गतिकी का प्रथम नियम । ऊष्मा अंश, ऊष्मा धारिता, ऊष्मा गतिकी का द्वितीय नियम।

ऊष्मा रसायनः अभिक्रिया की ऊष्मा, निर्माण की ऊष्मा, दहन ऊष्मा, उदासीनीकरण ऊष्मा, विलयन की ऊष्मा, नैज (आन्तर) ऊर्जा, हेस का स्थिर ऊष्मा संकलन नियम ।

खण्ड – स (कार्बनिक रसायन)

1. सामान्य कार्बनिक रसायन विज्ञान: काबर्निक योगिकों का वर्गीकरण एवं नामकरण, इलेक्ट्रानिक विस्थापन – प्रेरणिक, इलैक्ट्रोमरी तथा मेसोमरी प्रभाव । अनुनाद, अति संयुग्मन एवं कार्बनिक यौगिको के लिये इनका अनुप्रयोग। इलेक्ट्रान स्नेही, नाभिक स्नेही, कार्बोकेटायन, कार्बनआयन एवं मुक्त मूलक । कार्बनिक अम्ल तथा क्षार । कार्बनिक अम्लों तथा क्षारों की क्षमता पर संरचना का प्रभाव । हाईड्रोजन बंध तथा कार्बनिक यौगिको के गुणों पर इसका प्रभाव ।

2. त्रिविमरसायनः सममिति के तत्व, साधारण कार्बनिक यौगिकों में प्रकाशीय तथा ज्यामितीय समायवता । संपूर्ण विन्यास (R तथा S), ज्यामीतीय समावययों के विन्यास, E तथा Z संकेतन । साइक्लोहेक्सेन, एकल तथा द्विप्रतिस्थापित साइक्लोहेक्सेनों के संरूपण एवं स्थायित्व ।

3. एलिफैटिक यौगिक : निम्नलिखित वर्ग के साधारण कार्बनिक यौगिकों के रसायन जिसमें विशेषकर उन अभिक्रियाओं की क्रियाविधि के संदर्भ में उल्लेख हो जो इन योगिकों के साथ हो रही हो; एल्केन, एल्कीन, एल्काइन, एल्किल हैलाइड, एल्कोहल, ईथर, थायोल, एल्डिहाइड, कीटोन, कार्बोक्सली अम्ल, एमीन एवं उनके व्युत्पन ।

4. सगंध यौगिक : बेन्जीन की आधुनिक संरचना एरोमैटिसिटी की धारणा, हकल नियम तथा इसका अबेंजीनीय एरोमैटिक एवं हेट्रोसाइक्लीक यौगिकों के लिये साधारण अनुप्रयोग । प्रतिस्थापित समूहों का सक्रियण तथा निष्क्रयण एवं दैशिक प्रभाव । बेंजीन वलय से जुड़े निम्नलिखित समूहों वाले यौगिकों का रसायन शास्त्र, हैलोजेन, हाईड्राक्सी, नाइट्रो एमीनो एल्डिहाइडी, कीटोनी एवं कार्बोक्सीलि समूह ।

5. नाम अभिक्रियायें, पुर्नविन्यास एवं क्रियाविधि : रीमर टीमन अभिक्रिया विलसमीर अभिक्रिया, शार्पलेस इपोक्सीकरण, बार्टन अभिक्रिया, फवोरस्की अभिक्रिया एवं वागनर – मीरवाइन पुर्नविन्यास एवं बेकमैन पुनर्विन्यास।

6. कार्बोहाड्रेट : मोनोसेक्राइड का वर्गीकरण एवं सामान्य अभिक्रियायें ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं सुक्रोज के रासायनिक गुण एवं संरचना ।

7. प्राकृतिक उत्पाद : टर्पीनॉयड एवं एल्कलॉएड के संरचना निर्धारण की सामान्य विधियां ।

8. तेल, वसा, अमिनो अम्ल, प्रोटीन, विटामिन्स का सामान्य रासायनिक अध्ययन एवं इनकी पोषण तथा उद्योग में भूमिका।

9. कार्बनिक बहुलक : बहुलीकरण की क्रियाविधि, बहुलकों का औद्योगिक महत्व, संश्लेषित रेशे।

10. कार्बधात्विक योगिक : लिथियम, मैग्निशियम एवं जिंक के कार्बधात एवं उनके सिंथेटिक अनुप्रयोग ।

11. स्पेक्ट्रोस्कोपी : स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीकी से सम्बन्धित बुनियादी सिद्धान्त एवं उपयोग पराबैंगनी, दृश्य अवरक्त, नाभिकीय चुम्बकीय अनुनाद ।

12. वर्णलेखी विज्ञान : वर्णलेखी प्रविधियों का वर्गीकरण, अधिशोषण, विभाजन, आयन विनियम, कागज वर्ग तथा विरल परत वर्ग लेखन के सामान्य सिद्धांत ।

13. पर्यावरणीय रसायन विज्ञान : वायु प्रदूषक एवं उनके विषाक्त प्रभाव, ओजोन परत का क्षरण, नाइट्रोजन के आक्साइड का प्रभाव, क्लोरों-फ्लोरों कार्बन तथा ओजोन परत पर उसका प्रभाव, ग्रीन हाउस प्रभाव, अम्ल वर्षा, पर्यावरणीय प्रदूषण के नियन्त्रण की व्यूह रचना ।

 

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