उत्तराखंड में चंद शासकों द्वारा लगाए गए कर

उत्तराखंड में चंद शासकों द्वारा लगाए गए कर
(Tax System of Chand Rulers in Uttarakhand)

उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में चंद शासकों का शासन था। जिन्होंने सम्पूर्ण कुमाऊँ क्षेत्र को एक सूत्र में बाधने का प्रयास किया और सफल भी रहे, लेकिन धीरे-धीरे चंद शासकों की पकड़ कुमाऊँ क्षेत्र में कमजोर होने लगी जिसका फायदा उठाकर गोरखाओं ने कुमाऊँ क्षेत्र में अपना अधिकार कर लिया था। चंद शासकों ने यहाँ की जनता से कई प्रकार के कर वसूले जो इस प्रकार हैं –  

 

1. ज्यूलिया 一 यह नदी के पुलों पर लगता था। इसे ‘सांगा’ भी कहते थे।

2. सिरती 一  यह नकद कर था, और प्रायः माल-भाबर व भोटिया व्यापारियों से वसूला जाता था इसी से ‘सिरतान’ शब्द की व्युत्पत्ति हुई।

3. बैकर 一  अनाज के रूप में लिए जाने वाला कर।

4. राखिया 一  इसे ‘रछ्या’ भी कहा जाता था और सावन के महीने रक्षाबंधन व जनेऊ-संस्कार के समय वसूला जाता था।

5. कूत 一 नकद के बदले दिया गया अनाज।

6. भेंट 一 राजा व राजकुमारों को दी जाने वाली भेंट।

7. मांगा 一 युद्ध के समय लिया जाने वाला कर।

8. साहू 一 इसे ‘साउलि’ कहा जाता था। यह लेखक को देय कर होता था।

9. रंतगली 一 यह भी लेखक को देय कर था। इसका उल्लेख मूनाकोट ताम्रपत्र में हुआ है।

10. खेनी-कपीलनी 一 कुली बेगार।

11. कटक 一 सेना के लिए लिया गया कर।

12. स्यूक 一 राज सेवकों के लिए लिया जाने वाला कर।

13. कमीनचारी-सयानचारी 一 किसानों से लगान वसूल करने व सयानों को देय कर।

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14. सीकदार नेगी 一 परगनाधिकारी को देय कर । लक्ष्मी चंद के मूनाकोट ताम्रपात्र में इसके लिए दो रुपया कर ठहराया गया है। यह कर पूरे गांव से लिया जाता था। 

15 गर्खा नेगी 一  गर्खाधिकारी को देय कर। इसका उल्लेख भी मूनाकोट ताम्रपत्र में हुआ है।

16. कनक 一 मूनाकोट ताम्रपत्र में इसका भी उल्लेख है यह शौका व्यापारियों से स्वर्ण धूल के रूप में लिया जाता था।

17. हिलयानि-अधूल 一 इसका उल्लेख सिंगाली ताम्रपत्र में है। बरसात में सड़कों की मरम्मत के लिए लिया जाता था।

18. डाला 一 गांव के सयाने को अनाज के रूप में दिया गया दस्तूर।

19. मिझारी 一  कामगारों से लिया जाने वाला कर। इसे बाद में गोरखों ने भी लिया था। 

20.तान या टांड 一 यह कर सूती एवं ऊनी वस्त्रों के बुनकरों से लिया जाता था।

21. घी कर 一 घी बेचने वालों से लिया जाता था।

22. मौकर 一 हर परिवार पर लगा हुआ कर।

23. भात-कर 一  बड़े-बड़े उत्सवों में भात की दावत पर लगा कर।

24. गाय चराई 一 इसे तराई भाबर में गाय चराने वालों से लिया जाता था।

25. भैंस कर 一 ट्रेल के अनुसार यह प्रत्येक भैंस पर चार आना सालाना की दर से लिया जाता था।

26. व्यापार कर 一 यह बुनकरों से लिया जाता था। नमक, कस्तूरी पर भी यह लगता था।

27. खानों पर कर 一 आगरी सोना (तांबा निकालने वालों) से लिया जाता था।

28. जंगलात कर 一 जंगलों का उपयोग करने वालों से लिया जाता था।

29. न्यौंवाली कर 一 न्याय पाने के लिए दिया गया कर।

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30. जगरिया 一 जागर लगाने वाले पुजारी ब्राह्मणों से लिया जाता था।

31. रोल्या-देवल्या 一 राजपरिवार के देवी-देवताओं की पूजा के नाम पर लिया जाता था। बलि या भोजन के लिए बकरे भी लिए जाते थे।

32. भाग 一 यह कर घराटों पर लगता था।

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Uttarakhand Current Affairs Jan - Feb 2023 (Hindi Language)
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