गोंडा जनपद का परिचय (Introduction of Gonda District)
गोंडा की स्थिति (Location of Gonda)
- मुख्यालय – गोंडा
- पुराना नाम व उपनाम – जयप्रकाश नगर
- मंडल – देवीपाटन
- क्षेत्रफल – 4,003 वर्ग किमी.
- सीमा रेखा
- पूर्व में – सिद्धार्थ नगर एवं बस्ती
- पश्चिम में – बाराबंकी एवं बहराइच
- उत्तर में – श्रावस्ती एवं बलरामपुर
- दक्षिण में – बाराबंकी एवं फैजाबाद
- राष्ट्रीय राजमार्ग – NH-028
- नदियाँ – घाघरा, सरयू एवं कुआनो
- परियोजनाएँ – घाघरा या सरयू नहर
गोंडा की प्रशासनिक परिचय (Administrative Introduction of Gonda)
- विधानसभा क्षेत्र – 7 (मेहनौन, गोण्डा, कटरा बाजार, करनैलगंज, तरबगंज, मनकापुर, गौरा)
- लोकसभा सीट – 1 (गोण्डा )
- तहसील – 4 (करनैलगंज, गोण्डा, मनकापुर, तरबगंज )
- विकासखंड (ब्लाक) – 16 (बभनजोत, बेलसर, छपिया, करनैलगंज , हलधरमउ ,इटियाथोक, झंझरी, कटरा बाजार, मनकापुर, मुजेहना, नवाबगंज, पंडरीक़पाल, परसपुर, रूपईडीह, तरबगंज, वजीरगंज)
- कुल ग्राम – 1,821
- कुल ग्राम पंचायत – 1,044
- नगर पालिका परिषद – गोंडा, नवाबगंज, करनैलगंज
- नगर पंचायत – 4
गोंडा की जनसंख्या (Population of Gonda)
- जनसंख्या – 34,33,919
- पुरुष जनसंख्या – 17,87,146
- महिला जनसंख्या – 16,46,773
- शहरी जनसंख्या – 2,25,029 (6.55 %)
- ग्रामीण जनसंख्या – 32.,08,890 (93.45 %)
- साक्षरता दर – 58.71%
- पुरुष साक्षरता – 69.41%
- महिला साक्षरता – 47.09%
- जनसंख्या घनत्व – 858
- लिंगानुपात – 921
- जनसंख्या वृद्धि दर – 24.17%
- हिन्दू जनसंख्या – 2,739,076 (79.77 %)
- मुस्लिम जनसंख्या – 6,78,615 (19.76 %)
- इसाई जनसंख्या – 4,735 (0.14 %)
Population Source – census2011.co.in
गोंडा के संस्थान व प्रमुख स्थान (Institution & Prime Location of Gonda)
- धार्मिक स्थल – पृथ्वीनाथ, श्री स्वामीनारायण
- उद्योग – चीनी मिल, दूरसंचार उद्योग
- अभयारण्य – सुहेल वन्यजीव विहार
Notes –
- गोण्डा जनपद उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वांचल में घाघरा नदी के उत्तर देवीपाटन मण्डल गोण्डा में स्थित है।
- गोण्डा के राजा देवीबक्श सिंह एक वीर योद्धा व देशभक्त राजा थे जिन्हों स्वतंत्रता आन्दोलन में अंग्रेजों के साथ लड़ते-लड़ते अपने जीवन को एवं अपने परिवार को न्योछावर कर दिया। उनका बनवाया हुआ सागर तालाब आज भी नगर की शोभा बड़ा रहा है।
- पाणिनी की अष्टाध्यायी पर महाभाष्य लिखने वाले महर्षि पतांजलि अपने को गोनार्दीय लिखते हैं।
- इक्ष्वाकुवंशीय राजा दिलीप ने इसी क्षेत्र में नन्दिनी की सेवा की थी। वशिष्ठ ऋषि का आश्रम इसी क्षेत्र में था।
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