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Gonda District in Uttar Pradesh

गोंडा जनपद (Gonda District)

गोंडा जनपद का परिचय (Introduction of Gonda District)

गोंडा की स्थिति (Location of Gonda)

  • मुख्यालय – गोंडा 
  • पुराना नाम व उपनाम – जयप्रकाश नगर 
  • मंडल – देवीपाटन
  • क्षेत्रफल – 4,003 वर्ग किमी.
  • सीमा रेखा
    • पूर्व में – सिद्धार्थ नगर एवं बस्ती 
    • पश्चिम में बाराबंकी एवं बहराइच 
    • उत्तर में – श्रावस्ती एवं बलरामपुर 
    • दक्षिण में – बाराबंकी एवं फैजाबाद 
  • राष्ट्रीय राजमार्ग NH-028
  • नदियाँ –  घाघरा, सरयू एवं कुआनो
  • परियोजनाएँ – घाघरा या सरयू नहर 

गोंडा की प्रशासनिक परिचय (Administrative Introduction of Gonda)

  • विधानसभा क्षेत्र – 7 (मेहनौन, गोण्डा, कटरा बाजार, करनैलगंज, तरबगंज, मनकापुर, गौरा)
  • लोकसभा सीट – 1 (गोण्डा )
  • तहसील – 4 (करनैलगंज, गोण्डा, मनकापुर, तरबगंज )
  • विकासखंड (ब्लाक)   16 (बभनजोत, बेलसर,  छपि‍या, करनैलगंज , हलधरमउ ,इटि‍याथोक, झंझरी,  कटरा बाजार,  मनकापुर,  मुजेहना, नवाबगंज, पंडरीक़पाल,  परसपुर,  रूपईडीह,  तरबगंज,  वजीरगंज)
  • कुल ग्राम 1,821
  • कुल ग्राम पंचायत 1,044
  • नगर पालिका परिषद गोंडा, नवाबगंज, करनैलगंज
  • नगर पंचायत – 4

गोंडा की जनसंख्या (Population of Gonda)

  • जनसंख्या – 34,33,919
    • पुरुष जनसंख्या – 17,87,146
    • महिला जनसंख्या – 16,46,773
  • शहरी जनसंख्या – 2,25,029 (6.55 %)
  • ग्रामीण जनसंख्या – 32.,08,890 (93.45 %)
  • साक्षरता दर – 58.71%
    • पुरुष साक्षरता – 69.41%
    • महिला साक्षरता – 47.09%
  • जनसंख्या घनत्व – 858
  • लिंगानुपात – 921
  • जनसंख्या वृद्धि दर – 24.17% 
  • हिन्दू जनसंख्या – 2,739,076 (79.77 %)
  • मुस्लिम जनसंख्या – 6,78,615 (19.76 %)
  • इसाई जनसंख्या – 4,735 (0.14 %)

Population Source – census2011.co.in

गोंडा के संस्थान व प्रमुख स्थान (Institution & Prime Location of Gonda)

  • धार्मिक स्थल – पृथ्वीनाथ, श्री स्वामीनारायण
  • उद्योग – चीनी मिल, दूरसंचार उद्योग
  • अभयारण्य – सुहेल वन्यजीव विहार

Notes –

  • गोण्डा जनपद उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वांचल में घाघरा नदी के उत्तर देवीपाटन मण्डल गोण्डा में स्थित है।
  • गोण्डा के राजा देवीबक्श सिंह एक वीर योद्धा व देशभक्त राजा थे जिन्हों स्वतंत्रता आन्दोलन में अंग्रेजों के साथ लड़ते-लड़ते अपने जीवन को एवं अपने परिवार को न्योछावर कर दिया। उनका बनवाया हुआ सागर तालाब आज भी नगर की शोभा बड़ा रहा है।
  • पाणिनी की अष्टाध्यायी पर महाभाष्य लिखने वाले महर्षि पतांजलि अपने को गोनार्दीय लिखते हैं।
  • इक्ष्वाकुवंशीय राजा दिलीप ने इसी क्षेत्र में नन्दिनी की सेवा की थी। वशिष्ठ ऋषि का आश्रम इसी क्षेत्र में था।

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